अब झेलो हिन्दू अतिवाद का परिणाम, ऊना में दलित- मुस्लिम एकता का निनाद. हिन्दू्त्व के फर्मादारों द्वारा समाज को आधारभूत सुविधा प्रदान करने वाले दलित समाज का उत्पीडन. मैं स्वयं ऊना के इस दलित ्शंखनाद का समर्थन करता हूँ. मुझे मनुष्य के प्रति मनुष्य की घृणा और श्रमजीवी जनता का उत्पीडन मुझे तब भी स्वीकार नहीं था जब मैंने १९६२ में अपने ्गाँव में ही अपने पिता और जाति बिरादरी की परवाह न कर अपने दलित हलिये के घर भोजन किया था और न अब स्वीकार है. भगवती प्रसाद जी अपना इतिहास अपने पास रखो. यह इतिहास नहीं इतिहास का उपहास है.
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