Wednesday, November 25, 2015

आमिर ने जो कहा वह सच यहाँ है ।


आमिर ने जो कहा वह सच यहाँ है । 
जन विजय

#ম্লেচ্ছ ব্যাটা #PK# AAmir Khan# পাদিও না সহিষ্ণুতার অখন্ড স্বর্গে,বিশুদ্ধ পন্জিকার নির্ঘন্ট লঙ্ঘিবে কোন হালার পো হালা!


वेदप्रताप वैदिक की क़लम सेे
हमारे टीवी चैनलों और अखबारों के अच्छे दिन लौट आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों से ऊबे हुए हमारे चैनलों को आमिर खान का भुर्ता बनाने मे मज़ा आ रहा है। जो भी लोग आमिर के पक्ष और विपक्ष में गोले दागे जा रहे हैं, उनमें से शायद ही किसी ने आमिर का पूरा इंटरव्यू देखा या सुना है। सारा हंगामा सिर्फ एक वाक्य के चारों तरफ घूम रहा है। वह वाक्य है, ‘किरन ने मुझसे कहा कि हम लोग भारत के बाहर क्यों न रहें? मुझे बच्चे का डर है।’
यह वाक्य मैंने भी सुना और मुझे भी लगा कि आमिर ने यह क्या बोल दिया? मियां-बीवी की निजी बातचीत को उन्होंने सार्वजनिक क्यों किया? यह शायद उनके स्वभाव का सीधापन है या शायद उन्हें अंदाज नहीं था कि इस वाक्य को खबरची इस तरह ले उड़ेंगे। जाहिर है कि यह बात आमिर ने नहीं कही। यह उनकी पत्नी ने कही है। वे मुसलमान नहीं है। वे किरन राव हैं। हिंदू हैं। जब आमिर का इंटरव्यू मैंने देखा तो उसके दो वाक्य सुनकर मैं दंग रह गया। वे वाक्य चैनल वालों ने दबा दिए। वे उन्हें इतने धीरे से सुना रहे थे कि उनका कोई मतलब ही नहीं निकलता था लेकिन एक चैनल ने उन्हें सुनवा ही दिया।
अपनी पत्नी किरन की बात कहने के बाद आमिर ने कहा कि ‘तुम इतनी भयंकर बात क्यों कह रही हो?’ आमिर की इस प्रतिक्रिया पर कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है? इसीलिए मुझे लगता है कि आमिर को लेकर जो बहस चल रही है, वह कोरी हवाई लट्ठबाजी है। उसमें तथ्यों और तर्कों का अभाव है। आमिर खान का पूरा इंटरव्यू देखकर ऐसा लगता है कि जो लोग उनके पीछे पड़े हुए हैं वे न तो उनके साथ न्याय कर रहे हैं और न ही पत्रकारिता के साथ।
इसका मतलब यह नहीं कि मैं कुछ कलाकारों और साहित्यकारों की इस बात से सहमत हूं कि भारत में असहिष्णुता का माहौल बढ़ गया है। यह उनका भ्रम है। वे मीडिया के प्रचार में फिसल गए हैं। उनके रवैए में बौद्धिकता का अभाव है। वे तर्कशील नहीं हैं। उन्होंने नाटक करते-करते सच्चाई को भी नौटंकी में बदल दिया है। एक-दो दुर्घटनाओं की वजह से देश को बदनाम करना अनुचित है। हमारे देश में इतने बड़े-बड़े सांप्रदायिक नरसंहार हुए हैं। उस समय इन कलाकारों और साहित्यकारों को क्या हुआ था?
भेड़चाल में आंख मींच कर चलने वाले इन कलाकारों से मेरा कहना है कि यदि आपको मोदी का विरोध करना है तो आप डटकर क्यों नहीं करते? खुलकर क्यों नहीं करते? भारत में पूरी छूट है। सहिष्णुता है। यदि ऐसा नहीं होता तो इतने हिंदू साहित्यकार और कलाकार अपने सम्मान क्यों लौटाते? मोदी को चाहिए था कि वे उन हत्याओं की तत्काल कड़ी निंदा करते और अपने अनर्गल प्रलाप करने वाले साथियों को फटकारते लेकिन मोदी हैं कि वे भी इन नौटंकियों का मजा ले रहे हैं। अपना देश ही नौटंकीमय होता जा रहा है।
Comments
Ritu Joshi aamir budhiman h..wo jnte h ki unohne kya kha.. iske picche v rajnitit hSee Translation
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Shailesh Bhadani Bhadani आपका कहना बिल्कुल सही है ।मिडीया तोड़ मरोकर पेश कर रहा है ।
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Sharad Alok आपका कहना बिल्कुल सही है , सारा हंगामा सिर्फ एक वाक्य के चारों तरफ घूम रहा है।
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Naresh Saxena आमिरखान की दबी हुई बात को उभारने के लिये धन्यवाद।लेकिन मोदी जी की एक खास मुद्दे पर चुप्पी उनके लिए कितनी खतरनाक हो चुकी है यह वे जान चुके होंगे।
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Vijay Wate कोई भी कहीं से कोई डमरू बजा देता है और उस पर समर्थन या विरोध खेला जाता है। न तो आमिर का समर्थन करने वाले सिरियस न विरोध करने वाले,आमिर की फिल्मे न देखने का आव्हान करने वाले उसकी फिल्मे जरुर देखेंगे। वैसे ये बात का बतंगड़ ही है। फ़ालतू टाइम पास।
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Vijay Kaushal आमिर के मन में खोट है, इतना हंगामा हो रहा है क्यों नही किरन के लहंगे की ओट से बाहर निकल कर सच बयां क्यों नही कर रहा है
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Sanjay Rai में आपको 1990 मे रेडियो मास्को पर सुनता था । अभी कुछ सही आप लिखे हैं ।
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Dr-Anil Kumar Jain Good analysis
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Rahul Mishra 90 ke dashak ke Laloo ji ( aaj ke Laloo ji ke baare mein samay bataiga) aur aaj ke Modi ji mein koi fark nazar nahi aata, wo bhi dishahin thae aur ye bhi.See Translation
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Rakesh Bhartiya क्या आमिर को नहीं मालूम था कि पत्नी के नाम पर जो बात वो कह रहे हैं उस पर क्या प्रतिक्रिया होगी ?कोई भी व्यक्ति ,सही होने पर भी अपनी पत्नी को विवादस्पद स्थिति से दूर ही रखता। आमिर खान होशियार अदाकार हैं । वो जो बात खुद कहना चाहते हें वो अपनी पत्नि को...See More
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Narendra Pundrik yh un khbrchiyo ka kmal hai jo kuchh din phle unnav ke aek ganv me sona khdwa rhe theSee Translation
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Pradeep Singh Panwar संविधानिक लचीलेपन का मिडिया.व तथाकथित कलाकार लोग फायदा उठा रहे है.... आज वास्तव मेआपातकाल की जरूरत को महसूस किया जा सकता है
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Rahul Khaira Amir bachhe nahi hai !See Translation
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