Saturday, October 31, 2015

वैज्ञानिक सोच का कोई रास्ता बचा नहीं तमसोमाज्योतिर्गमय का असहिष्णुताविरोधी आंदोलन के खिलाफ लामबंदी तेज। तो क्या भारत के राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं और ये तमाम लोग यही महाभियोग उनके खिलाफ दर्ज कराने के अभियान में जुट रहे हैं.यह हम जैसे अपढ़ और अधपढ़ की समझ से बाहर है। असहिष्णुता की बहस में कूदे राजन, परस्पर सम्मान का किया आह्वान शायद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी झूठ बोल रहे हैं और हमें उनकी नौकरी की परवाह हो रही है। शारदा मामला रफा दफा,बिना सबूत गिरफ्तारी के लिए आदालत ने सीबीआई को फटकार लगायी और मंत्री मदन मित्र को मिल गयी जमानत।मतलब भी बूझ लें।


कोई विकल्प नहीं है वैज्ञानिक सोच का
कोई रास्ता बचा नहीं
तमसोमाज्योतिर्गमय का
असहिष्णुताविरोधी आंदोलन के खिलाफ लामबंदी तेज।
तो क्या भारत के राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं और ये तमाम लोग यही महाभियोग उनके खिलाफ दर्ज कराने के अभियान में जुट रहे हैं.यह हम जैसे अपढ़ और अधपढ़ की समझ से बाहर है।

असहिष्णुता की बहस में कूदे राजन, परस्पर सम्मान का किया आह्वान

शायद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी झूठ बोल रहे हैं और हमें उनकी नौकरी की परवाह हो रही है।
शारदा मामला रफा दफा,बिना सबूत गिरफ्तारी के लिए आदालत ने सीबीआई को फटकार लगायी और मंत्री मदन मित्र को मिल गयी जमानत।मतलब भी बूझ लें।
पलाश विश्वास




Indira Gandhi "I will serve my country till my last"
https://www.youtube.com/watch?v=56_rFuGh8aQ

दिल्ली कूड़ा कूड़ा है लेकिन सफाईकर्मियों की चिंता किसी को नहीं है क्योंकि स्वच्छता के दुश्मन है सफाईकर्मी,ऐसी सोच है।

इसीतरह छोटा राजन की गिरफ्तारी  या आत्मसमर्पणके बाद सबसे बड़ी खबर अदालतसे मदन मित्र की जमानत है।अब तक उन्हें क्यों लगभग सालभर में इन कानूनी दलीलों के बावजूद जमानत नहीं मिली ,यह रहस्य शायद ही खुले।सीबीआई को अदालतसे बिना सबूत उन्हें गिरफ्तार करने के लिए फटकार भी मिली है और वह बचीखुची साख बचाने को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी। अब सवाल है कि सांसद कुणाल घोष को क्यों जमानत नहीं मिल रही है।जाहिर है कि हम इसका जवाब नहीं जानते।

बिहार का जनादेश अभी आया नहीं है और जमीन से खबरें आ रही हैं कि धर्म वहां संकट में है।गोमांस और गोरक्षा आंदोलन के बावजूद हिंदुत्व के एजंडे को बहुमत मिल भी जायेगा या नहीं,ईवीएम बतायेगा।

जाहिर है कि अगले चुनाव यूपी और बंगाल में भी होंगे।जहां अग्नि परीक्षा है।धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण और जाति युद्ध से समीकरण किसके पक्ष में जायेगा, यह कहना बेहद मुश्किल है।
इससे निबटने की तैयारी जोरों पर है।

वामपक्ष बंगाल में मदन मित्र की रिहाई पर धूल चाटने को मजबूर होगा कि नहीं,हम नहीं कह सकते।

जाति का गणित बंगाल में चलेगा नहीं।लेकिन धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण की हर चंद कोशिश जारी है।

इस ध्रवीकरण से वैज्ञानिक सोच,प्रगति,धर्मनिरपेक्षता और गणतंत्र का क्या हाल होने वाला है,यह बहुत जल्द मालूम होगा 2016 में।विधानसभा चुनावों में कि जमीन में कितने गहरे पैठ पाये हैं वामदल और वामपंथी कायर्कर्ता और नेता।

फायदे में होंगे मोदी और दीदी।कहां क्या पक रहा है, हम नहीं जानते।लेकिन शारदा फर्जीवाड़ा अब कोई मुद्दा नहीं है और मामला रफा दफा है।

मदन मित्र अब भी मंत्री हैं और मुकुल राय की वैशाखी से बंगाल में राजनीति होगी नहीं।दीदी और अपराजेय हो गयी हैं तो समझ लीजिये कि गिरफ्तारी और रिहाई का असल खेल क्या है।किसकी मेहरबानी है यह दरअसल बूझ भी लीजिये।

आज सुबह से हमारे तमाम ईमेल आईडी डीएक्टिव है और प्रोफेशनल नेटवर्क से भी हम तड़ी पार हैं।

हमराे पीसी पर निगरानी इतनी बड़ी तकनीकी भूल कि सुबह हम इंदिरा गांधी का अंतिम भाषण खोज नहीं पाये।किसी तरह अमलेंदु को आलेख के साथ वीडियो लगाकर बेज दिये।

अब हम यङ भी नहीं जानते कि इस मेल का क्या होगा।फिर भी लिक रहे हैं कि कोई सूरत शायद आपसे संवाद की बन जाये।

बहरहाल,आज शाम को प्रकाशित बांग्ला सांध्य दैनिक सत्ययुग के मुताबिक असहिष्णुता के खिलाफ एक हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों ने एक ज्ञापन में दस्तखत कर दिये।

नेट पर बांग्लाअपडेट ज्यादातर बांग्लादेश से मिलते हैं।बाकी अगले दिन अखबार छपने पर डिजिटल संस्करण में प्रकशित होते हैं।

सत्ययुग का डिजिटल संस्करण नहीं है।
बांग्ला में अन्यत्र यह खबर मिली नहीं है।
हिंदी में भी नहीं है।

अंग्रेजी में प्रमुखता से  खबर है कि पुरस्कार लौटाने के आंदोलन के खिलाफ सात नवंबर को देशभर के वैज्ञानिक और साहित्यकार और कलाकार राष्ट्रपति को सरकार की असहिष्णुता आंदोलन के खिलाफ सत्ता की सहिष्णुता के पक्ष में ज्ञापन सौपेंगे।ये लोग कौन है,इवेंट के बाद ब्यौरा मिलेगा।

Finance minister Arun Jaitley has termed "rabid anti-BJP elements" the growing number of protesters returning their awards to register their dissent against the alleged increase in intolerance in the country, setting the stage for a larger clash ahead of a counter-protest being planned at Rashtrapati Bhavan on November 7.

A number of "nationalist minded" artists, film personalities and writers plan to lead a campaign called 'Jawab Do' to question those who have chosen to return their awards now, organisers of the counter-protest said.

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खोजबीन में दुनियाभर में विज्ञान की सबसे प्रतिष्टित नेचर पत्रिका में भारतीयवैज्ञानिकों की बगावत के बारे में छपी एक रपट मिली है,जिसे हम साझा कर रहे हैं।

दूसरे तमाम लोगों के मुकाबले वैज्ञानिक बिना कुछ बोले अपना काम करते रहते हैं और राजनीतिक पचड़े से अपने को अलग रखते हैं।जिन वैज्ञानिकों ने विरोध जताया,वे संख्या में उतने भारी न भी हो,तो उनके विरोध का आशय गंभीर है।यह समझ वैज्ञानिक दृष्टि से ही बन सकती है।

अंधियारे का कारोबार करने वालों के दिलोदिमाग में घृणा की सुनामी के अलावा और क्या क्या हैं,हमारे लिए फिलहाल कहना मुश्किल है।इतना साफ जाहिर हैं कि ये वैज्ञानिक किसी भी कोण से राजनीतिक प्राणी नहीं हैं और उनका आशय भी राजनीतिक नहीं है औरन उनका विरोध राजनीतिक है,जो नस्ली रंगभेद की मनुस्मृति सत्ता दावा कर रही है।

हमारे तमाम अर्थशास्त्री खामोश हैं।

आदरणीय अमर्त्य सेन जो सबसे पहले प्रधानमंत्री पद पर आर्थिक सुधारों के नये ईश्वर के राज्याभिषेक के खिलाफ बोले वे भी न जाने क्यों सन्नाटा बुने हुए हैं और हम नहीं जानते कि हमारे अति आदरणीय आइकनों में से कौन कौन असिहुष्णुता को सहिष्णुता बताने के लिए राष्ट्रपति भवन तक जायेंगे।

इसमें एक दृष्टिकटु सौंदर्यबोध सामने आ रहा है,वे राष्ट्रपति को बताने जा रहे हैं कि सत्ता सहिष्णुता की है,असहिष्णुता की कतई नहीं और विरोध करने वाले देश के विकास के विरुद्ध हैं।

शायद वे इन लोगों को बजरंगियों की तरह राष्ट्रविरोधी,पाकिस्तान की औलाद वगैरह वगैरह न कहें।दृष्टिकटु यह है कि राष्ट्रपति ने एकबार नहीं,बार बार असहिष्णुता के खिलाफ भारत सरकार को चेतावनी दी है।

तो क्या भारत के राष्ट्रपति झूढ बोल रहे हैं और ये तमाम लोग यही महाभियोग उनके खिलाफ दर्ज कराने के अभियान में जुट रहे हैं.यह हम जैसे अपढ़ और अधपढ़ की समझ से बाहर है।

ताजा खबरों के मुताबिक अर्थशास्त्र की खामोशी तोड़ते हुए देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चल रही बहस को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि विचारों के लिये माहौल बेहतर बनाने के वास्ते सहिष्णुता तथा परस्पर सम्मान जरूरी है और किसी समूह विशेष को शारीरिक क्षति पहुंचाने या अपमानजनक शब्द कहने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।

शायद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी झूठ बोल रहे हैं और हमें उनकी नौकरी की परवाह हो रही है।


राजन ने कहा कि भारत की विचार विमर्श की परंपरा और सवाल उठाने की मुक्त भावना आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हरेक सत्ता और परंपरा को चुनौती देने को प्रोत्साहन देने से सत्ता में होने के कारण किसी खास विचार या विचारधारा को थोपने की संभावना खारिज नहीं रहेगी।
दादरी में एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डालने और इसके बाद हुई हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर बढ़ती असहिष्णुता की पृष्ठभूमि में राजन ने यह भी कहा कि सवाल खड़ा करने और चुनौती देने के अधिकार की रक्षा भारत की वृद्धि के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा ‘सहिष्णुता का अर्थ है किसी विचार के प्रति इतना भी असुरक्षित नहीं हों कि कोई उसे चुनौती न दे दे। यह कुछ हद तक अनासक्त होना है जो परिपक्व विमर्श के लिए बेहद आवश्यक है।’
अपने पूर्व संस्थान आईआईटी दिल्ली में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये राजन ने कहा ‘आखिरकार, ऐसे दुर्लभ मामलों में जहां विचार किसी समूह के मूल चरित्र से गहरे जुड़े हों वहां सम्मान की जरूरत है और ऐसे मामलों में चुनौती देते समय हमें अतिरिक्त सावधानी बरतनी होती है।’ उन्होंने कहा कि सहिष्णुता से विचार-विमर्श में आने वाला रोष खत्म किया जा सकता है और सम्मान भी बना रह सकता है।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राजन के भाषण पर टिप्पणी करते हुए ट्विटर पर कहा, ‘उन्हें रिजर्व बैंक जाकर अपना काम करना चाहिए। उन्हें बुजुर्गों की तरह नहीं बोलना चाहिए।’ पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि क्या अब भी भाजपा यही कहेगी कि प्रणब मुखर्जी और रघुराम राजन का असहिष्णुता के खिलाफ आज का भाषण भी ‘कृत्रिम विरोध’ था।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘हम उनके बयान का स्वागत करते हैं। सहिष्णुता है, इसीलिए हम प्रगति कर रहे हैं।’ राजन ने अमेरिका की मिसाल देते हुए कहा कि वहां राष्ट्रीय झंडे को जलाने से वैसी प्रतिक्रिया नहीं होती क्योंकि समाज समय के साथ इसके प्रति सहिष्णु हो गया और अब इसका उपयोग किसी को झटका देने के लिये नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर यदि समूह की भावना ज्यादा सहिष्णु हो जाती है और इसे असानी से चोट नहीं पहुंचाई जा सकती तो आप चोट पहुंचाने का जो प्रयास करेंगे वह खत्म हो जायेगा।’ उन्होंने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा ‘आचार-व्यवहार परस्पर सहिष्णुता का स्वर्णिम नियम है क्योंकि हम सभी एक जैसा नहीं सोचेंगे और हम सत्य को टुकड़ों में तथा अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं।’

রায় শোনার পর প্রথম কী করেন মদন মিত্র?

রায় শোনার পর প্রথম কী করেন মদন মিত্র?
অবশেষে সারদাকাণ্ডে জামিন পেলেন মদন মিত্র। জামিনের নির্দেশ দিল আলিপুর আদালত। এদিন জামিনের শুনানি নিয়ে সিবিআইয়ের আইনজীবীর সওয়ালে তীব্র ক্ষোভপ্রকাশ করেন আলিপুর আদালতের বিচারক। তিনি বলেন, সারদাকাণ্ড অর্থনৈতিক অপরাধ। তথ্যনির্ভর এবং তদন্ত সাপেক্ষ। তাই প্রভাবশালীকে জেলে রাখার দরকার নেই। এরপরেই মদন মিত্রের শর্তাধীনে জামিনের নির্দেশ দেন তিনি।  জামিনের জন্য দুলক্ষ টাকার বন্ড, দুজন সিউরিটি রাখা এবং পাসপোর্ট জমা রাখার নির্দেশ দেন বিচারক। রাজ্য ছেড়ে না যাওয়ার নির্দেশও দিয়েছেন বিচারক। এছাড়া সারাদাকাণ্ডের তদন্তের খাতিরে যখনই প্রয়োজন তখনই হাজিরা দিতে হবে।  হাসপাতালে জামিনের নির্দেশ শোনার পর কেঁদে ফেলেন মদন মিত্র। এদিন সকাল থেকেই উদ্বেগে ছিলেন তিনি। ওয়ার্ডেই পুজোও করেন। জামিনের খবর শোনার পর মদন মিত্র বলেন, বিচার ব্যবস্থার ওপর তাঁর আস্থা আছে। আদালতের রায়ে তিনি খুশি। সূত্রের খবর এবার হাইকোর্টে যাচ্ছে সিবিআই।


Indian scientists join protests over killings of prominent secularists

National science academies decry religious intolerance and government's perceived embrace of superstition.
30 October 2015
Sanjeev Verma/Hindustan Times via Getty Images
Leading Indian scientists have voiced concerns during the past week over religious intolerance and the killings of three noted advocates of rational thinking.
The action is an unusual occurrence in a country where scientists rarely step out of their research domains to comment on social or political issues. It follows an outcry by leading writers, who since September have been returning their national awards in protest against what they see as the government's failure to curb religious intolerance in India.
Anti-superstition activist Narendra Dabholkar was killed in 2013, communist politician Govind Panasare in February of this year and literature scholar Malleshappa Kalburgi in August. All three killings have been blamed on members of extreme right-wing Hindu groups. The killing of Kalburgi triggered the protests from the writers, which intensified early this month after a mob in a town near New Delhi killed a Muslim man who was rumoured to have slaughtered a cow (Hinduism considers cows to be sacred animals).
On 22 October, a group of scientists followed up the writers' protest by launching an online petition to India's president, Pranab Mukherjee, protesting against the killings. It gathered 268 signatories.
The petition was followed on 27 October by a statement from the Inter-Academy Panel on Ethics in Science, a body set up by the Indian National Science Academy, New Delhi; the Indian Academy of Sciences, Bangalore; and the National Academy of Sciences, Allahabad. The statement pointed out that the Indian constitution mandated that “its citizens abide by and uphold reason and scientific temper”.
“Yet,” it continued, we note with sadness and growing anxiety several of [sic] statements and actions which run counter to this constitutional requirement of every citizen of India,” and which should be “nipped in the bud”.
Indira Nath, a member of the panel and an immunologist at the Indian National Science Academy in New Delhi, says that the panel wants to: “bring back rationality and scientific thinking to the mainstream. It is an apolitical statement and not directed against the government of the day.”
A day later, more than 100 scientists from leading Indian science institutes, including national award winners, three fellows of the UK Royal Society and a foreign associate of the US National Academy of Sciences, signed a second statement expressing deep concern over the “climate of intolerance and the ways in which science and reason are being eroded in the country”. The scientists lamented what they called “active promotion of irrational and sectarian thought by important functionaries of the government”.

Irrational thought

Thiagarajan Jayaraman, who is chair of the Centre for Science, Technology and Society at the Tata Institute of Social Sciences in Mumbai and a lead signatory on the second statement, mentioned the example of a statement made by Prime Minister Narendra Modi in October 2014. Modi said that the Hindu elephant-headed deity Ganesha was an example of knowledge of transplantation in ancient India, and that the birth of some mythological characters in the ancient Indian text Mahabharatareflected knowledge of advanced genetics and stem cells.
Naresh Dadhich, a physicist at the Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics in Pune, India, and one of the petitioners to the Indian president, says that “the government has failed to check or discourage the anti-rational environment”.
All three advocates who were killed were “widely regarded by the scientific community as part of efforts to promote science among the public”, Jayaraman adds.
Pushpa Mittra Bhargava, former director of the Centre for Cellular and Molecular Biology, says that he plans to return a national award in protest. “Science is about reason and rationality. If three rationalists can be killed, scientists too can be killed.”
On 29 October, a group of Indian historians joined the fray by releasing their own statement protesting against religious superstition. Groups of artists and sociologists have also issued similar statements.
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 বিতর্ক রুখতে কি  মোদীর ঐক্যের বার্তা! বল্লভভাই প্যাটেলের জন্মবার্ষিকী অনুষ্ঠানে "এক ভারত, শ্রেষ্ঠ ভারতে"র আহ্বান প্রধানমন্ত্রীর

বিতর্ক রুখতে কি মোদীর ঐক্যের বার্তা! বল্লভভাই প্যাটেলের জন্মবার্ষিকী অনুষ্ঠানে "এক ভারত, শ্রেষ্ঠ ভারতে"র আহ্বান প্রধানমন্ত্রীর

সর্দার বল্লভভাই প্যাটেলের ১৪০তম জন্মবার্ষিকী অনুষ্ঠানের মঞ্চ থেকে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী শোনালেন "এক ভারত, শ্রেষ্ঠ ভারত।" "ঐক্য, শান্তি ও সম্প্রীতি" দেশের প্রথম শর্ত। তবে এই বার্তা দেশবাসীকে উদ্বুদ্ধ করার চেষ্টা করলেও রাজনৈতিক বিশেষজ্ঞরা মনে করছেন, সম্প্রীতির বার্তা শুনিয়ে নিজের দলকেই সতর্ক করলেন প্রধানমন্ত্রী।
অসহিষ্ণুতার একের পর এক ঘটনায় তোলপাড় দেশজুড়ে। তারই মাঝে ফের বিতর্কিত মন্তব্য করে বসলেন বিজেপি সভাপতি অমিত শাহ্‌। বৃহস্পতিবার বিহারের চম্পারণে এক নির্বাচনী সভায় বিজেপি সভাপতি বলেন, বিহারে বিজেপি নির্বাচন হেরে গেলে পাকিস্তানে আতশবাজি পোড়ানো হবে। তাই পাকিস্তানে হতাশা বাড়াতে বিহারে বিজেপিকে জেতাতেই হবে।
ঠেকে শিখল দিল্লি পুলিস। কেরালা হাউস কাণ্ডের মত অস্বস্তিকর পরিস্থিতি এড়াতে জারি করা হল নতুন নির্দেশিকা।  দিল্লি পুলিসের এই নির্দেশিকায় বলা হয়েছে, এরপর থেকে,  কোনও রাজ্য সরকারি ভবনে পুলিসি পদক্ষেপ নেওয়ার মত পরিস্থিতি দেখা দিলে, সেই ভবনের রেসিডেন্ট কমিশনার বা তাঁর প্রতিনিধির সঙ্গে পুলিসকে যোগাযোগ করতে হবে। দেরির ফলে কোনও অপরাধ সংগঠিত হওয়া বা আইনশৃঙ্খলা পরিস্থিতির অবনতির সম্ভাবনা দেখা দিলে, সেক্ষেত্রে অবিলম্বে আইনি ব্যবস্থা নেওয়া যেতে পারে।
ভোট এখনও মেটেনি। তার মাঝেই বিহারের মুখ্যমন্ত্রী নীতীশ কুমারের মুখে বিজেপি-র জয়ের কথা। কটাক্ষের সুরে নীতীশ বললেন, বিহারে বিজেপি জিতলে দেশে বড় বিপদ। তিন দফার ভোটের পর বিজেপি সরকার গঠনে আশাবাদী, অন্তত দলের একটা বড় অংশ তাই মনে করছে। কিন্তু বিহারের মুখ্যমন্ত্রী নীতিশ কুমারের সাফ কথা, বিজেপি যদি বিহারে জিতে যায় তাহলে দেশ বড় সমস্যার মুখোমুখি হবে। দেশ একেবারে গাড্ডায় পড়ে যাবে।
কল ড্রপ ইস্যুতে আজ গুরুত্বপূর্ণ বৈঠক। টেলিকম সংস্থাগুলির সিইও-দের সঙ্গে  আলোচনায় বসছেন টেলিকম রেগুলেটরি অথরিটি অফ ইন্ডিয়া অর্থাত্‍ ট্রাইয়ের পদস্থ কর্তারা। মাঝপথে কল কেটে গেলে গ্রাহকদের ক্ষতিপূরণ দেওয়ার যে নির্দেশ সম্প্রতি জারি করেছে ট্রাই, তা নিয়েও কথা হওয়ার সম্ভাবনা রয়েছে। ওই নির্দেশ প্রত্যাহারের দাবিতে ইতিমধ্যে ট্রাই-চেয়ারম্যানকে চিঠি দিয়েছে টেলিকম শিল্পের দুটি সংগঠন। এ বছরের গোড়া থেকেই কল-ড্রপ সমস্যায় জেরবার গ্রাহকরা।

Indira Gandhi "I will serve my country till my last" https://www.youtube.com/watch?v=56_rFuGh8aQ RSS destroyed investment also!Swachata ABhiyan!Really! घंटी बाजे घना घना,अब समझो किस्सा खत्म! ঠাকুর থাকবে কতক্ষণ! Excuse me! Government of Fascism lost the MANDATE! https://youtu.be/oxekKyfr-MY Palash Biswas





Indira Gandhi "I will serve my country till my last"
https://www.youtube.com/watch?v=56_rFuGh8aQ

RSS destroyed investment also!Swachata ABhiyan!Really!
घंटी बाजे घना घना,अब समझो किस्सा खत्म!
ঠাকুর থাকবে কতক্ষণ!


Excuse me! Government of Fascism lost the MANDATE! https://youtu.be/oxekKyfr-MY

Palash Biswas
The nation today remembered former Prime Minister Indira Gandhi on her 31st death anniversary with President Pranab Mukherjee, Vice President Hamid Ansari and other leaders paying tributes at her memorial in New Delhi filled with filth as Sanitary workers are not Paid and the ruling class and Caste Hegemony is not ashamed despite so much so hyped Swachata ABhiyan!

Indira Gandhi "I will serve my country till my last" - YouTube

www.youtube.com/watch?v=56_rFuGh8aQ

Aug 29, 2011 - Uploaded by robertvadraindia
Indira Gandhi addressed a huge gathering. In my ... I will continue to do so till my last breath said Indira ...

Last inspiring speech of Prime Minister Smt.Indira Gandhi at ...

www.youtube.com/watch?v=oIvsEdbTTec

Oct 31, 2013 - Uploaded by Indian National Congress
It is not a case of strengthening the hands of Indira Gandhialone. It means that the hands of millions of people ...

Last speech of Prime Minister Indira Gandhi prior to her ...

www.indiastudychannel.com/.../142182-Last-speech-of-Prime-Minister-I...

Jun 21, 2011 - In this speech Mrs.Indira Gandhi has indicated about her oncomingdeath to ... delivered at Bhubaneswar in Orissa, prior to her assassination.

The world cloud of Indira Gandhi's last speech | Whypoll

blog.whypoll.org/2013/04/the-world-cloud-of-indira-gandhis-last.html

Apr 9, 2013 - What you see below is a word cloud of Indira Gandhi's last speechwhere she ominously said, 'I am here today; I may not be here tomorrow.

Full speech of Indira Gandhi that she had delivered just ...

www.answers.com › ... › History › History of Asia › History of India

Who was appointed to investigate into the assassination of Indira Gandhi? justice M.P. ... What is the last speech of Indira Gandhi before her death? I am here ...
Indira won Mandate in 1971.She romped home with Landslide victory after eating dust in 1977 Sampurna  Kranti. Rajiv Gandhi supported by RSS itself got Mandate after her mother was murdered.Hitler was aslo had been elected by Germany!No Mandate is final.Thus,the governance of fascism in India lost the Mandate as well as credit globally.CONFIRMED!


I am very happy today that our Executive editor Mukesh Bhardwaj wrote and excellent page BEBAK BOL to voice the conscience of Humanity.pl read Jansatta.

At the same time,I have discussed the latest write up by Shekhar Bandopadhyaya on Indian History. Shekhar is known for his documentation of Chandal Movement which abolished untouchability in Bengal!


Mrs Gandhi pledged her life,every drop of blood to sustain the unity of integrity of Indian Nation.She committed Himalayan blunders,of course,to declare emergency and order Operation Blue Star,but we might not forget her because she nationalized Indian resources, finished Privy purse and always defeated pro US politics,opted for socialist model of development and liberated Bangladesh accepting and activating Vajpayee`s diplomatic skill and maintained non aligned diplomacy and saved Indian Ocean from foreign intrusion!


You mourn or nor mourn,the Nation and we Indian people would remember the most beloved lady in Indian History!





I already have been speaking and writing that this genocide tsunami would kill the free market as Marketing demands love,fraternity peace and the global agenda of Hindutva is all about hatred and ethnic cleansing!It kills the Nation,the religion,the people and the nature!


Shame on you,the Fascist that a foreign agency intervenes our sovereignty as you did not comply the President of India who has intervened time and again with a human call to sustain inherent pluralism and diversity against unprecedented violence and hatred campaign,the beef gate International rating agency.


You charged the conscience of Humanity with sedition!
Moody's Analytics on Friday cautioned Prime Minister Narendra Modi that India might lose domestic and global credibility if he did not rein in controversial members of his Bharatiya Janata Party.


Growing voices in the country against rising intolerance, on Friday, found an echo in Moody’s Analytics— a division of Moody’s Corporation — as it called for Prime Minister Narendra Modi to keep his party members “in check or risk losing domestic and global credibility.”


It also blamed the government for its failure to deliver on promised reforms. While the government does not have a majority in the upper house of the Parliament and has been unable to pass through important legislation, the report titled ‘India Outlook: Searching for Potential’ also said that the controversial comments from various BJP members may not just lead to a possible increase in violence but may also result in stiffer opposition for the government in the Upper House as debate turns away from economic policy.


- See more at: http://www.jansatta.com/#sthash.W8syol4q.dpuf