Friday, October 9, 2015

हिंदुत्व के महागधबंधन ने गांधी का वध कैबिनेट प्रोपजल फाइनल होने से पहले कर दिया था। यह गणतंत्र भूतों का मेला है! और सारे लोग झोलियों में भर भरकर भूतों का कुनबा अंधियारा का कारोबार कर रहे हैं। कोई भी किसी भी भेष में कुछ भी बोल रहा है। कोई भी किसी के खिलाफ कहीं भी फतवा जारी कर रहा है। कोई भी रोजमर्रे की आम जिंदगी को किसिम किसिम के भूत छोड़कर तबाह कर रहा है। कोई भी भूतों का आवाहन करके वोट लूट रहा है।देश बेच रहा है।धर्म बेच रहा है।आस्था बेच रहा है।नफरत का कारोबार कर रहा है। जैसे भारत विभाजन में अंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी वैसे ही गांधी की भी कोई भूमिका नहीं थी।हिंदुत्व के महागठबंधन ने गांधी का वध कैबिनेट प्रोपजल फाइनल होने से पहले कर दिया था।कोलकाता डायरेक्ट एक्शन और नोआखाली के दंगों से पहले।बंगाल और पंजाब और दिल्ली और उत्तर भारत में खून की नदियां बहने से पहले।गांधी का चेहरा दिखाकर हिंदुत्व गठबंधन ने नेताजी, अंबेडकर, फजलुल हक, सीमांत गांधी,वगैरह वगैरह ही नहीं तमाम धर्मनिरपेक्ष,प्रगतिशील,समाजवादी और वाम ताकतों को किनारे लगा दिया और अपना हिंदू राष्ट्र बना लिया। 30 जनवरी,1948 को गोडसे ने सिर्फ गांधी के औपचारिक अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर दी औक सरकारी तौर पर गांधी की मृत्यु घोषणा हुई। सिर्फ भूत बोल रहे हैं।इंसान कहीं नहीं बोल रहा है। हम सिर्फ इंसान और कायनात के हकहकूक के हक में अपनी बेदम आवाज बुलंद कर रहे हैंं। पलाश विश्वास

हिंदुत्व के महागधबंधन ने गांधी का वध कैबिनेट प्रोपजल फाइनल होने से पहले कर दिया था।
यह गणतंत्र भूतों का मेला है!
और सारे लोग झोलियों में भर भरकर भूतों का कुनबा अंधियारा का कारोबार कर रहे हैं।

कोई भी किसी भी भेष में कुछ भी बोल रहा है।

कोई भी किसी के खिलाफ कहीं भी फतवा जारी कर रहा है।

कोई भी रोजमर्रे की आम जिंदगी को किसिम किसिम के भूत छोड़कर तबाह कर रहा है।

कोई भी भूतों का आवाहन करके वोट लूट रहा है।देश बेच रहा है।धर्म बेच रहा है।आस्था बेच रहा है।नफरत का कारोबार कर रहा है।

जैसे भारत विभाजन में अंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी वैसे ही गांधी की भी कोई भूमिका नहीं थी।हिंदुत्व के महागठबंधन ने गांधी का वध कैबिनेट प्रोपजल फाइनल होने से पहले कर दिया था।कोलकाता डायरेक्ट एक्शन और नोआखाली के दंगों से पहले।बंगाल और पंजाब और दिल्ली और उत्तर भारत में खून की नदियां बहने से पहले।गांधी का चेहरा दिखाकर हिंदुत्व गठबंधन ने नेताजी, अंबेडकर, फजलुल हक, सीमांत गांधी,वगैरह वगैरह ही नहीं तमाम धर्मनिरपेक्ष,प्रगतिशील,समाजवादी और वाम ताकतों को किनारे लगा दिया और अपना हिंदू राष्ट्र बना लिया। 30 जनवरी,1948 को गोडसे ने सिर्फ गांधी के औपचारिक अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर दी औक सरकारी तौर पर गांधी की मृत्यु घोषणा हुई।

सिर्फ भूत बोल रहे हैं।इंसान कहीं नहीं बोल रहा है।
हम सिर्फ इंसान और कायनात के हकहकूक के हक में अपनी बेदम आवाज बुलंद कर रहे हैंं।
पलाश विश्वास
मुझे बहुत खुशी है कि हमारे प्रवचन को लोग सुनने लगे हैं।उनका ध्नयवाद।जो देख सुन रहे हैं।

हम वीडियो बनाने में अदक्ष श्रमिक हैं।संपादन कर नहीं सकते क्योंकि तकनीक नहीं है।इसे विजुअल माध्यम की शर्तों के मुताबिक दूसरी चीजों से लिंक कर नहीं सकते।यह हमारी सीमाबद्धता है।

फिरभी जनता से सीधे संवाद के लिए हमें इस माध्यम का भी उपयोग करना पड़ रहा है।

आरपी साही जी का धन्यवाद कि उनने सही गौर किया है कि हम सही मुद्दों को तो उठा रहे हैं।लेकिन दमदार प्रस्तुतीकरण नहीं कर पा रहे हैं।

मुश्किल यह है कि जिनमें दम हैं,वे बेदम हैं और वे मुद्दों को उठाने की तकलीफ कर ही नहीं रहे हैं।हम जैसे अनाड़ी,नौसीखिये को यह काम करना पड़ रहा है।

अब रास्ता एक ही है कि आप हमारी तकनीकी गलतियों को माफ कर दें और जिन मुद्दों को आप सही या गलत मानते हैं,उसपर अपनी बेबाक राय रखें।हस्तक्षेप करें।पढ़ते रहें हस्तक्षेप और हस्तक्षेप पर हस्तक्षेप के लिए आपका स्वागत है।

जो तकनीकी तौर पर दक्ष हैं,वे अपनी तकनीकी दक्षता हमें भी संप्रेषित करें तो हम और कायदे से बात कर सकेंगे।

हमने आनंद तेलतुंबड़े से इस माध्यम को आजमाने से पहले लंबी बात की थी और उनसे निवेदन किया था कि वे जहां भी तथ्यों में गलती हों,तुरंत हस्तक्षेप करें।

कोई सच अंतिम सच नहीं होता।
हम हमेशा सच का  एक ही पक्ष लेकर चलते हैं।
वह सच के पक्ष में भी जिस तरह हो सकता है,वह सच के विपक्ष में भी उसीतरह हो सकता है।

इसलिए हम सच की तमाम परतों को अलहदा करके अंधियारों के तारों को रोशनी से सराबोर करने की कोशिश में हैं क्योंकि और जो हो ,सो हो,हम अंधियारा के कारोबारी नहीं है।

आज बंगलूर के प्रभाकर से हमने बात की तो पता चला कि दक्षिण बार के लोग भी हमारा प्रवचन देख और साझा कर रहे हैं और दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी इसकी गूंज पहुंच रही है।

हमारा मकसद कुल यही है कि देश और दुनिया को हम जोड़ना चाहते हैं और सियासत,मजहब और हुकूमत देश दुनिया को पह पल छिन हर पलछिन तोड़ने में लगी है।

वे महाशक्तियां हमें नागरिक और मानव अधिकारों से इस कायनात की तमाम रहमतों, बरकतों और नियामतों से बेदखल कर रही हैं।

हम सारे लोग,सारे मनुष्य इस बंटवारे के शिकार तन्हा तन्हा पहचान और अस्मिताओं,जातियों,नस्लों और धर्म और उनकी अस्मिताओं मं कैद दरअसल अनंत विभाजन और विखंडने के शिकार हैं।विकास के नाम हम पागल दौड़ में शामिल है।

जिसे हम गणतंत्र समझ रहे हैं,वह दरअसल भूतों का मेला है और तमाम ओझा,गुणीन,भूत प्रेत,देवता अपदेवता ,देवियों,अपदेवियों के एजंट हमारी किस्मत बना बिगाड़ रहे हैं।

आनंद ने आगाह किया था कि फिक्र मत करो कि जब मुद्दों पर बोलोगे तो कोई नहीं बोलेगा।मुद्दों पर बात करना बहुत मुश्किल है।जो मुद्दा नहीं है ,हंगामा उसी का होता है।

मुद्दों पर कोई अपना पक्ष खुलकर रखनेवाला नहीं है।
कोई प्रतिक्रिया देनेवाला नहीं है और न कोई संवाद होने वाला है।

जाहिर है कि सब फोटो शेयर करते हैं,मुद्दे नहीं,मसले नहीं।
यकीनन नहीं।यही सुविधा हर तानाशाह की है।

तानाशाह खुद को नहीं गढ़ता,हम तानाशाह को गढ़ते हैं।
जैसे हम मूर्तियां बनाते हैं देव देवियों की वैसे ही हम तानाशाह रचते हैं।फिर हमारी आस्था हमारे अनजाने अंध राष्ट्रवाद में बदल जाती है और तानाशाह महाजिन्न टायटैनिक बाबा,देस टायचैनिक जहाज।जहाज डूब रहा होता है जैसे टायटैनिक डूबा।

वैसे ही देश डूब में तब्दील है।
हम जश्न मना रहे हैं।
जित देखो तित भूतों का मेला लगा है।

भूतों की थान पर हाथ में तलवारें लेकर हम अपना नरमुंड चढ़ाकर कंबंध बनकर नाच गा रहे हैं।
यही मुक्त बाजार है।

जाहिर है कि यह गणतंत्र भूतो का मेला है और सारे लोग झोलियों में भर भरकर भूतों का कुनबा अंधियारा का कारोबार कर रहे हैं।

कोई भी किसी भी भेष में कुछ भी बोल रहा है।

कोई भी किसी के खिलाफ कहीं भी फतवा जारी कर रहा है।

कोई भी रोजमर्रे की आम जिंदगी को किसिम किसिम के भूत छोड़कर तबाह कर रहा है।

कोई भी भूतों का आवाहन करके वोट लूट रहा है।
देश बेच रहा है।
धर्म बेच रहा है।
आस्था बेच रहा है।
नफरत का कारोबार कर रहा है।

सिर्फ भूत बोल रहे हैं।इंसान कहीं नहीं बोल रहा है।
हम सिर्फ इंसान और कायनात के हकहकूक के हक में अपनी बेदम आवाज बुलंद कर रहे हैंं।






RP Shahi
you are raising relevant points but your way of presentation is not good..and I dont think any one would listen to full video.
बहरहाल आज प्रवचन देने की हालत नहीं है।

सविता बाबू का सख्त हुकुम है कि अब बेमतलब चीखना नहीं है जबकुछ न कोई सुन रहा है है और न देख रहा है।

उन्हें शिकायत है कि अब तक लिख लिखकर खून जला रहे थे तो अब नयी बीमारी लगी है गला चिरवाने की।
फिलहाल हम उनके शरणार्थी हैं।
जब फिर उनकी इजाजत होगी तभी बोलेंगे।
जाहिर है कि हम भी जोरु के गुलाम हैं।

हम पितृसत्ता के भी खिलाफ हैं और चाहते हैं कि कम से कम हननमारे घरों में राजकाज स्त्री का हो और उनमें दम हो तो वे दुनिया पर राज भी करें ताकि दुनिया का गुलशन इतना बेरहम न हो।प्रकृति से जो संबंध स्त्री का है,वही सभ्यता का इतिहास है।

पिछले दिनों भारत विभाजन और हिंदुत्व के पुनरूत्थान की कथा बांचते हुए करीब एक एक घंटे के चार प्रवचन जारी किये हैं।

बंगलूर में इन वीडियो को एकसाथ दक्षिण भारतीय भाषाओं में प्रसारित करने की योजना है और जल्द ही चेन्नई या बंगलूर या हैदराबाद में हम लोग सीधे जनता के मुखातिब होंगे।

हमने भारत विभाजन की प्रचलित कथाओं में शुरु से लेकर अबतक दिखायी जा रही मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी यानी राष्ट्रपिता की लार्ड माुंटबेटन की तस्वीर के पीछे,परदे के पीछे हुई गहरी साजिशों,मौखिक सौदेबाजी,नेताजी के बहिष्कार,फजलुल हक की किसान मजदूर प्रजा की सरकार गिराकर मुस्लिम लीग की सरकार बनवाकर दो राष्ट्र के सिद्धांत और उसी मुताबिक सियासत,मजहब हुकूमत के मनुस्मृति शासन के रचनाकारों की भूमिका के साथ साथ सीमांत गांधी,बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर और जोगेंद्र नाथ मंडल की बेबसी का भी खुलासा करते रहे हैं।

जैसे भारत विभाजन में अंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी वैसे ही गांधी की भी कोई भूमिका नहीं थी।

हिंदुत्व के महागधबंधन ने गांधी का वध कैबिनेट प्रोपजल फाइनल होने से पहले कर दिया था।

कोलकाता डायरेक्ट एक्शन और नोआखाली के दंगों से पहले।बंगाल और पंजाब और दिल्ली और उत्तरभारत में खून की नदियां बहने से पहले।गांधी का चेहरा दिखाकर हिंदुत्व गठबंधन ने नेताजी, अंबेडकर, फजलुल हक, सीमांत गांधी,वगैरह वगैरह ही नहीं तमाम धर्मनिरपेक्ष,प्रगतिशील,समाजवादी और वाम ताकतों को किनारे लगा दिया और अपना हिंदू राष्ट्र बना लिया। 30 जनवरी,1948 को गोडसे ने सिर्फ गांधी के औपचारिक अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर दी औक सरकारी तौर पर गांधी की मृत्यु घोषणा हुई।

गांधी की हत्या इसलिए हुई कि गांधी भारत विभाजन के खिलाफ थे।

हे राम कहकर प्राण त्यागने वाले गांधी हिंदुत्व के असल वारिश थे और उनके बाद कोई हिंदू नहीं हुआ और अब हर हिंदू बजरंगी है,जिनका न कायनात से कोई वास्ता है,न इंसानियत से।सियालत मजहब और हुकूमत भी उनके लिए रकारोबार है या फिर मुक्त बाजार का जश्न।


हम चाहते हैं इन मुद्दों पर जमकर बहस हो और हम सिर्फ मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करें ताकि इंसानियत बची रहे,बची रहे दुनिया,बची रहे कायनात।

हम इस बहस के लिए जारी वीडियो के लिंक बार बार जारी कर रहे हैं।कृपया देख लें और हम सही हों या गलत,अपना पक्ष जरुर बतायें और हस्तक्षेप भी करें।देखते रहे हस्तक्षेप।
Please skip the beef gate!Skip the Culture Shock!
It divides India vertically in Hindutva and Islam as it had been divided just before the Partition to have a Hindu Nation.
The Grand Hindu alliance excluding the democratic, secular and progressive forces and the father of the nation Killed Gandhi and Godse just performed the last vedic rites!And we are the Victims of Partition which continues!
पुरस्कार लौटाने से कुछ बदलने वाला नहीं है अगर हम लड़ाई के  मैदान में कहीं हैं ही नहीं!

গর্বের সাথে বলো, আমরা বাঙালি বাঘের বাচ্চা


Palash Biswas
I have been trying to decode the partition phenomenon and already posted three videos.Better that you should watch all of them and interact to help us in our quest for the truth which we perhaps do not know at all!

Did Gandhi endorse the Hindu Nation? Had he any role in partition at all?
गहरी साजिशों और सौदेबाजी का नतीजा रहा है भारत का बंटवारा!बंटवारा का वहीं सिलसिला जारी है।
अंबेडकर ने संविधान का प्रावधान रचा लेकिन भारत विभाजन के केबिनेट मिशन के प्रस्तावों में उनका योगदान ता नहीं और न ही इन प्रस्तावों के बारे में वे जानते थे।
हिंदुत्ववादियों ने हिंदू राष्ट्र और मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान ब्रिटिश हुकूमत की मर्जी मुताबिक हासिल किया और किसी ने ऐतराज भी नहीं किया।
सत्ता पर काबिज होकर कायनात की सारी रहमतों,बरकतों और नियमतों की दखलदारी के मकसद से जातियां और अस्मिताएं जो कुत्तों की सरह लड़ रही है,वही सियासत है इनदिनों।
क्या बाबासाहेब ने भारत विभाजन के लिए गांधी और कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया था?
बाबासाहेब ईश्वर नहीं थे।उन्हें कृपया ईश्वर न बनाइये।सच का  सामना  कीजिये।
विडंबना है कि हिंदू राष्ट्र भारत ने नेपाल को चीन की झोली में डाल दिया।क्या यह राष्ट्रद्रोह नहीं है?
भारतले मधेसवादी आन्दोलनकारीहरूको मागप्रतिसहमति जनाउंदै नेपालको नयां संविधान २०७२ लाईसमर्थन गरेन। यसै वहानामा विगत दुई हप्तादेखिभारतले नेपालविरुद्ध अघोषित नाकावन्दी गरेकोलेनेपालीको जन-जीवन अति कष्टकर भएको छ।
and see the plight of the victims of partition!
গর্বের সাথে বলো, আমরা বাঙালি বাঘের বাচ্চা

গর্বের সাথে বলো, আমরা বাঙালি বাঘের বাচ্চা

2015/10/06 0 Comments
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