Friday, October 23, 2015

साहित्य अकेडमी के बाहर साहित्यकारों का विरोध!কমরেড,এই আমাদের দেশ,সোনা দিয়ে বাঁধিয়ে রাখুন পুরস্কার সম্মান, মিছিলে হাঁটলেই হিটলার পরাজিত হবে!

साहित्य अकेडमी के बाहर साहित्यकारों का विरोध

কমরেড,এই আমাদের দেশ,সোনা 

দিয়ে বাঁধিয়ে রাখুন পুরস্কার 


সম্মান, মিছিলে হাঁটলেই হিটলার 


পরাজিত হবে!

मैदान छोड़ना नहीं, पीठ दिखाना नहीं, फासीवाद हारने लगा है!
देश को जोड़ लें,दुनिया जोड़ लें,कोई अकेला भी नहीं है!
इंडियन एक्सप्रेस की ताजा रपट हैः

Sahitya Akademi condemns MM Kalburgi's murder, appeals to writers to take back awards

Sahitya Akademi condemns MM Kalburgi's murder, appeals to writers to take back awards
  • लेखकों के प्रदर्शन के जवाब में जवाबी प्रदर्शन

  • नई दिल्ली : साहित्य अकादमी के खिलाफ लेखकों की शांतिपूर्ण मौन रैली के विरोध में लोगों के एक अन्य वर्ग ने जवाबी प्रदर्शन का आयोजन किया। उनका आरोप था कि लेखकों की पुरस्कार लौटाने की कार्रवाई 'उनके निहित स्वार्थों से प्रेरित' है और कहा कि साहित्य संगठन को 'दबाव' में नहीं आना चाहिए।
  • ज्वाइंट एक्शन ग्रुप ऑफ नेशनलिस्ट माइंडेड आर्टिस्ट्स एंड थिंकर्स, जनमत द्वारा प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इसने अकादमी को एक ज्ञापन भी सौंपा और लेखकों की मंशा पर सवाल उठाए। इनका आरोप था कि इनमें से बहुत सारे लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जनादेश नहीं देने के लिए मतदाताओं से अपील की थी।
  • भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसके साथ ही विभिन्न भाषाओं के लेखकों ने सफदर हाशमी मार्ग के श्री राम सेन्टर से साहित्य अकादमी भवन तक रैली निकाली। इनकी मांग थी कि लेखकों की अभिव्यक्ति की आजादी और विरोध प्रकट करने के अधिकार की रक्षा के लिए अकादमी द्वारा प्रस्ताव पारित किया जाए।
  • जनमत ने कहा, 'हम साहित्य अकादमी से अपील करते हैं कि वह अपना स्वायत्त स्वरूप बनाए रखे और उन कुछ लेखकों के दबाव में नहीं आए जो इससे पहले देश के लोगों से प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी को जनादेश नहीं देने की अपील कर चुके हैं।'
  • ज्ञापन में कहा गया है, 'ये लोग किस चीज से असहमति जता रहे हैं? सचाई यह है कि उनके बीच में एक कवि है, जो साहित्य अकादमी के पद के लिए प्रयासरत थे और बुरी तरह विफल रहे। उनका सुझाव था कि अध्यक्ष पद के चुनाव कराने की बजाय इस पद पर नियुक्ति सीधे सरकार द्वारा होनी चाहिए।'
  • नचिमुतू ने कहा, 'हत्याओं की निन्दा करने के लिए सभी लेखक अपने सर्वसम्मत फैसले में साथ खड़े हैं।' 'बढ़ती असहिष्णुता' की निन्दा करने की लेखकों की मांग पर उन्होंने कहा, 'हां हमने उसका भी समाधान किया है।' उन्होंने कहा कि जल्द ही विस्तृत बयान जारी किया जाएगा।
  • अकादमी की बोर्ड बैठक 17 दिसंबर को होगी जहां पुरस्कार लौटाने से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा होगी।
  • नयनतारा सहगल, अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश, केकी एन दारूवाला, के. वीरभद्रप्पा सहित कम से कम 35 लेखक अपने अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्यिक इकाई के अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते अकादमी ने आज एक आपातकालीन बैठक की।
  • इससे पूर्व आज दिन में, अकादमी की बैठक से पहले लेखकों और उनके समर्थकों ने काली पट्टी बांधकर यहां एकजुटता मार्च आयोजित किया ।
  • एक दूसरे समूह ने प्रदर्शन के विरोध में यह कहते हुए जवाबी प्रदर्शन किया कि लेखकों का पुरस्कार लौटाना 'उनके निहित स्वार्थों से प्रेरित है' तथा साहित्य अकादमी को 'दबाव' के सामने झुकना नहीं चाहिए।
मैदान छोड़ना नहीं, पीठ दिखाना नहीं, फासीवाद हारने लगा है!
Kejriwal,do you hear me?
Please resolve the problems of Safai employees in Delhi as Indian Democracy has no ears for Untouchables, Bahujans!

নীলকন্ঠ পাখির খোঁজ নেই,তবু বিসর্জন!সুন্দরবনের সধবা বিধবা মেয়েদের প্রতি মুহুর্তে চলছে বিসর্জন নীলকন্ঠ পাখিদের ছাড়া!সেই সুন্দরবনকে ধ্বংস করে আমরা গড়ছি সভ্যতার উপনিবেশ!এই শাব হিউম্যান পৃথীবীতে গেদখল হারিয়ে যাওয়া মানুষদের কোনো ছিকানা নেই!ঝড় চলছে,ভুমিক্মপ হচ্ছে,সুনামী অব্যাহত!আমারা খবর রাখিনা!আত্মঘাতী বাঙালি ধ্বংস করছে সেই সুন্দরবন,সেই মহাঅরণ্য,যে জলপ্রলয় থেকে রক্ষা করছে আমাদের হাজারো বছর ধরে!মনুষত্য ও সভ্যতার জন্য এই ধ্ংস লীলা বন্ধ হোক!

Sundarbans - Wikipedia, the free encyclopedia

The Sundarbans (Bengali: সুন্দরবন, Shundorbôn) is a natural region in the Bengal region comprising Eastern India and Bangladesh. It is the largest single block ..
Kejriwal reduced to MAHISHASUR calls for overhaul as Rape Tsunami continues


Rabindra Nath Tagore wrote about the lighthouse of this human civilization and complained that those who live in eternal darkness of untouchability,racist apartheid,they bear every burn,they bleed to ensure the light for us and we have no sympathy for those majority masses,the bahujan samaj.We never discussed this point.
কোথায় সেই ভারততীর্থ রবি ঠাকুরের?ধর্মোন্মাদী রাষ্ট্র ও সময়ে মহিষাসুরমর্দিনী  দশ প্রহরণ ধারিণী দুর্গে বধিছে অসুর!নীল কন্ঠ পাখী থাক না থাক,বিসর্জনের ডাক ঢাকের বোল,বোধন.দেবী দর্শন,প্যান্ডেল,থিম ঝাঁপিয়ে সেই স্বেচ্ছা মৃত্যু,আত্মধ্বংস,অমোঘ বিসর্জন।কালরাত্রির শেষ নেই।দুর্যোগের শষ নেই।

ঠাকুর থাকবে কতক্ষণ?

We,the activists of creativity from 150 nations stand Unitedto sustain Humanity and nature!
বাংলার সুশীল সমাজ 1857 সালে মহাবিদ্রোহে সুশীল বালক ছিল!
তাঁরা চুয়াড় বিদ্রোহ,সন্যাসী বিদ্রোহ,নীল বিদ্রোহ,সাঁওতাল মুন্ডা ভীল বিদ্রোহের সমর্থনে দাঁড়াননি!তাঁরা চিরকালই শাসক শ্রেণীর অন্তর্ভুক্ত!
আজও তাঁরা নিরুত্তাপ!প্রতিবাদ করবেন কিন্তু সম্মান পুরস্কার ফেরত নৈব নৈব চ!শুধু এই শারদে মন্দাক্রান্তা বাংলার মুখ!ভালোবাসার মুখ!
সারা বিশ্বের শিল্প সাহিত্য সংস্কৃতির দায়বদ্ধতার মুখ!ভালোবাসা!

This ultimate passion to sustain humanity is the basic resource, original inspiration of poetry and poetic justice is all about the eternal call of equality, truth, pluralism, diversity and humanity!
মন্ত্রহীণ,ব্রাত্য,জাতিহারা রবীন্দ্র,রবীন্দ্র সঙ্গীত!








अछूत रवींद्रनाथ का दलित विमर्श

Out caste Tagore Poetry is all about Universal Brotherhood which makes India the greatest ever Ocean which merges so many streams of Humanity!
आप हमारा गला भले काट दो,सर कलम कर दो लब आजाद रहेंगे! क्योंकि हिटलर के राजकाज में भी जर्मनी के संस्कृतिकर्मी भी प्रतिरोध के मोर्चे पर लामबंद सर कटवाने को तैयार थे।जो भी सर कटवाने को हमारे कारवां में शामिल होने को तैयार हैं,अपने मोर्चे पर उनका स्वागत है।स्वागत है।

Samrat Ashok tried his best to create a world of universal fraternity,the Mulk of Insaniayat and so that he sent his son and daughter to communicate the humanity worldwide the Message of truth,peace,nonviolence an Panchseel which is all about the Mission of Lord Buddha.

Coincidentally,every major poem written by Tagore ends into the ultimate cry;BUDDHAM SHRANAM GACHHAMI!

সেই কালরাত্রি ব্যাপিছে আকাশ বাতাস,এই রকেট ক্যাপসুল নিবেদিত সত্যি,বড় দুর্গার শারদোত্সব,সেই অমোঘ দর্যোগের অবসর নেই,যে কালরাত্রিতে কালরাত্রিতে সর্বজয়ার মাতৃত্বে বজ্রাঘাত করে দুর্গা ভাই অপুকে একলা ছেড়ে চলে গেল চিরকালের মত।সব মায়েদের বোনেদের মত দুর্গা বাপের বাড়ি ফেরে নাই।ফিরিবে না কোনো কাল।অপূু চিরকালই একা।সেই দিদি নেই,সেই কাশফুল নেই,সেই বোড়াল নেই,সেই কু ঝিকঝিক ট্রেন নেই,আকাশে সেই ইন্দ্রধনু নেই,নেই গ্রাম,চাষ আবাদ,শিল্প বাণিজ্য।আমরা নাগরিক,গ্রাম হারিয়ে গেছে।নীলকন্ঠ পাখি নিঃখোজ।ব্যবাসা বামিজ্য সবই পুজো,সত্যি, বড় দুর্গার পুজো।সত্যজিতের দেবীর মত মায়েরা বোনেরা দেবী হয়েও বিসর্জনে নিবেদিত যেমন রামরাজত্যে মর্যাদা পুরুষোত্তম শ্রী রামচন্দ্র সরযু নদীতে স্বেচ্ছা বিসর্জনে নিবেদিত ও বনবাসঅন্তে সীতার পাতালগমন।
পথের পাঁচালি বা আরণ্যক আর লেখা হবে না।ফিরবে না রবীন্দ্রনাথ,নজরুল,সুকান্ত,নেতাজি,সত্যজিত,বিভুতিভূষণ,শরত ও দুর্গা।চারিদিকে শ্মশান।সীমেন্টের এই জঙ্গলে ,শিল্পায়ণে ভূমি অধিগ্রহণে,নলেজ ইকোনোমী,চোচাল প্রাইভেটাইজেশনে,হাউসিং হেল্থ হাবের উন্নয়ণে মহানগরের গ্রাসে গ্রাম বাংলা।

মনুষ্যতা,পরিবার,সমাজ,সভ্যতা,ধর্ম কর্ম,ব্যবসা বাণিজ্য, শিল্প, পবিত্রতা,নৈতিকতা,মা ছিলে,বাপ মেয়ে,ভাই বোনের কর্ত সম্পর্ক সবকিছুর উপরে রকেটক্যাপসুল নিবেদিত শারদোত্সব।

বাংলায় এখন মহিষাসুর বধ চলছে!তবু ভালো,এখনো গৌরিকায়ণের কুরুক্ষেত্র থেকে এখনো বাংলা বহুদুরে!আল্লাহো আকবর ও পাল্টা হর হর মহাদেবের প্রলয়ন্কর আবাহন দেবীর বোধন সত্যি বড় দুর্গার মত বিপর্যয় ডেকে আনতে পারে যে কোনো সময়,যেহেতু দাবানলের মত মনুস্মৃতি শাসনের জিহ্বা সারা দেশ গ্রাস করেছে! সেই দাবানল প্রতিহত করার কোনো দায়বদ্ধতা নন্দীগ্রাম সিঙ্গুর খ্যাত পৃথীবী বিখ্যাত বাংলার সুশীল সমাজের নেই!সারা পৃথীবীর এক শো পন্চাশটি দেশের লেখক কবি শিল্পীদের মধ্যে বাংলার শুধু একজন,সে আমাদের মন্দাক্রান্তা!

Gopal Rathi's photo.


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