Uday Prakash
...तो अब कला और विचार के प्रति 'सहिष्णुता' का एक और नमूना सामने आ गया. जयपुर के जवाहर कला केंद्र की समिति से भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित कलाकार अनीश कपूर की नियुक्ति राजस्थान सरकार ने रद्द कर दी.
पद्मभूषण के अलावा उन्हें फ्रांस में किसी कलाकार को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान भी मिल चुका है और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'नाइटहुड' की पदवी दी है.
अभी तीन रोज़ पहले ही मैंने आईआईसी में आयोजित 'संवाद शृंखला' में उन्हें किसी कट्टर संगठन द्वारा दी गयी धमकी का ज़िक्र किया था, और आज की खबर यह है कि वसुंधरा राजे की सरकार ने उन्हें जवाहर कलाकेन्द्र से हटा दिया. चार-पांच दिन पहले किसी संगठन ने अनीश कपूर की 'जीभ काट लेने वाले को २१ लाख रुपये का ईनाम' देने का फतवा जारी किया था.
मुम्बई में जन्मे और ७० के दशक से लन्दन में रहने वाले संसार के सुविख्यात शिल्पकार अनीश कपूर के बारे में मैं कई बार लिख चुका हूँ. शिकागो, न्यूयार्क, इंग्लैण्ड, फ्रांस, नार्वे समेत कई देशों में उनकी कलाकृतियाँ दूर-दूर के देशों से आये पर्यटकों और कलाप्रेमियों को आकर्षित करती हैं.
अनीश के पिता हिन्दू और मां यहूदी हैं.
तीन महीने पहले, अगस्त में, अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान मैंने शिकागो के विश्वविख्यात मिलेनियम पार्क में अनीश कपूर की कलाकृति के कुछ चित्र इसी फेसबुक के अपनी वाल पर पर पोस्ट किये थे. इसके कुछ साल पहले भी अपने हिन्दीवाले ब्लॉग में उनके इस अद्भुत स्टेनलेस स्टील के शिल्प ' क्लाउड गेट' या बादल का बीज' या 'बीन' के बारे में लिख चुका था.
अनीश कपूर का अपराध क्या था, जिसकी सज़ा उन्हें मिली ?
अपराध था उनका 'गार्जियन' में छपा साक्षात्कार, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में इन दिनों 'हिन्दू तालिबानों' का राज है. बस इस एक वाक्य ने उनकी समूची प्रतिभा को खारिज कर दिया.
उनके प्रति अपना समर्थन और सम्मान प्रकट करने के लिए शिकागो में इसी अगस्त के महीने में खींची गयी तस्वीरें आप सभी के लिए लगा रहा हूँ.
देखें, फौलाद जैसी कठोर धातु से बादल और आईने जैसी खफीफ़, नाजुक, तरल और विनम्र शिल्पकृति से समूचे संसार को सम्मोहित करने वाली छवियाँ. ये चित्र किसी पेशेवर कैमरे से नहीं, अपने आईपैड से खींची गयी हैं, इसलिए वे पूरा प्रभाव नहीं दे सकतीं. फिर भी अनुमान तो लगा ही सकते हैं.
अभी तीन रोज़ पहले ही मैंने आईआईसी में आयोजित 'संवाद शृंखला' में उन्हें किसी कट्टर संगठन द्वारा दी गयी धमकी का ज़िक्र किया था, और आज की खबर यह है कि वसुंधरा राजे की सरकार ने उन्हें जवाहर कलाकेन्द्र से हटा दिया. चार-पांच दिन पहले किसी संगठन ने अनीश कपूर की 'जीभ काट लेने वाले को २१ लाख रुपये का ईनाम' देने का फतवा जारी किया था.
मुम्बई में जन्मे और ७० के दशक से लन्दन में रहने वाले संसार के सुविख्यात शिल्पकार अनीश कपूर के बारे में मैं कई बार लिख चुका हूँ. शिकागो, न्यूयार्क, इंग्लैण्ड, फ्रांस, नार्वे समेत कई देशों में उनकी कलाकृतियाँ दूर-दूर के देशों से आये पर्यटकों और कलाप्रेमियों को आकर्षित करती हैं.
अनीश के पिता हिन्दू और मां यहूदी हैं.
तीन महीने पहले, अगस्त में, अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान मैंने शिकागो के विश्वविख्यात मिलेनियम पार्क में अनीश कपूर की कलाकृति के कुछ चित्र इसी फेसबुक के अपनी वाल पर पर पोस्ट किये थे. इसके कुछ साल पहले भी अपने हिन्दीवाले ब्लॉग में उनके इस अद्भुत स्टेनलेस स्टील के शिल्प ' क्लाउड गेट' या बादल का बीज' या 'बीन' के बारे में लिख चुका था.
अनीश कपूर का अपराध क्या था, जिसकी सज़ा उन्हें मिली ?
अपराध था उनका 'गार्जियन' में छपा साक्षात्कार, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में इन दिनों 'हिन्दू तालिबानों' का राज है. बस इस एक वाक्य ने उनकी समूची प्रतिभा को खारिज कर दिया.
उनके प्रति अपना समर्थन और सम्मान प्रकट करने के लिए शिकागो में इसी अगस्त के महीने में खींची गयी तस्वीरें आप सभी के लिए लगा रहा हूँ.
देखें, फौलाद जैसी कठोर धातु से बादल और आईने जैसी खफीफ़, नाजुक, तरल और विनम्र शिल्पकृति से समूचे संसार को सम्मोहित करने वाली छवियाँ. ये चित्र किसी पेशेवर कैमरे से नहीं, अपने आईपैड से खींची गयी हैं, इसलिए वे पूरा प्रभाव नहीं दे सकतीं. फिर भी अनुमान तो लगा ही सकते हैं.
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