अगर हिंदुत्व संस्कृति है तो इस महादेश का सारा जनसमूह हिंदू है तो उनके कत्लेआम का एजंडा हिंदुत्व का एजंडा कैसे हो सकता है?
पलाश विश्वास
पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ साथ भारत के मुसलामान भी बुद्ध धर्म अनुयायी थे,जिनने मनुस्मृति की बजाय इस्लाम अपनाया,हम यह बार बार लिखते रहे हैं।
अब पाकिस्तानी विदुषी और समामाजिक कायर्कर्ता फौजिया सईद भी यही कह रही हैं।
मुसलमान कोई विदेशी नहीं हैं,वे भी हमारे ही पुरखों की संतान है और यह दंगा फसाद और ग्लोबल आर्डर पर कब्जे का धर्मोन्मादी मुक्तबाजारी एजंड दरअसल हमारा ही खून बहाने का जुध महाजुध है।
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अद्यतन जीनेटिक्स के सबूत भी टैगोर के भारत तीर्थ की अवधारणा की पुष्टि करते हैं।
अगर हिंदुत्व संस्कृति है तो इस महादेश का सारा जनसमूह हिंदू है तो उनके कत्लेआम का एजंडा हिंदुत्व का एजंडा कैसे हो सकता है?
जीनेटिक्स के सबूत मुताबिक बुद्धमय भारत के अवसान से पहले ही सारा भारत वर्ष,अखंड भारत वर्ष विभिन्न नस्लों की रक्तधाराओं के अविराम मिश्रण से एकात्म एकच रक्त हो चुका था।आर्य अनार्य द्विड़ शक हुण के वंशज ही हम हिंदू मुसलमान!
सिख और ईसाई,बौद्ध और जैन तो अस्मिता के नाम मुहब्बत के कत्लेआम के इस मजहबी सियासत सियासती मजहब के त्रिशुल से क्यों इतना खून बह रहा है अनार्य शिव और हड़प्पा मोहंजोदोड़ो की विरासत से?
हमारे दिलो दिमाग से?
क्यों यह कयामत का मंजर है?
क्योंकि भावी पीढ़ियों को न जल मिलने वाला है और न अन्न। यह महादेश मरुस्थल में तब्दील होने वाला है। जल के सारे स्रोत स्रोत सूख रहे हैं।आगे जलयुद्ध है।
क्योंकि भावी पीढ़ियों को न जल मिलने वाला है और न अन्न।
यह महादेश मरुस्थल में तब्दील होने वाला है।
जल के सारे स्रोत स्रोत सूख रहे हैं।आगे जलयुद्ध है।
दीवारें जो गिरायें,वो उल्लू दा पट्ठा!
इसीलिए इतिहास लहूलुहान,पन्ना दर पन्ना खून का सैलाब!
लहुलुहान फिजां है
लहुलुहान स्वतंत्रता
लहुलुहान संप्रभुता
लहूलुहान इनडिविजुअल
लहुलूहान ट्राडिशन
लहूलुहान यह कायनात
और यह कयामत का मंजर
फासीवाद की कुंडली भी बांच लीजिये!
गांधी की प्रार्थना सभा में हत्या! Murder in the Cathedral! Rising Fascism and the Burnt Norton!
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