Tuesday, November 3, 2015

बाकी ,कातिलों का काम तमाम है अगर हम कत्ल में शामिल न हों! KADAM KADAM BADHAYE JA... https://www.youtube.com/watch?v=qQxWFawxbqc https://www.youtube.com/watch?v=ym-F7lAMlHk फिल्में फिर वही कोमलगांधार, शाहरुख भी बोले, बोली शबाना और शर्मिला भी,फिर भी फासिज्म की हुकूमत शर्मिंदा नहीं। https://youtu.be/PVSAo0CXCQo KOMAL GANDHAR! गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं! कदम कदम बढ़ाये जा,सर कटे तो कटाये जा थाम ले हर तलवार जो कातिल है फिक्र भी न कर,कारंवा चल पड़ा है! उनेक फंदे में फंस मत न उनके धंधे को मजबूत कर जैसे वे उकसा रहे हैं जनता को धर्म जाति के नाम! जैसे वे बांट रहे हैं देश धर्म जाति के नाम! उस मजहबी सियासत की साजिशों को ताकत चाहिए हमारी हरकतों से उनके इरादे नाकाम कर! उनके इरादे नाकाम कर! कोई हरकत ऐसी भी न कर कि उन्हें आगजनी का मौका मिले! कोई हरकत ऐसा न कर कि दंगाइयों को फिर फिजां कयामत का मौका मिले! फासिज्म के महातिलिस्म में फंस मत न ही बन उनके मंसूबों के हथियार! यकीनन हम देश जोड़ लेंगे! यकीनन हम दुनिया जोड़ लेंगे! यकीनन हम इंसानियत का फिर मुकम्मल भूगोल बनायेंगे! यकीनन हम इतिहास के खिलाफ साजिश कर देंगे नाकाम! हम फतह करेंगे यकीनन अंधेरे के खिलाफ रोशनी की जंग! गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं! पलाश विश्वास


बाकी ,कातिलों का काम तमाम है
अगर हम कत्ल में शामिल न हों!

KADAM KADAM BADHAYE JA...




Yeh Desh Hai Veer Jawanon Kaa
https://www.youtube.com/watch?v=EWnPJY_o7tw

फिल्में फिर वही कोमलगांधार,
शाहरुख  भी बोले, बोली शबाना और शर्मिला भी,फिर भी फासिज्म की हुकूमत शर्मिंदा नहीं।

https://youtu.be/PVSAo0CXCQo

KOMAL GANDHAR!



गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं!

कदम कदम बढ़ाये जा,सर कटे तो कटाये जा
थाम ले हर तलवार जो कातिल है
फिक्र भी न कर,कारंवा चल पड़ा है!

उनेक फंदे में फंस मत
न उनके धंधे को मजबूत कर
जैसे वे उकसा रहे हैं जनता को
धर्म जाति के नाम!

जैसे वे बांट रहे हैं देश
धर्म जाति के नाम!

उस मजहबी सियासत
की साजिशों को ताकत चाहिए
हमारी हरकतों से
उनके इरादे नाकाम कर!
उनके इरादे नाकाम कर!

कोई हरकत ऐसी भी न कर
कि उन्हें आगजनी का मौका मिले!

कोई हरकत ऐसा न कर कि दंगाइयों
को फिर फिजां कयामत का मौका मिले!

फासिज्म के महातिलिस्म में फंस मत
न ही बन उनके मंसूबों के हथियार!

यकीनन हम देश जोड़ लेंगे!
यकीनन हम दुनिया जोड़ लेंगे!

यकीनन हम इंसानियत का फिर
मुकम्मल भूगोल बनायेंगे!

यकीनन हम इतिहास के खिलाफ
साजिश कर देंगे नाकाम!

हम फतह करेंगे यकीनन
अंधेरे के खिलाफ रोशनी की जंग!

गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं!
पलाश विश्वास
यही सही वक्त है सतह से फलक को छू लेने का।
जमीन पक रही है बहुत तेज
जैसे साजिशें भी उनकी हैं बहुत तेज

तलवार की धार पर चलने का
यही सही वक्त है,दोस्तों

भूमिगत आग के तमाम ज्वालामुखियों के
जागने का वक्त है यह सही सही,दोस्तों

गलती न कर
गलती न कर
मत चल गलत रास्ते पर

मंजिल बहुत पास है
और दुश्मन का हौसला भी पस्त है
अब फतह बहुत पास है ,पास है

कि जुड़ने लगा है देश फिर
कि दुनिया फिर जुड़ने लगी है
कि तानाशाह हारने लगा है

गलती न कर
गलती न कर
मत चल गलत रास्ते पर

कदम कदम उनके चक्रव्यूह
कदम कदम उनका रचा कुरुक्षेत्र
कदम कदम उनका ही महाभारत

जिंदगी नर्क है
जिंदगी जहर है
जिंदगी कयामत है

हाथ भी कटे हैं हमारे
पांव भी कटे हैं हमारे
चेहरा भी कटा कटा
दिल कटा हुआ हमारा
कटा हुआ है दिमाग हमारा

बेदखली के शिकार हैं हम
उनकी मजहबी सियासत
उनकी सियासती मजहब
कब तक सर रहेगा सलामत

कटता है तो सर कटने दे
दिलोदिमाग चाहिए फिर
कटे हुए हाथ भी चाहिए
कटे हुए पांव भी चाहिए
लुटी हुई आजादी भी चाहिए

गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं!

कदम कदम बढ़ाये जा,सर कटे तो कटाये जा
थाम ले हर तलवार जो कातिल है
फिक्र भी न कर,कारंवा चल पड़ा है!

उनेक फंदे में फंस मत
न उनके धंधे को मजबूत कर
जैसे वे उकसा रहे हैं जनता को
धर्म जाति के नाम!

जैसे वे बांट रहे हैं देश
धर्म जाति के नाम!

उस मजहबी सियासत
की साजिशों को ताकत चाहिए
हमारी हरकतों से
उनके इरादे नाकाम कर!
उनके इरादे नाकाम कर!

कोई हरकत ऐसी भी न कर
कि उन्हें आगजनी का मौका मिले!

कोई हरकत ऐसा न कर कि दंगाइयों
को फिर फिजां कयामत का मौका मिले!

फासिज्म के महातिलिस्म में फंस मत
न ही बन उनके मंसूबों के हथियार!

यकीनन हम देश जोड़ लेंगे!
यकीनन हम दुनिया जोड़ लेंगे!

यकीनन हम इंसानियत का फिर
मुकम्मल भूगोल बनायेंगे!

यकीनन हम इतिहास के खिलाफ
साजिश कर देंगे नाकाम!

हम फतह करेंगे यकीनन
अंधेरे के खिलाफ रोशनी की जंग!

गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं!
अंधियारे के खिलाफ जीत का तकादा है रोशनी के लिए तो अंधेरे के तार तार को रोशन करना चाहिए।अंधियारे के महातिलिस्म से बचना चाहिए।उनकी ताकत है कि हम बंटे हुए हैं।हम साथ हैं तो कोई तानाशाह,कोई महाजिन्न,कोई बिरंची बाबा फिर हमें बांट न सके हैं।लब आजाद हैं।

लोग बोल रहे हैं क्योंकि लब आजाद हैं।
जो खामोश है,उनका सन्नाटा भी होगा तार तार,जब सारे गुलाम उठ खड़े होंगे।हर तरफ जब गूंज उठेंगी चीखें तो जुल्मोसितम का यह कहर होगा हवा हवाई और थम जायेगी रंगारंग सुनामी तबाही की।

इस भारत तीर्थ में सरहदों के आरपार मुकम्मल मुल्क है इंसानियत का।कायनात की तमाम बरकतों,नियामतों,रहमतों से नवाजे गये हैं हम।उस इंसानियत की खातिर,उस कायनात की खातिर,जो हर शख्स,आदमी या औरत हमारे खून में शामिल हैं,हमरे वजूद में बहाल है जो साझा चुल्हा,जो हमारा लोक संसार है,जो हमारा संगीत है,जो कला है,जो सृजन और उत्पादन है,जो खेत खलिहान हैं,जो कल कारकाने हैं,जो उद्योग,कारोबार और काम धंधे हैं- उनमें जो मुहब्बत का दरिया लबालब है,उसे आवाज दो,दोस्तों।

फासिज्म अपनी कब्र खुद खोद लेता है।इतिहास गवाह है।
इतिहास गवाह है कि हर तानाशह मुंह की खाता है।
उनके सारे गढ़,किले और तिलिस्म तबाह होते हैं।
उनका वशीकरण,उनका तंत्र मंत्र यंत्र बेकार हैं।

हम सिर्फ पहल करेंगे मुहब्बत की तो जीत हमारी तय है।
हम सिर्फ पहल करेंगे अमन चैन की तो जीत हमारी है।
हम सिर्फ पहल करेंगे भाईचारे की तो जीत हमारी है।
हम तमाम साझा चूल्हा सुलगायेंगे और फिर देखेंगे कि कातिलों के बाजुओं में फिर कितना दम है।

सिंहद्वार पर दस्तक बहुत तेज है
वरनम वन चल पड़ा है
कारवां भी निकल पड़ा है

प्रतिक्रिया मत कर
मत कर कोई प्रतिक्रिया
फिर तमाशा देख

उनके फंदे होंगे बेकार
अगर हम न फंसे उस फंदे में

उनके धंधे होंगे बेकार
अगर हम न फंसे उनके धंधे में
उनकी साजिशें होंगी बेकार
अगर हम उनके हाथ मजबूत न करें

सियासती मजहब हो या मजहबी सियासत हो
या फिर हो वोट बैंक समीकरण
हर कातिल का चेहरा हम जाने हैं
हर कत्ल का किस्सा हम जाने हैं
हर कत्लेाम का किस्सा हम जाने हैं

कातिलों का साथ न दें कोई
तो कत्ल और कत्लेआम के
तमाम इंतजाम भी बेकार

प्रतिक्रिया मत कर
मत कर कोई प्रतिक्रिया
फिर तमाशा देख

बस, गोलबंदी का सिलसिला जारी रहे।
बस, लामबंदी का सिलसिला जारी रहे।
बस,चीखों का सिलसिला जारी रहे।

बाकी ,कातिलों का काम तमाम है
अगर हम कत्ल में शामिल न हों!

बस,चीखों का सिलसिला जारी रहे।

जेएनयू को जो देशद्रोह का अड्डा बता रहे हैं,उन्हें नहीं मालूम कि जनता जान गयी हैं कि देशद्रोहियों की जमात कहां कहां हैं और कहां कहां उनके किले,मठ,गढ़,मुक्यालय वगैरह वगैरह है।

वे दरअसल छात्रों और युवाओं के अस्मिताओं के दायरे से बाहर ,जाति धर्म के बाहर फिर गोलबंदी से बेहद घबड़ाये हुए हैं।

वे दरअसल मंडल कमंडल गृहयुद्ध की बारंबार पुनरावृत्ति की रणनीति के फेल होने से बेहद घबड़ाये हुए हैं।

वे बेहद घबड़ाये हुए हैं कि तानाशाही हारने लगी है बहुत जल्द।

वे बेहद घबड़ाये हुए हैं जो इतिहास बदलने चले हैं कि उन्हें मालूम हो गया है कि इतिहास के मुकबले तानाशाह की उम्र बस दो चार दिन।

वे बेहद घबड़ाये हुए हैं जो इतिहास बदलने चले हैं कि दिल्ली कोई मुक्मल देश नहीं है और देश जागने लगा है दिल्ली की सियासती मजहब के खिलाफ,मजहबी सियासत के खिलाफ।

वे बेहद घबड़ाये हुए हैं कि सिकरी बहुत दूर है दिल्ली से और अश्वमेधी घोड़े,बाजार के सांढ़ और भालू तमामो,तमामो अंधियारे के कारोबारी तेज बत्ती वाले, तमामो नफरत के औजार अब खेत होने लगे हैं।

वे बेहद घबड़ाये हुए हैं कि न वे बिहार जीत रहे हैं और न वे यूपी जीत रहे हैं।

राष्ट्र का विवेक बोलने लगा है।
फिर लोकधुनें गूंजने लगी हैं।
फिर कोमलगांधार हैं हमारा सिनेमा।
फिर दृश्यमुखर वास्तव घनघटा है।

फिर शब्द मुखर है फासिज्म के राजकाज के खिलाफ।
फिर कला भी खिलखिलाने लगी है आजाद।
फिर इतिहास ने अंगड़ाई ली है।
फिर मनुष्यता और सभ्यता,प्रकृति और पर्यावरण के पक्ष में है विज्ञान।
कि अर्थशास्त्र भी कसमसाने लगा है।
कि जमीन अब दहकने लगी है।
कि जमीन अब पकने लगी है।

कि ज्वालामुखी के मुहाने खुलने लगे हैं।
हार अपनी जानकर वे बेहद घबड़ाये हुए हैं और सिर्फ कारपोरेट वकील के झूठ पर झूठ उन्हें जितवा नहीं सकते।
न टाइटैनिक वे हाथ जनता के हुजूमोहुजूम को कैद कर सकते हैं अपने महातिलिस्म में।
बादशाह बोला तो खिलखिलाकर बोली कश्मीर की कली भी।संगीत भी ताल लय से समृद्ध बोला बरोबर।तो बंगाल में भी खलबली है।

बंगाल में भी हार मुंह बाएं इंतजार में है।
खौफजदा तानाशाह बेहद घबराये हैं।
बेहद घबराये हैं तमामो सिपाहसालार।
बेहद घबराये हैं हमारे वे तमामो राम जो अब हनुमान हैं,बजरंगी फौजें भी हमारी हैं।

देर सवेर जान लो,धर्म जाति का तिलिस्म हम तोड़ लें तो समझ लो,यकीनन वे फौजें फिर हमारी हैं।
इकलौता तानाशाह हारने लगा है।सिपाहसालार मदहोश आयं बायं बक रहे हैं।खिलखिलाकर हंसो।

खिलखिलाकर हंसो।
उनके जाल में हरगिज मत फंसो।
जीत हमारी तय है।


कदम कदम बढ़ाये जा,सर कटे तो कटाये जा
थाम ले हर तलवार जो कातिल है
फिक्र भी न कर,कारंवा चल पड़ा है!

कदम कदम बढाये जा

रचनाकार: राम सिंह ठाकुर  
कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से फिर कभी ना डर
उड़ाके दुश्मनों का सर, जोशे-वतन बढ़ाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...

हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े, तू ख़ाक मे मिलाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...

चलो दिल्ली पुकार के, क़ौमी निशां सम्भाल के
लाल किले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा

कदम कदम बढ़ाये जा...
बाकी ,कातिलों का काम तमाम है
अगर हम कत्ल में शामिल न हों!

KADAM KADAM BADHAYE JA...




फिल्में फिर वही कोमलगांधार,
शाहरुख  भी बोले, बोली शबाना और शर्मिला भी,फिर भी फासिज्म की हुकूमत शर्मिंदा नहीं।

https://youtu.be/PVSAo0CXCQo

KOMAL GANDHAR!



गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं!

कदम कदम बढ़ाये जा,सर कटे तो कटाये जा
थाम ले हर तलवार जो कातिल है
फिक्र भी न कर,कारंवा चल पड़ा है!

उनेक फंदे में फंस मत
न उनके धंधे को मजबूत कर
जैसे वे उकसा रहे हैं जनता को
धर्म जाति के नाम!

जैसे वे बांट रहे हैं देश
धर्म जाति के नाम!

उस मजहबी सियासत
की साजिशों को ताकत चाहिए
हमारी हरकतों से
उनके इरादे नाकाम कर!
उनके इरादे नाकाम कर!

कोई हरकत ऐसी भी न कर
कि उन्हें आगजनी का मौका मिले!

कोई हरकत ऐसा न कर कि दंगाइयों
को फिर फिजां कयामत का मौका मिले!

फासिज्म के महातिलिस्म में फंस मत
न ही बन उनके मंसूबों के हथियार!

यकीनन हम देश जोड़ लेंगे!
यकीनन हम दुनिया जोड़ लेंगे!

यकीनन हम इंसानियत का फिर
मुकम्मल भूगोल बनायेंगे!

यकीनन हम इतिहास के खिलाफ
साजिश कर देंगे नाकाम!

हम फतह करेंगे यकीनन
अंधेरे के खिलाफ रोशनी की जंग!

गुलामों,फिर बोल कि लब आजाद हैं!
पलाश विश्वास

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