23.55% Hike In Salary & Pension | 7th Pay Commission Submits Report
https://www.youtube.com/watch?v=ntmuw_EeIKI
Highlights Of The 7th Pay Commission Report
https://www.youtube.com/watch?v=EhU0FaHuk_g
हमारा धर्मःकर्म किये जा फल की इच्छा न कर!
हमारी नियति,हमारे पूर्व जन्मों का कर्मफल!
हमारी जाति और पहचानःहमारी नियति और मौत!
मौत है खेती,सर्वोत्तम दल्ला का काम या फिर राजनीति!
बाकी करो नौकरी सरकारी या फिर बेचो तरकारी!
प्रभू के गुण गाओ, दाल रोटी पाओ!
जनसत्ता निकले बत्तीस साल और हम भी डिजिटल!
प्रमोशन एक्सटेंशन फिर हमारी पहचान या फिर कर्मफल,फिक्र न करें बेमतलब मेरी जान,हम तो निमित्त मात्र हैं,मरे हुए है!कब जिंदा थे हम कि हमारी आत्मा आजाद होगी!
# CALIBAN# Mandate#ISIS Execution unabated #Pay Scales #Manto# Reforms# Tempest# Avatar#Toba Tek Singh
''Manto' relevant when free speech not easy in India, Pakistan'!
Seventh Pay Commission result!
पलाश विश्वास
जनसत्ता निकले बत्तीस साल और हम भी डिजिटल!
प्रमोशन एक्सटेंशन फिर हारी पहचान या फिर कर्मफल,फिक्र न करें बेमतलब मेरी जान,हम तो निमित्तमात्र हैं,मरे हुए है।कब जिंदा थे हम कि हमारी आत्मा आजाद होगी!
प्रसून लतांत ने तस्वीर साझा की तो यादें भी साझा हो गयीं।जब मैं 18 मई,2016 को जनसत्ता दफ्तर से आखिरी बार निकलुंगा तब मेरे भी जनसत्ता में 24 साल छह महीने पूरे हो चुकेंगे।पच्चीस साल पूरे होने के फिलहाल आसार नहीं है।प्रभाष जोशी के साथ जितने लोग थे,वे सारे लोग जीवित या मृत मुझे घेरे हुए हैं।
प्रोमोशन एक्सटेंशन का टेंशन मुझे कभी नहीं रहा है और न आगे होगा। जबतक प्रभाष जोशी का वरद हस्त रहा है,तबतक हम सारे लोग मरने मारने वाले योद्धा थे और हम तब डिजिटल भी नहीं थे।
तब हम खालिस प्रिंट में लाइन दर लाइन स्पेस को जन सुनवाई में बदलने की लड़ाई लड़ रहे थे और इसके लिए कुछ भी कर सकते थे।
वैसा हम अब कतई नहीं कर सकते।
पूरा अखबार एजंसी की पुरानी डेट बदली खबरों से अटा पड़ा हो,विज्ञापन से हांफ रहा हो,हम कहीं भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते।तब भी हमारी कोई हैसियत नहीं थी और आज भी हमारी कोई हैसियत नहीं है।लेकिन तब प्रभाष जोशी थे और उनकी चुनी हुई टीमें थी तो हम भी खुदा से कम नहीं थे।
अब तो हम मालिकान के बंदे हैं।इस बंदगी का क्या कीजिये!
सचमुच अब हमें किसी चीज का फर्क नहीं पड़ता।अखबार में पेज बनाने के अलावा हमारा कोई काम नहीं है।मजीठिया के दो प्रमोशन हवा हवाई है और हम अब भी सब एटीटर हैं।एडीटर भी बन जाये तो कुछ भी बदलेगा नहीं।ऐसा कोई नर्क अब बचा नहीं है,जिसे जीने की ख्वाहिश में जी हलकान हो।तो आप हमारी परवाह न करें तो बेहतर।
आगे हमारे रिटायर होने तक इंतजार करें वरना मामला आत्महत्या का बन जायेगा।जो हमारा इरादा फिलहाल नहीं है।
हम ब्राह्मण प्रभाष जोशी के आभारी हैं कि उनने हमें जनसत्ता के काबिल समझा और हमारी जाति,पहचान से मुझे निजात मिली ।लेकिन कर्मफल से निजात हरगिज नहीं मिली।पूर्व जन्म का किया भुगत रहा हूं या राहु केतु का दोष है या शनि दोष है।जोशी ज्यू ने जहां जिस हाल में रखा था,वही उसी हाल में हूं।
होइहिं सोई जो राम रचि राखा।कुंडली बनी नहीं कभी कि पिता कम्युनिस्ट किसान शरणार्थी नेता थे और अछूतों की कुंडली बनती ही नहीं है।हमारी कुंडली तो बना दी हमारे शिक्षकों पीताबंर पंत,सुरेश शर्मा,श्याम लाल वर्मा,तारा चंद्र त्रिपाठी, बटरोही, मधुलिका दीक्षित, शेखर, गिरदा, राजीव लोचन शाह,शेखर जोशी, बाबा नागार्जुन,नबारुण दा, महाश्वेता देवी से लेकर आवाज के संस्थापक संपादक भूमिहार ब्रह्मदेव सिंह शर्मा और सारस्वत ब्राह्मण प्रभाष जोशी तक ने।अलग कुंडली की जरुरत नइखे।
क्योंकिः
हमारा धर्मःकर्म किये जा फल की इच्छा न कर!
हमारी नियति,हमारे पूर्व जन्मों का कर्मफल!
हमारी जाति और पहचानःहमारी नियति और मौत!
मौत है खेती,सर्वोत्तम दल्ला का काम या फिर राजनीति!
बाकी करो नौकरी सरकारी या फिर बेचो तरकारी!
प्रभू के गुण गाओ,दाल रोटी पाओ!
जनसत्ता निकले बत्तीस साल और हम भी डिजिटल!
प्रमोशन एक्सटेंशन फिर हमारी पहचान या फिर कर्मफल,फिक्र न करें बेमतलब मेरी जान,हम तो निमित्त मात्र हैं,मरे हुए है।कब जिंदा थे हम कि हमारी आत्मा आजाद होगी!
HAPPY BIRTHDAY NAINITAL!
पैदा मैं बसंतीपुर में हुआ।अग्निदीक्षा हुई नैनीताल में।मेरा कोई घर नहीं है।जो घर है वह नैनीताल है या नैनीझील का गहरा जल है।पूर्वजन्म का है।पूर्वजन्म का कर्मफल है कि मैं हो गया तड़ीपार।न बसंतीपुर लौटने के हालात हैं और न नैनी झील के गहरे नीले पानी को स्पर्श कर बाकी जीवन बिताने का कोई अवसर है।नैनीताल वालों को जन्मदिन नैनीताल का मुबारक।कोई हमें भी मुबारक तो कहें!
मंटो हमेशा हमारे लिए इस महादेश के ही नहीं,दुनिया के सबसे अगिनखोर कलमकार रहे हैं।
अभी हाल में जिंदगी चैनल पर इज्जत और रुसवाई सीरियल में जन धुआंधार शरमद खूसट के झन्नाटेदार अभिनय के हम कायल रहे हैं,उनने मंटो पर बायोपिक फिल्म बनायी है,शिवसेना ने जिसके प्रदर्शन की अनुमति मुंबई में नहीं दी।
वे शरमद खूसट कोलकाता में फिल्मोत्सव में मंटो के साथ हाजिर थे।तो हमने वह फिल्म निकाली और मंटी की पत्नी जिनकी खाला है,उन आयेशा ने इस फिल्म के सिलसिले में जो इंटरव्यू शरमद से किया,उसे भी खंगाल लिया।
तो कल सुबह नौ बजे से लेकर शाम छह बजे तक मंटो की सवारी गांठे रहे।सातवां वेतनमान,आर्थिक सुधार और आईसिस की लाजिकल कयामत और उनके एक्जीक्यूशन,आतंक के विरुद्ध आ बैल मुझे मार जिहाद,अरब वसंत से लेकर बीफ बैन,टीपू सुल्तान, तमिल तेलेगु वीडियो,हिंदी अंग्रेजी लाइव ,शेक्सपीअर से लेकर टोबा टेक सिंह और अवतार सबको साधकर वीडियो दाग दिहिस।
सविता बाबू ई करतब देख भड़क गइलन।
कह दिया,जिंदगी भर कुछो कर नहीं सकें,मरने से पहले दप दप क्यों दिया बन रहे हो बूझने के लिए!
वैसे ही बोलीं सविता बाबू जैसे तमामो जनसत्ता छोड़े संपादक अंपादक बने रहे हमारे पुराने साथी हमें दो कौड़ी का नहीं मानते और उनकी मानें तो जनसत्ता में बचे खुचे लोग डफर हैं।
तो हमीं लोगों ने जनसत्ता के बत्तीस साल पूरे कर दिये।हम डफर लोगों ने और जनसत्ता को जारी रखने में उन महामहिमों की भूमिका कोई नहीं है जो ढेरों ढेर पाद रहे हैं।
सातवें पे कमीशन की धमक गणेश चतुर्दशी से लेकर दीवाली और छठ के पटाखों में खूब रही है।केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी बल्ले बल्ले हैं,हर सेक्टर में जिनके आचरण का ब्यौरा हमें खूब मालूम है।बामसेफ के मंच से करीब दस साल तक हम उन्हें संबोधित करते रहे हैं।वे आजादी के आंदोलन में दस बीस लाख किसी मसीहा के खाते में जमा कर देने में उफ तक न करेंगे,लेकिन अपने हक हकूक के लिए चूं तक हरगिज हरगिज नहींं करेंगे।
रिटायर हर हाल में 58 साल तक करना है।स्थाई नियुक्ति बंद। श्रमिक हक हूक खत्म।सरकारें एक करोड़ लोगों के घर दामाद की तरह पालेगी नहीं,इस वेतनमान के बाद डाउ कैमिकल्स के कारपोरेट वकील जो कह रहे हैं,उसे सुनें।उस पर गौर भी करें।कुलो सर्विस 33 साल की हुई रहे।20 में भर्ती तो 53 पर रिटायर। अनिवार्य।फिर पिछवाड़े पर लात लगाइके किसी को भी कहीं भी निकारने का लाइसेंस है निजीकरण जो है सो है।विनिवेश दरअसल अब केसरिया सुनामी एफोडीआई बाबा के राजकाज मा।वेतनमान उत्पादकता से जुड़ा,यानी लाइसेंस छंटनी का बिना कैफियत।
बगुला विशेषज्ञों की रपटें पढ़े।कोटा आरक्षण को लेकर महाभारत करते रहें,अब पिछवाड़े पर लात लगाइके किसी को भी बाहर का दरवाजा दिखाने का चाकचौबंद इंतजाम है सातवां यह दिवावली तोहफा और उसके साथ मुफ्त में आर्थिक सुधार की नई घोषणाएं।साथ साथ। न आगे न पीछे।
बाकी जनता जाये भाड़ में जिस जनता को भी उनकी कोई परवाह नहीं है,उन्होंने और उनकी यूनियनों ने आर्थिक सुधार,संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण विनिवेश संपूर्ण एफडीआई का आज तक विरोध किया नहीं है।
एअर इंडिया से लेकर रेलवे तक का निजीकरण हो गया।छंटनी चालू है।वे वेतन और भत्ता लेकर अपनी खाल और हैसियत बचाते रहे हैं।मंहगाई में बाकी जनता फटेहाल गाफला है,तो वे मलाईदार हैं।
बाकी जनता को कारपोरेट बाबा मुफ्त में अवैध नूडल वगैरह के साथ जहर की पूड़िया बांट दें,तो निजात मिलेगी और उनके यहां ईद दिवाली है।
फिरभी उन्हें खबर नहीं है कि उत्पादकता से जुड़े वेतनमान का मतलब क्या है।हम समझाये रहे हैं।लेकिन कोई वे अमलेंदु तो हैं नहीं,जो समझेंगे।
शुगरिया बेरोजगार बीमार अमलेंदु रोज उनके हकहकूक के लिए अकेले गोलाबारी किये जा रहे हैं और देश भर में जो मेरे पुराने साथी हैं,वे हमारी गुहार के जवाब में मुड़ी घुमाकर भी देख नहीं रहे हैं क्योंकि वे बेचारे उपाध्याय भी हैं।
ब्राह्मण हैं अमलेंदु और बाम्हणों को सुबोशाम गरियाना नील क्रांति है।इसीलिए हमारे पुरान साथी खामोश और हम असहाय।निःशस्त्र।
मायावती बहुत समझदार हैं इस मायने में कि उन्हें समझ में बहुत जल्दी आ गया कि ब्राह्मणों को गरियाने से यह बनियातंत्र,बिजनेस फ्रेंडली राजकाज बदलेगा नहीं क्योंकि ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, भूमिहार सारे लोग उसीतरह मारे जा रहे हैं जैसे भूमिहार।
उनका सर्वजनहिताय लोगों को समझ में नहीं आता।लेकिन यूपी का महाभारत का रिजल्ट किसी महागठबंधन या कारपोरेट ब्रांडिग से कोई जीत लेगा,ऐसा संभव नहीं दीख रहा है।मायावती अगर सभी समुदायों को अपना वोट बैंक बना लेती हैं,तो फासीवाद हारेगा।
यह सच हमारी बहुजन अश्वेत बिरादरी नहीं समझेगी।
हम लाल नील जनता के एकीकरण करके बाबासाहेब के जाति उन्मूलन के एजंडे से भारत में वर्गीय ध्रूवीकरण के रास्ते राष्ट्रतंत्र में बुनियादी बदलाव की बात कर रहे हैं,तो वे हमें मुसल्लों की औलाद,बामहणों के दलाल कुछो कह सकते हैं तो हमारे कामरेड इतिहास का सबक बहुत देर से समझते हैं चिड़िया चुग जाये खेत,तभी।ये हालात न बदले तो इस बलात्कार सुनामी से रिहाई मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है।
जैसे बंगाल में जमीन पर कोई हरकत नहीं है।दीदी के पटना पहुंचते न पहुंचते कल तक मंत्री रहे मदन मित्र जेल पहुंच गये और शारदा चिटफंड फर्जीवाड़ा का मामला रफा दफा है और हमारे कामरेड अबूझ हैं कि यह भी नहीं समझते कि मोदी दीदी का गठजोड़ का मुकाबला करना है तो धार्मिक ध्रूवीकरण और जीति समीकरण साधते रहने से बंगाल में वाम की वापसी होगी नहीं।कैसे होगी हम जानते हैं,लेकिन न हम पार्टी में हैं और न पोलित ब्यूरो में।वैसे वाम किसी की नहीं सुनता तबतक,जब तक मिट्टी गोबर में लथपथ न हो जाये।इसीलिए हाशिये पर है।होना ही था।जनता ने वाम को खारिज नहीं किया है।वाम नेतृत्व ने वाम को खारिज किया है।
हमारे बहुजन समाज को इस तंत्र मंत्र यंत्र तिलिस्म मुक्तबाजार का मोबाइल अनर्थ अर्थतंत्र थ्री जी फोर जी ऐसा भायो कि वे न जाति उन्मूलन के एजंडे पर बात करने को तैयार हैं और न हिंदुत्व के इस फासीवादी नर्क से निकलकर सचमुच आजादी के लिए आवाजउटाने को तैयार हैं लेकिन झूठो आजादी के खातिर लाखों लाख रुपै डालर पौंड चंदे में देने को उतावला है।
अब उनके मसीहा टीवी के हीरो भी भयो,उनके प्रवचन सुनने वाले लाखों लाख हैं तो बिरंची महाजिन्न टायटैनिक बाबा की मंकी बात विकास गाथा हरिअनंत चूं चूं कर उन्हें केसरिया फौजों में तब्दील कर रही है।वे हमें न लाइक करते हैं और न शेयर।
उत्तराखंड में नैनीताल डीएसबी कालेज से निरंतर हमारे मित्र बने रहे राजा बहुगुणा ने आज सुबो सुबो लिखा दिया है फेसबुकिया वाल परःप्रधानमंत्री के तीस विदेशी दौरों के बाद 45 फीसदी निर्यात में कमी तथा देश में कमर तोड मंहगाई, बेरोजगारी के "मोदी अर्थशास्त्र" पर वित्त मंत्री अरूण जेटली निरूत्तर ?पीएम के विदेश दौरे के दौरान मेगा इवेंट्स पर हो रहा अरबों रुपए का फिजूल खर्च जले पर नमक नहीं तो और क्या है?
एक कदम आगे बढ़कर अदेखे लेकिन बेहद नजदीकी मित्र इंद्रेश मैकिरी ने खूब लिखा हैःअपने देश में भी जब हम धार्मिक कट्टरता और उन्माद को सरकारी संरक्षण में परवान चढ़ते देख रहे हैं तो तार्किक होना और उन्मादी धार्मिकों के विचार को मुंह के बल गिरा देने का ही विकल्प है।कट्टरता का जवाब कट्टरता नहीं बल्कि तार्किकता है,अरब का सबक तो यही है।ऐसा ही वाम अवाम हो!ताकि न्याय और समता खातिर हम सब लामबंद हो,अवाम!
हमारे दाज्यू,हमारे नैनीताल समाचार,जिसकी रचना प्रक्रिया,गिरदा शेखर की सोहबत ने मुझे आज भी बिजी जुनूनी बनाया हुआ है,उसके संपादक राजीव लोचन शाह न लिखा हैःपहाड़ की जबर्दस्त उकाव-हुलार वाली, संकरी, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों पर दो दिन में जीपीएस के हिसाब से तू 22 किमी पैदल चल लिया रे राजीव लोचन साह ! इसका मतलब पहाड़ की जिन्दगी के लिये तू पूरी तरह बर्बाद नहीं हुआ अभी. शुगर भी घटा होगा, यूरिक एसिड भी बहा होगा। जियेगा रे.... तू अभी जियेगा. कोई अखबारवाला हाथ में जाँठी लिये कदम बढ़ाने की तेरी फोटो नहीं छापेगा. तू खुद ही टांग ले पसीने से लथपथ अपनी फोटुक....
हम हर्गिज ऐसा लिख नहीं सकते।
हम पहाड़ों मे अब वैसे नहीं घूम सकते जैसे गिरदा घूमते थे या डीएसबी से मैं निकल पड़ता था हिमालयनापने पैदल ही पैदल।
हम और अमलेंदु भी सुगरिया हैं।शुगर खारिज करने की कसरत कोई हम कर नहीं सकते।यह भी हमारा कर्मफल है।
बहराहाल आगे का बोले का सुने।हम करीब दो दशक से ज्यादा वखत हुआ,आन लाइन है।दर्जनों हमारे प्रवचन आन लाउन है।मन हो तो बकबहुं देख लिज्यो।
वैसे हमारे युवा तुर्क अभिषेक कह रिया था कि दादा,इतनी मेहनत बेकार कर रहे हो,कोई नहीं देखता ।कोई नहीं सुनता।
हमने कहा, लाइफ मोबाइल है।मुक्तबाजार मोबाइल।
हमने कहा, मुक्त बाजार पेपरलैस है और इंडिया डिजिटल है।
हमने कहा,प्रिंट में विज्ञापन और एफडीआी के सिवाय कुछ बचा नहीं है।हम मरने से पहिले बसयही कर सकते हैं जो कर रहे हैं।
हमने कहा,पांच साल बाद इंडियासिर्फ देखेगा।पढ़ेगा कुछ भी नहीं।हम अब एको साल जियें या नहीं,गारंटी नहीं कोई।
आज अमलेंदु को यही सुना रहा था कि मर जाई तो पांच साल बाद कोई कब्र से उठकर प्रवचनदेने तो हम आनेवाले नहीं हैं।
सविताबाबू दरवज्जे खड़ी थी,बोली,तुम तो हिंदू ठैरे।जला दिये जाओगो।पंचतत्व में विलीन हो जाओगे।लौटोगे कहां से।
इस महाशून्य में बोला हुआ,लिखा हुआ कभी मिटता नहीं है।
चाहे डिलीट करो,डीएक्टिवेट करो,चाहे सेंसर करो,चाहे कलबुर्गी, दाभोलकर,पनसारे और गांधी की तरह मार दो चाहे नेताजी की तरह तडीपार कर दो,चाहे सीमांत गांधी, अंबेडकर ,जोगेंद्र नाथ मंडल की तरह कभी हीरो बनाओ तो कभी जीरो,चाहे गांधी की तरह गोली मार दो,कोई आवाज मिटती नहीं है।
सुकरात ससुरा आज भी जिंदा है जहर की प्याली पीने के बावजूद।आज भी फ्रांस वाल्तेयर का है,स्पेन पिकासो का है,मास्को तालस्ताय का है तोसलंदन शेक्सपीअर का।भारत गौतम बुद्ध का है।
चाहे अब पढ़ो या दो हजार साल बाद पढ़ो,सुनो या देखो,खड़ा कबीरा बीच बाजार,जो फूंके घर आपणा,आवै हमार साथ।
नरक के सिंहद्वार पर दस्तक है भारी।
धर्म के नाम राष्ट्रद्रोहा का जलजला है प्रलयंकर यह बलात्कार सुनामी।हम अकेले थकल बानी।साथी हाथ बढडाऩा इससे पहिले कि हम मुआ जइहें।बाकीर हमउ बुड़बक बानी।
''Manto' relevant when free speech not easy in India, Pakistan'!
Seventh Pay Commission may submit its final report, pay hike expected to be around 15%
Seventh Pay Commission to submit report today, 23% hike expected
Share Bazaar Live: 10% disinvestment in Coal India
Thanks to You Tube,I have including news clips all about Seventh Pay commission and the impact, Disinvestment drive and the reform policy,explained it with the Negroid Caliban Speech in The Tempest and the film Avtar,explained the phenomenon of retrenchment, intolerance and partition focusing on Manto,the Pakistani Film,the author and his writings,an interviw with director Sharmad by Manto`s niece, a short film Shalwar and finally,Toba Tek Singh,the DD film which involved Rahi Masoom Raza and Kaifi Azmi with all about unabated ISIS Execution and the war to sustain class caste hegemony of Manusmriti,agenda Hindutva! I am including the links in the text.You may get it in full bloom!
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