मनुस्मृति का नस्ली नरसंहारी, यह राजकाज सिर्फ जमींदारियों और रियासतों के मालिकान के वंशजों के वर्चस्व के लिए!
बनियों की सरकार किसानों के बाद खुदरा कारोबार के सफाये में लगी और एफडीआई से बिजनेस और इंडस्ट्री का भी सत्यानाश,क्योंकि मुनाफावसूली सिर्फ महाजिन्न के मालिकान करेंगे!
मारे जायेंगे आम लोग, अल्पसंख्यक, दलित,पिछड़े,आदिवासी बहुजन गैरहिंदू तो मारे जायेंगे आम सवर्ण भी!
न ब्राह्मण बचेंगे,न राजपूत और भूमिहार!
जो बजरंगी मौत की दस्तक से अब्दुल्ला दीवाना है!
Knock! Knock!Knock!. नी करी दी हालो हमरी निलामी, नी करी दी हालो हमरो हलाल।
पलाश विश्वास
केशरिया इतिहास तो जंतर मंतर में बन ही गया जब सरहदों पर जान की बाजी लगाकर देश की एकता और अखंडता की रक्षा करने वाले वफादार फौजी राष्ट्र की ओर से दिये पदक मनुस्मृति की तर्ज पर जलाने लगे।
अंध राष्ट्रवाद की सियासती मजहब और मजहबी सियासत की फौजों को न शर्म आयी और न शर्मिंदा है बिहार में नीतीशे कुमार जनादेश के बाद एकमुश्त देश में उद्योग कारोबार, बेसिक जरुरतों और सेवाओं,बिजली पानी,शिक्षा चिकित्स,खुदरा कारोबार, मीडिया, संचार,परिवहन,निर्मान विनिर्माण,उड़ान और समुद्रपथ से लेकर रक्षा तक विदेशी पूंजी के हवाले करने वाले नवउदारवाद के कल्कि अवतार को।न स्वदेश और हिंदुत्व के पतंग उड़ाने वालों को शर्म है।
जनादेश की किसे परवाह है?
जनादेश की औकात क्या है?
जबकि नागरिक गुलाम हैं?
जनादेश कुल मिलाकर धार्मिक ध्रूवीकरण या जाति समीकरण की फसल है।उस जनादेश के एटीएम,सत्तादल के खजाने,सत्ता के पैकेज और पुरस्कार,हैसियत की मलाई का हिस्सा कितने फीसद लोगों को मिलता है,कितनों में बंटती हैं जागीरें और कितने लोग सिपाहसालार,सूबेदार,मनसबदार,कोतवाल वगैरह बन पाते हैं और इसकी उत्पादन और विकास दरें क्या हैं।
हिंदुओं की छह हजार जातियों समेत भारत भर के तामम मजहबों,नस्लों,गैरहिंदुओं और आदिवासियों का हाल हकीकत मालूम करें तो कुल मिलाकर सौ जातियां भी नहीं,गैरहिंदुओं के और आदिवासियों के दस दस समुदाय भी नहीं हैं जो कायदे से दिवाली ईद करम ओनम वगैरह वगैरह मनाने की हैसियत में हैं और जिनके बच्चों को रोजगार मिलता है।
आरक्षण और कोटा पर भी मजबूत जातियों की रंगदारी चलती हैं।ऐसी जातियां सौ भी नहीं होंगी।
गौर करें,जातियां सिर्फ शूद्रों और अछूतों की होती हैं।
बाकी वर्ण हैं तीन।
छह हजार जातियों में से कृपया उन जातियों की सूची जारी करें जिन्हें आरक्षण और कोटे का लाभ मिलता है।आदिवासियों में किन्हें यह लाभ मिला है,यह भी बता दें।1991 के बाद क्या मिला।
दरअसल हम,भारतीय नागरिक जाति धर्म की पहचान से वे मूक हैं तो वधिर भी हैं और अंधे भी।
इसीलिए हम इस देश को मृत्यु उपत्यका बनाने वालों की फौजों में स्वयंसेवक हैं।
हाल यह है कि एकदफा कोई चुनाव जीत कर सिंहासन पर बैठ गया तो बाकी देश उनके बाप दादों की जमींदारी है,जलाकर खाक कर दें या उठा उठाकर बेच दें।
देश बेचना का लाइसेंस दरअसल जनादेश है।
केंद्र में तो किसी तरह सत्ता हासिल होनी चाहिए बाकी फिर लोकतंत्र नौटंकी है।नगाड़े ढोल बजते रहेंगे और गाना बजाना खूब होगा।
फिर होगा वहीं, जो राम रचि राखा।सरकार अल्पमत में हो या बहुमत में,सूबों में एक के बाद एक जनादेश खिलाफ हो,तो भी ससारे के सारे सांढ़ और सारे के सारे अश्वमेधी घोड़े बेलगाम हैं।
हमारी आंखों में पट्टी बंधी हुई है और सियासती मजहब या मजहबी सियासत के संस्थागत फासीवाद के मुक्यालय के तिलिस्मों,चक्रव्यूहों और सोने के पिंजड़ों में फंसे हुए समझ रहे हैंकि सबकुछ ठीकठाक है।
नुकसान की भरपाई के लिए जो चेहरे बगावत के तेवर में हैं,वे ही चेहरे कल तक कहर बरपाते रहे हैं और आज के कयामती नजारे के वे ही सबसे महान कलाकार हैं।रचनाकार हैं।कयामत उनकी भाषा है।कयामत का यह मंजर उनका व्याकरण,सौदर्यबोध है।
युद्ध अपराध उनका भी कम नहीं है,जो मार्गदर्शक हैं ,राजधर्म बता रहे हैं।हम सन सैंतालीस से राजधर्म का यह अखंड पाठ भक्तिभाव से सुन रहे हैं और दसों दिशाओं में कयामत की बहार है।
खून की नदियां बहने लगी हैं फलक फाड़कर और हिमालय समुंदर तलक,महाअरण्यबी आग के हवाले हैं।ज्वालामुकी दहकने लगे हैं और सारे जलस्रोत बंधे हुए रेडियोएक्टिव हैं।
सन सैंतालीस से रघुकुल रीति यह चली आ रही है।
हम सारे लोग अपनी अपनी जात के नाम,अपने अपने धर्म के नाम,अपनी अपनी भाषा और क्षेत्र के नाम आपस में दंगा फसाद का बवंडर को लोकतंत्र मानकर यह नर्क जी रहे हैं और जमींदारियां, रियासतें सही सलामत हैं।
बंटवारे के बावजूद उनका कुछ भी बंटा नहीं है और हमें फिर फिर बंटवारे का,दागा फसाद का शिकार बनाया जा रहा है।बंटवारा जारी।
उनका कोई कहीं दंगा फसाद,राजनीतिक हिंसा में मारा नहीं जाता।मारने वाले भी हमारे लोग हैं और मरने वाले भी हमीं।
केंद्र और राज्यों में दरअसल धर्म और राजनीति,धर्मनरपेक्षता और प्रगति ,वाम और दक्षिण के नाम धर्म और राजनीति पर वंश वर्चस्व कायम है।वंश वर्चस्व ही मनुस्मृति अर्थव्यवस्था है,जिसके अनुशासन के तहत कर्फल हमारीनियति ,हमारी जाति है।
रीढ़ हममें होती नहीं दरअसल,न होते हैं दिलोदिमाग जो गुलामों के हो ही नहीं सकते क्योंकि हम टुकड़ों पर पलते हुए नर्क जीने के अब्यस्त हैं और हर सूरत में नर्क को मजबूती देते रहना हमारा धर्म कर्म है और हमारी जिंदगी वहीं है।
नियति के खिलाफ मोर्चा लगाना औकात नहीं है हमारी और नियति मौत बनकर मुंह बाएं खड़ी हैं।
हमने कल दिवाली के मौके पर आनंद तेलतुंबड़े से गपशप के दौरान बंगाल के उन सौ परिवारों के नाम गिना दिये,जो जीवन के हर क्षेत्र में सुप्रीमो सुप्रीम हैं।
हम तो जातपांत और धर्म के नाम पर मरे जा रहे हैं।
वे आपसी मुबहब्बत कायम रखकर कायदे कानून का बेखौफ इस्तेमाल करते हुए लोकतंत्र के हर संस्थान पर काबिज बिना भेदभाव हमारे हाथ पांव दिलोदिमाग और सर कलम कर रहे हैं।
हम किसी का नाम नहीं लेंगे।
आप बहुत आसानी से अपने अपने सूबों में वंश वर्चस्व का नजारा देख लीजिये।उनके खानदान की सेहत में हम पानदान हुए जा रहे हैं तो थूकदान भी हमीं है और अब तो मुक्तबाजार में कमोड और कंडोम दुनो आम लोग।
निनानब्वे फीसद जनता का कंडोम कमोड इस्तेमाल करके चतुर सुजान अरबेअरबपति हैं।वे ही हुक्मरान हैं मजहबी।
थोड़ा बहुत अपनी जात बिरादरी का कल्याण वे कर देते हैं।बाकीर फिर वही कमोड मुक्त बाजार का।कुलो किस्सा यहींच।बाहुबलि और धनबल सिर्फ उन्हीं जातियों के हैं,और जमींदारी भी उन्हींकी।
रियासतें भी उन्हीं की। जाति से,धर्म से बाकी लोगों का कोई भला नहीं होता।लेकिन वे जाति धर्म के नाम लड़ मर रहे हैं।
बहुजनों की क्या कहें वे तो अपने दूल्हे की बेमिसाल बारात में अब्दुल्ला दीवाना हैं।
ताकतवर जातियों को भी होश नहीं है कि उनकी क्या गत बन रही है।कुछ चुनिंदे लोग हर सूबे में,पूरे देश में सियासत,कारोबार,उद्योग धंधे से लेकर कला साहित्य संस्कृति तक काबिज हैं और गौर करें,वे सारे के सारे जमींदार रियासती घरानों के ही वंशज हैं ।
आरक्षण कोटा के खिलाफ लामबंद सवर्णों का क्या मिला है,अपना अपना हिसाब जोड़ लीजिये।
मसलन भूमिहार सबसे तेज समझे जाते हैं बिहार में,पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो कर्नाटक में वोकालिंगा हैं।तमिलनाडु में अयप्पा और अयंगर हैं।तो पंजाब में खत्री हैं।
हमने धनबाद में आवाज से पत्रकारिता शुरु की तो हमारे संपादक मालिक ब्रह्मदेव सिंह भूमिहार थे,जिनने हमें सबसे पहले संपादकीय लिखना सिखाया।उनका कहना था कि संपादकीय असल है बाकी तो आपेआप आ जाता है।वे पत्रकारिता में हमारे पहले गुरु थे।
हम पहाड़ों से मैदान में निकले,तो चतुर सुजान बिहार के भूमिहारों से हमारी दोस्ती हुई और हम हमेशा उनकी कुशाग्र बुद्धि के कायल रहे हैं।अब इन्हीं भूमिहारों की उनकी जनसंख्या के प्रतिशत के मुकाबले बहुते जियादा छियालीस टिकट बांट दिये केसरिया सियासत ने।
एको नहीं जिता पाये।लुलआ ने अपने सारे यादव जीता लिये।वहीं हाल पिछले लोकसभा चुनावों में समाजवादी सारे उम्मीदवार खेत रहने के बाद मुलायम अखिलेश कुनबे के सारे उम्मीदवार जीत गये।इस करिश्मे का समीकरण भी बांचे।
मजबूत सवर्ण जातियों की भी भूमिहारों,खत्रियों,त्यागियों और देश की दूसरी मजबूत सवर्ण जातियों की गत किसी से छुपी नहीं है।
राजपूतों और ठाकुरों का वजूद तो अब उनकी मूंछें हैं और मूंछों की लड़ाई में मशगुल उनने वीपी या अर्जुन सिंह का साथ ही नहीं दिया,जो दरअसल उन्हें इस वंश वर्चस्व के एकाधिकार को बचाने चले थे।मूंछों ने अपने सिपाहसालारों का काम तमाम कर दिया।
अजब गजब मनुस्मृति राज है कि भूमिहार राजपूत और ब्राह्मण कोई सेहतमंद नहीं है और वर्ल्ड ब्राह्मण आर्गेनाइजेशन डंके की चोट पर केसरिया इतिहास बनाने चला है और कोई ब्राह्मण खुलकर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा रहा है।राजपूत,भूमिहार,त्यागी चुप।तो खामोश हैं अंबेडकर अनुयायी अपने रंग बिरंगे मसाहाओं समेत और बहुजन समाज की नीली क्रांति को भी परवाह नहीं है।
मुक्तबाजार ने केसरिया अंध धर्मराष्ट्र के जिहादी एजंडे केतहत भारत को उपनिवेश बना दिया और हम आजादी के लड़ाकों की फिर फिर हत्या पर आमादा हैं।
ताजा शिकार मैसूर के टीपू सुल्तान हैं।जिनने अंग्रेजों को जितनी बार धूल चटायी,उतनी बार नेपोलियन औरहिचलर अंग्रेजी फौजों को शिकस्त नहीं दे पाया।
मजा यह है कि बिहार में धूल चाटने के बाद नये सिरे से धार्मिक ध्रूवीकरण फिर तेज है।अरबिया गोमांस वसंतोत्सव जारी है।
अजब गजब राजधर्म और अजब गजब चिंतन मंथन और उससे बी गजबे हैं मार्गदर्शन।भौंके बहुते हैं,काटो भी।दांत तो नइखे।
अब बताइये, ब्राह्मणों का पेट पुरोहिती से कितना चलता है और उनका जनेउ उन्हें कितनी रोजी रोची देती है जबकि उनके जात के सिपाहसालार मनसबदार ब्राह्मण गिरोह के राजकाज और मनुस्मृति अनुशासन के नाम पर यहमुक्तबाजार का तिलिस्म है।
बताइये कि कौन कौन ब्राह्मण इतना तेज धरे हैं कि पापियों को जनेउ पर हाथ रखे या जनेउ तोड़कर पापियों को भस्म कर दें।तनिको वे मनुष्यता कि युद्धअपराधियों को भस्म करके देखें या फिर चाणक्य की तरह किसी चंद्रगुप्त का राज्याबिषेक करें अडाणी अंबानी के इस साम्राज्य में तो समझ लें कि वे ब्राह्मण हैं।
कृपया ब्राह्मण भी अपने बच्चों के सर पर हाथ रखकर सोचें नये सिरे से कि अंधियारे के सिवाय उनके हाथ क्या लगा।
सारा पाप उन्हींके मत्थे मढ़कर जैसे गांधी को भारत विभाजन का अपराधी बना दिया,गरियाने के लिए सारे लोग बाह्मणों को गरिया रहे हैं और आम ब्राह्णण के घर रोजी रोटी का जुगाड़ कोई नहीं है।
हजारों साल के मनुस्मृति शासन बहाल हो जाने के बाद सारी सत्ता नवब्राह्मणों के हाथों में हैं जिनका कोई विरोध कर नहीं रहा और ब्राह्णण भी सारा पाप अपने माथे ढोते हुए केसरिया सुनामी से उम्मीद बांधे हैं।
सबसे बुरा हाल संघ परिवार के सबसेवफादार सिपाहियों बनियों की है।देश में खेती विदेशी पूंजी और हितों के हवालेकरने वाली केसरिया सत्ता अब उनके पेट काटने पर आमादा है।
खुदरा कारोबार का कबाडा़ है।
सारा कारोबार अब इंटरनेट के हवाले है।
हाट बाजार और दुकाने बंद होने को है।
ई कामर्स में जो एफडीआई बेलगाम है ,उससे ही एक ही साल में बनियों के पेट पर लात मारकर नेट पर दुकान चलाने वालों का कारोबार दिन दूना रात चौगुना है औरबनिया नई पीढ़ी गायत्री मंत्र जाप का रिंगटोन लगाकर जयश्री राम के बदले नमो नमो करने वाली है और कारोबार काम धंधा ठप होने की वजह से उनके लिए मक्खी मारने के बजाये यही बेहतर धंधा है।चाहे तो अरबपति बाबाओं की भभूति लगा लें या कपालभाति योगाभ्यास कर लें।
हर हाल में फायदा गुजरात,महाराष्ट्र और राजस्थान, दिल्ली, कोलकाता की नई जमींदारियों को होना हैं,जिनने राजपूतों और ठाकुरों का बाजा बजाकर उन्हें जमींदारी और रियासत से बेदखल कर दिया हर बार किसी न किसी को सिपासालर बनाकर सिर्फ उनकी मूंछों का ख्याल रखा है।
ताजा खबर यह है कि बिरंची बाबा एफडीआई बाबा महाजिन्न को प्रोटोकाल तोड़कर असहिष्णुता और नफरत के सैलाब के लिए मृत ब्रिटिश राज की सलामी देने के मुहूर्त पर उस राज के सबसे बड़े दुश्मन,नेपोलियन के बराबर दुश्मन की गांधी की तर्ज पर फिर हत्या कर देने के पवित्र हिंदुत्व मुहूर्त पर भारत के दो सौ के करीब लेखकों ने गुलामी की अटूट पंरपरा और मानसिकता का उचित निर्वाह करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन से भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए गुहार लगायी है।
जो लोग अपनी लड़ाई खुदै लड़ नहीं सकते,उनकी नियति यही है।हमारी अभिव्यक्ति का सवाल है,हमारे वजूद का सवाल है और इसके लिए हम भारतीय संप्रभू नागरिक गुहार उस ब्रिटेन से लगा रहे हैं,जो कल तक हिंदुस्तान की सरजमीं पर राज करता रहा है।
क्या हम उसी राज के लिए वैसे ही मर मिटना चाहते हैं जो दरअसल बजरंगी एजंडा मुक्तबाजार का है,जिन्हें स्वतंत्रता, लोकतंत्र, संप्रभूता के मूल्य इसलिए भी समझ में नहीं आते कि हिंदुत्व का झंडा बुलंद करते हुए धर्म और जाति के नाम पर जमींदारों और रियासतदारों के वंशजों का वर्चस्व बहाल रखने के लिए अपने ही खून से लहूलुहान हैं?
तनिको डरियो भी!
आनलाइन कारोबार और मार्केट का जलवा बहार बी देखते रहे जयश्रीम नमो नमो हांका लगाते हुए!
ऑनलाइन मार्केट में अलीबाबा का धमाल, 10 घंटे में की 500 अरब की सेल
चीन की दिग्गज ऑनलाइन कंपनी अलीबाबा ने 'सिंगल्स डे सेल' के पहले 10 घंटे में करीब 500 अरब रुपये की सेल करने का दावा किया है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। अलीबाबा की वेबसाइट पर उल्लेख किया गया है कि इस सेल का प्रमोशन आधी रात को शुरू हुआ था और सुबह के 9.52 बजे तक इसका ग्रॉस मर्चेंडाइज वॉल्यूम करीब 500 अरब रुपए को पहुंच गया। एक बयान में अलीबाबा के चीफ एक्जिक्युटिव ऑफिसर डैनियल जांग ने कहा कि इस साल 11 नवंबर को सारी दुनिया चीन के कंजप्शन की पावर देखेगी। इंटरनेट विश्लेषण फर्म कॉमस्कोर के मुताबिक इसके मुकाबले संयुक्त राज्य में साइबर मंडे के माध्यम से थैंक्सगिविंग से पांच ...
Indian Express reports:
Ahead of PM Modi’s UK visit, 200 writers urge David Cameron to help ‘safeguard freedom of expression in India’
"Over the past month, at least 40 Indian novelists, poets and playwrights have returned the prize awarded to them by the Sahitya Akademi, the National Academy of Letters, to protest against these attacks," the letter to PM David Cameron reads.
करोड़ों का कारोबार कर गए आनलाइन विक्रेता
दैनिक जागरण-08/11/2015
जासं, इलाहाबाद : इस बार की दीपावली आम लोगों के लिए इंटरनेट ने खास बना दी। लोगों ने इंटरनेट के जरिए खूब आनलाइन शॉपिंग का लुत्फ उठाया। एक अनुमान के मुताबिक ऑनलाइन कंपनियों ने सिर्फ इलाहाबाद में ही पांच करोड़ काकारोबार ...
फ्लिपकार्ट के होलसेल रेवेन्यू में तिगुनी बढ़ोतरी
- नवभारत टाइम्स-13 घंटे पहले
- फ्लिपकार्ट इंडिया का वित्त वर्ष 2015 में रेवेन्यू तिगुना बढ़ गया है। भारत की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट, फ्लिपकार्ट इंडिया के नाम से होलसेल काकारोबार करता है। फ्लिपकार्ट की होलसेल में इतना बड़ा ग्रोथ इस बात को ...
दिवाळी रा पगेलागणा भी हुआ ऑनलाइन
- Rajasthan Patrika-09/11/2015
- इसने ग्रीटिंग कार्ड का कारोबार कम कर दिया है। एक जमाना था जब हर तरह की बधाई के लिए ग्रीटिंग कार्ड ... ग्रीटिंग काड्र्स का चलन खत्म सा हो गया है। अब गिने-चुने लोग व कारोबारी ही बड़ी संख्या में ग्रीटिंग कार्ड खरीदते हैं। इस खबर पर ...
ऑनलाइन मंगाइए पटाखे, डिस्काउंट और ऑफर्स का ...
- मनी भास्कर-09/11/2015
- कंपनी पटाखों के 500 रुपए से 5000 रुपए तक के पटाखों के गिफ्ट बॉक्स बेच रही है। कंपनी फुलझड़ी, चकरी, अनार, फ्लॉवर पॉट, रॉकेट और स्काईशॉट बेच रही है। कंपनी इस कारोबार में साल 2002 से है। अगली स्लाइड में पढ़े, बढ़ रहा है ऑनलाइन पटाखे ...
भास्कर संवाददाता | अंबिकापुर
- दैनिक भास्कर-09/11/2015
- शहर में इस साल अलंकार इलेक्ट्रानिक्स, अंबर इलेक्ट्रानिक्स सहित अन्य संस्थानों से एक लाख से ज्यादा कीमत के कई एंड्रायड एलईडी टेलीविजन बिके।आनलाइन खरीदी के बावजूद इलेक्ट्रानिक्स, मोबाइल व कम्प्यूटर के कारोबार में 5 करोड़ ...
धनवर्षा से बौराया बाजार, भारी खरीददारी
- दैनिक जागरण-09/11/2015
- आनलाइन बाजार के बढ़ते कदम ने भी लोगों के बाजार में जाकर खरीदारी करने के शौक को नहीं दबा पाया, धनतेरस पर जमकर बाजार में धनवर्षा ... इलेक्ट्रॉनिक्स आइटमों में करीब 20 करोड़ से 30 करोड़ रुपये से अधिक कारोबारहोने का अनुमान है।
- अमर उजाला-09/11/2015
- विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (379 और लेख)
ऑनलाइन बाजार की हो गई दिवाली
- दैनिक जागरण-08/11/2015
- विशेषज्ञ अनुज अग्रवाल के अनुसार भारत में सालाना दो अरब का आनलाइन कारोबार होता है और यह ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। बरेली की बात करें तो पिछले एक साल में तीस फीसद तक ऑनलाइन खरीदारी का ग्राफ बढ़ा है। अगर युवाओं की बात करें तो ...
गेहूं व्यापार मुहूर्त के बाद चमकेगा
- दैनिक भास्कर-10/11/2015
- दीपावली मुहूर्त से गेहूं का कारोबार चमकेगा। वर्तमान में ... सोयाबीन वायदा डिब्बा, मुहूर्त दीपावली की शाम 6.30 बजे : आनलाइन ट्रेडिंग वायदा डिब्बे में मुहूर्त के सौदे बुधवार की शाम 6 बजे से 8.30 बजे तक होने की खबर है। सोमवार को ...
महंगाई की मार से नीरस रहा धनतेरस
- Divya Himachal-09/11/2015
- प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान सुमेश शर्मा का कहना है कि धनतेरस पर प्रदेश में 60 करोड़ का कारोबारहुआ है जो बीते वर्ष के मुकाबले कम है। कारोबार में मंदी मार के चलते कारोबारी निराश हैं।आनलाइन शॉपिंग कारोबार पर भारी प्रदेश ...
धनतेरस पर गुलज़ार रहे धातु नगरी के बाज़ार
- Dainiktribune-09/11/2015
- स्टील, एल्युमिनियम, कांसा, पीतल, तांबा आदि के बर्तन बिके। कारोबारी नवीन कुमार, राजीव कुमार का कहना था, वैसे तो हर सामान बिकता है, लेकिन ज्यादातर लोगों ने रोज़मर्रा इस्तेमाल वाली आइटमें जैसे बाल्टी, टब, परात, गिलास, कुकर, ...
'चीन के 40 फीसदी से अधिक आनलाइन उत्पाद नकली'
- Live हिन्दुस्तान-03/11/2015
- रपट में वाणिज्य मंत्रालय के हवाले से कहा गया कि देश का आनलाइन खुदराकारोबार सालाना 40 प्रतिशत बढ़कर पिछले साल 2,800 अरब युआन (442 अरब डॉलर) का हो गया। इस दौरान नकली उत्पादों का विनिर्माण और बिक्री इस क्षेत्र के लिए प्रमुख ...
- Nai Dunia-03/11/2015
- विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (18 और लेख)
व्यापार मेले में 18 लाख से अधिक लोगों के आने की ...
- प्रभात खबर-09/11/2015
- कारोबारी आगंतुक मेले के टिकट आनलाइन भी खरीद सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगले साल से सभी तरह के टिकटें आनलाइन भी उपलब्ध होंगे. इस साल का मेला 'मेक इन इंडिया' पर आधारित है. वरिष्ठ नागरिकों व विकलांगों के लिए 19 से 27 नवंबर के ...
भारत में स्मार्ट शहर उद्यमियों को धन उपलब्ध ...
- Zee News हिन्दी-06/11/2015
- मुंबई: प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसाफ्ट के प्रमुख सत्य नाडेला का कहना है कि कंपनी भारत के स्मार्ट शहरों में नयी पीढ़ी के सैकड़ों उद्यमियों को धन उपलब्ध कराएगी। वह देश में, विशेषकर आनलाइन खुदरा कारोबार (ईकामर्स) क्षेत्र में ...
अब ऑनलाइन खरीदें कार और बाइक
- आज तक-05/11/2015
- उन्होंने उम्मीद जताई है कि आटोमोबाइल सेग्मेंट के लिए उनके प्लेटफार्म के जरिए होने वाला कारोबार अगले दो साल में लगभग 13000 करोड़ रुपये हो जाएगा. स्नैपडील मोटर्स वेब, मोबाइल और एप प्लेटफार्म के जरिए उपलब्ध होगा. गौरतलब है कि ...
- Rajasthan Patrika-04/11/2015
- विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (17 और लेख)
ऑनलाइन सट्टा कारोबार में 2 दर्जन गिरफ्तार
- नवभारत टाइम्स-20/10/2015
- पुलिस उपाधीक्षक (नगर) चक्रपाणि त्रिपाठी के अनुसार, ऑनलाइन सट्टे के इसकारोबार से जुड़े लोग अपने ग्राहकों को आश्वस्त करने के लिए बकायदा चयनित किए गए नम्बर की रसीद भी दिया करते थे। पुलिस को मौके से ऐसी कई रसीदें भी मिली हैं।
- Samachar Jagat-20/10/2015
- विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (5 और लेख)
देश भर में कैमिस्टों की हड़ताल : ऑनलाइन दवा ...
- एनडीटीवी खबर-14/10/2015
- ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कैमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स दिल्ली के जंतर-मंतर पर दवा कारोबारियों की भीड़ तो जुटाने में कामयाब रहा, लेकिन बाजार पर उसका असर नहीं दिखा। कुछेक जगहों को छोड़कर दवा के दुकानदारों ने दुकानें खुली ...
एसटीएफ ने 2 माह में पकड़े कई इनामी अपराधी
- Dainiktribune-08/11/2015
- उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क (एसटीएफ) ने पिछले दो महीने में कई दुर्दान्त और इनामी अपराधियों, मादक पदार्थों के कारोबार और लूट की घटनाओं में शामिल कुख्यात लोगों को पकड़ने में सफलता पायी है। प्रमुख सचिव (गृह) देबाशीष ...
सहारनपुर में पूरी तरह बंद रहा दवा कारोबार
- दैनिक जागरण-14/10/2015
- उनका कहना है कि दवा के आनलाइन कारोबार से युवाओं में नशे की लत बढ़ेगी। वहीं लाखों केमिस्ट व उनके सहयोगी बेरोजगार हो जाएंगे। अखिलेश मित्तल, जेबी ¨सह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। नगर विधायक राजीव गुंबर ने दवा व्यापारियों ...
दीवाली ऑनलाइन डील वाली
- Dainiktribune-07/11/2015
- लोगों की जेब से पैसा निकालने की चाबी ऑनलाइन कारोबारियों के हाथ लग गई है। पिछले कुछ सालों से ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि बाजार की कमान रिटेल व्यापार के हाथों से फिसल कर ऑनलाइनकारोबारियों के हाथों में जा रही है।
चन्दौसी में बंद रहा दवा का कारोबार
- दैनिक जागरण-14/10/2015
- चन्दौसी। आनलाइन फार्मेसी के विरोध में दवा विक्रेता व निर्माता सड़क पर उतर आये। कारोबार बंद रखने के साथ अखिल भारतीय युवा उद्योग व्यापार मंडल के युवा जिलाध्यक्ष आशुतोष मिश्र के नेतृत्व में फव्वारा चौक पर आनलाइनफार्मेसी ...
जूता कारोबारी के खाते से 48 हजार की आनलाइन शॉपिंग
- अमर उजाला-29/10/2015
- शहर के एक जूता कारोबारी साइबर क्रिमिनल का शिकार बन गए। शातिर ठगों ने उनके खाते से 48 हजार रुपये की आनलाइन शॉपिंग कर ली। कारोबारी ने बैंक में शिकायत की तो बैंक अधिकारियों ने उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह दी। गुरुवार ...
हाईटेक होंगे काशी के पुरोहित
- आज तक-18/10/2015
- काशी स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय 'पंडिताई कारोबार' में नोडल एजेंसी के तौर पर काम करेगा. यहां के करियर एंड गाइडेंस सेल की प्रभारी विनिता सिंह की भूमिका कोआर्डिनेटर की होगी. कंपनी ने एक पोर्टल तैयार किया है.
आज बंद रहेंगे मेडिकल स्टोर, नड्डा ने कहा- नहीं ...
- दैनिक जागरण-13/10/2015
- इस संबंध में मंत्रालय के संयुक्त सचिव केएल शर्मा से जब 'दैनिक जागरण' ने पूछा तो उन्होंने जरूर स्पष्ट किया कि आनलाइन दवा कारोबार पूरी तरह से गैर कानूनी है। सरकार की ओर से इस पर कार्रवाई करने या इसके गैर कानूनी होने के बारे में ...
- गहरा-नवभारत टाइम्स-14/10/2015
- विस्तृत रूप से एक्सप्लोर करें (56 और लेख)
ऑनलाइन रिटेलरों की दिवाली से मॉलों में मंदी
- Jansatta-30/10/2015
- इसमें कहा गया है कि खुदरा कारोबारियों और सलाहकारों का मानना है कि आर्थिक मंदी, कमजोर राजस्व ढांचा, बिना खरीदे लौट जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी तथा विशिष्टता वाले मॉलों की संख्या में कमी से मॉलों का आकर्षण ...
आल स्टार्स लीग : एक बार फिर आमने सामने होंगे ...
- Dainiktribune-06/11/2015
- वे न्यूयार्क के समयानुसार कारोबारी दिन की शुरूआत में करीब 9.30 बजे ओपनिंग बेल बजाएंगे। क्रिकेट आल स्टार्स लीग का उद्घाटन कार्यक्रम शनिवार को सिटी फील्ड में होगा और इसका दूसरा मैच 11 नवंबर को ह्यूसटन में होगा तथा 14 नवंबर ...
बैंकों के जरिये काला कारोबार
- Dainiktribune-20/10/2015
- बैंक ऑफ बड़ौदा की दिल्ली स्थित अशोक विहार शाखा पर फर्जी आयात के भुगतान के नाम पर लगभग 6,000 करोड़ रुपये के धनशोधन का आरोप लगा है। सीबीआई के मुताबिक इस काले धन को 59 खाताधारक कंपनियों की मदद से हांगकांग हस्तांतरित किया ...
बंद नहीं होगा foodpanda, CEO सौरभ कोचर ने दिए बेबाक ...
- दैनिक भास्कर-28/10/2015
- 2012 में लॉन्च हुए Online & Mobile App बेस्ड फूड सर्विस foodpanda को लेकर कई दिनों से खबरों का बाजार गर्म था और लोग समझ रहे थे ... कमिशन बेस्ड रेवेन्यू मॉडल पर आधारित इस कारोबार में ग्राहकों के लिए फूड डिलिवरी सर्विस फ्री मिलती है।
ऑनलाइन खरीदारी कम, कपड़ा बाजार पर ज्यादा भरोसा
- दैनिक भास्कर-04/11/2015
- इसे देखते हुए कारोबारियों ने ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड कंपनियों के अलग-अलग रेंज में सिले हुए कपड़े मंगाए हैं। बेहतर खरीदारी की बदौलत इस दीपावली पर कपड़ा बाजार में करीब दो करोड़ रुपए काकारोबार हाेने की उम्मीद कारोबारियों ने ...
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