Knock! Knock!Knock!. नी करी दी हालो हमरी निलामी, नी करी दी हालो हमरो हलाल।
वैदिकी हिंसा के बावजूद अब भी हमारी बिरादरी आदिवासी मूलनिवासी भूगोल जिंदा है।
राष्ट्रद्रोही मजहबी फासिस्ट राजकाज है, फिरभी नर्क नहीं बनेगा यह देश!
Garm Hawa,the scorching winds of insecurity inflicts Humanity and Nature yet again! https://www.youtube.com/watch?v=QZTvF_1AN8A
पलाश विश्वास
Knock! Knock!Knock!. नी करी दी हालो हमरी निलामी, नी करी दी हालो हमरो हलाल।
सिंहद्वार पर दस्तक भारी,जाग सकै तो जाग म्हारा देश!
Myar Himaalaa Poem by Girish Tiwari -Girda in Pauri Jugalbandi
Faith, here's an equivocator, that could
swear in both the scales against either scale, who com-
mitted treason enough for God's sake, yet could
not equivocate to heaven. O, come in, equivocator.
But this place is too
cold for hell.
यह भारत तीर्थ है,संपूर्ण निजीकरण,संपूर्ण विनिवेश,संपूर्ण एफडीआई राज,संपूर्ण विध्वस के नरसंहार कार्निवाल के जरिये हिमालय में एटमी धमाके करके,समुंदरों को आग के हवाले करके इस भारत तीर्थ कोहुंदुत्व और एकाधिकारवादी नस्ली मनुस्मृति नर्क नहीं बना सकते राष्ट्रद्रोही बजरंगी!यह अभी हड़प्पा मोहंजोदोड़ो की सभ्यता है।
वैदिकी हिंसा के बावजूद अब भी हमारी बिरादरी आदिवासी मूलनिवासी भूगोल जिंदा है।
राष्ट्रद्रोही मजहबी फासिस्ट राजकाज है ,फिरभी नर्क नहीं बनेगा यह देश।
It is treason all round!It is knock knock knock within!
সব্বে সত্তা আভেরা হোন্তু।
সব্বে সত্তা ওব্বপজ্জা হোন্তু।
সব্বে সত্তা আনিঘা হোন্তু ।
সব্বে সত্তা সুখি আত্তান পরিহরন্তু ।
आज हिमाल तुमन कैं धत्यूंछो, जागो-जागो हो मेरो लाल/नी कर करी दी हालो हमरी निलामी, नी कर करी दी हालो हमरो हलाल। (आज हिमालय तुम्हें पुकार रहा है, जागो-जागो ओ मेरे लाल/नहीं होने दो हमारी नीलामी, नहीं होने दो हमारा हलाल)!
तमसोमाज्योतिर्गमय!तूफां खड़ा करना हमारा मकसद नहीं है,हालात ये कायमत के मंजर बदलने चाहिए!
সম্রাট অশোক মহামতি গোতমা বুদ্ধের ৮৪ হাজার দেশনার স্মারক হিসেবে সারা পৃথিবীর নানা দেশে ৮৪ হাজার শিক্ষাকেন্দ্র, চৈত্যভুমি, স্তুপ, চিকিৎসালয়, পান্থশালা, জলাধার প্রভৃতি তৈরি করে জীবের কল্যাণে উৎসর্গ করেন। নগর, গিরি, কানন, বিহার, চৈত্যভুমি প্রভৃতিকে দীপের শিখায় প্রজ্বলিত করে তোলা হয়। সম্রাট অশোক নিজে পাটলী পুত্রের অশোকারাম বিহারে ৮৪ হাজার প্রদীপ জ্বালিয়ে সমতামূলক ন্যায়যুগের সূচনা করেন। মহাভিক্ষুদের কন্ঠে উচ্চারিত হয় এক চিরন্তন মঙ্গল বার্তাঃ সব্বে সত্তা সুখিতা হোন্তু।
दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है. आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है. वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.
(विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़' से)
The Brahaminical Hegemony Racket behaves Anti National!Anti Hindu.Thus,Total FDI Raj invoked on the eve of Diwali!Thus,at the eve of Diwali it is knock knock knock within!
Happy Diwali India!Happy Diwali Humanity.It has nothing to do with Bajrangi plotics of religion or religion of politics so much so hyped Manusmriti Agenda of Hindutva,to make globe the peripherry of Indian Barhaminical hegemony.Rathe celebrate Diwali as the Carnival of Light against the business friendly darkness,the governance of fascism,the Rape Tsunami!Pl incarnate the Sun God,personified as Female Chhat Maiya,to end the Patriarchal Racist Hegemony of One Percent in the best interest of Nature and Humanity!O God Sun,unleash all your solar storms to destroy this infinite regime of darkness!
यह हमारा भारत तीर्थ है।धर्म के नाम राष्ट्रद्रोह के बावजूद हिंदुत्व के इस नर्क के खिलाफ आत्मा की आवाजें गूंज रही हैं दसो दिशाओं में।आज से देश के रक्षक,भारत की एकता और अखंडता के रक्षक,मातृभूमि के असल बच्चे,डिफेंस वेटेरन्स देश की ओर से उनके सम्मान में दिये गये मेडेल वापस कर रहे हैं।हमारे गुरुजी तारा चंद्र त्रिपाठी ने फासीवाद हारा नहीं,हस्तक्षेप का यह लिंक शेयर करते हुए फिर साफ साफ चेताया है आगे महाभारत है। गोरक्षा बीफगेट के आयातित अरब वसंत नाकाम हो गया तो फिर नया तूफां रचदिया गया है और अबकी दफा अंग्रेजी फौटों के लोहे के चने चबाने के लिए भारतमाता के असली बेटे टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है।
It is treason all round!It is knock knock knock within!
हिंदू तालिबान का पुनरुत्थान है, हिंदुत्व का नहीं।अभी अभी हारे हैं और केसरिया इतिहास बनाने वाले अब टीपू की हत्या पर आमादा हैं। उग्रवादी गुट यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा के शीर्ष नेता अनूप चेतिया को बांग्लादेश सरकार ने भारत को सौंप दिया है। भारत, बांग्लादेश से चेतिया की काफी समय से कस्टडी मांग रहा था, लेकिन पड़ोसी देश इससे स्वीकार नहीं कर रहा था, लेकिन चेतिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के सक्रिय रूप से जुड़ने के चलते भारत को सौंपा गया है। बांग्लादेश ने चेतिया को शरण देने से इंकार किया है।
It is treason all round!It is knock knock knock within!
हाल यह है कि बिहार में बीजेपी की दुर्गति पर वरिष्ठ नेताओं ने जहां मंगलवार को साझा बयान जारी कर नाराजगी जाहिर की और इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली पर सवाल उठाए, वहीं अब पार्टी ने आधिकारिक बयान जारी कर पीएम और शाह का बचाव किया है। बीजेपी ने अपने बयान में कहा कि वह बिहार चुनाव में हुई हार पर मंथन कर चुकी है और पार्टी सीनियर नेताओं के सुझाव का स्वागत करती है।
It is treason all round!It is knock knock knock within!
भाजपा ने अपने बयान में लिखा है कि पार्टी सोमवार को संसदीय बोर्ड में बिहार चुनाव के नतीजों और हार पर गहन चर्चा कर चुकी है। बयान में आगे लिखा गया है, 'पार्टी इस हार से उबरने के लिए दूसरे मंचों और वरिष्ठ नेताओं से भी बात करेगी। आपको बता दें कि बिहार में भाजपा की हार पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार की चौकड़ी ने गत मंगलवार शाम को तीखा हमला किया। चारों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वो जो जीत का श्रेय लेने वाले थे..
बिहार चुनाव में हार के बाद भाजपा में अंदरुनी कलह खुल कर सामने आ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने हार पर आत्म मंथन करने पर जोर दिया और कहा कि दिल्ली की हार से पार्टी ने कोई सबक नहीं सीखा। वहीं भाजपा नेता नितिन गडकरी ने कहा कि बिहार चुनाव में हार के लिए पीएम मोदी और अमित शाह जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलकर बनी है किसी एक व्यक्ति से नहीं, हार या जीत सामूहिक तौर से होती है, उसके लिए किसी एक शख्स या लोगों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।गडकरी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को अध्यक्ष पद से हटाए जाने की संभावना से इंकार किया ...
इस हिंदुस्तान की सरजमीं पर गांधी की फिर फिर हत्या कर रहे ,रोज रोज कत्लेआम को अंजाम देने वाले मनुष्यता के युद्ध अपराधी मजहबी सियासत के आतंकवादियों,उग्रवादियों को छुट्टा सांढ़ों और अश्वेमेधी घोडो़ं के साथ बलात्कार सुनामी का सृजन करने वाले कटकटेला अंधियारे के अरबपति सत्तावर्ग के चरमपंथी उग्रवादी बजरंगियों को तो बारत ही शरण दे रहा है और संस्थागत फासिज्म के मुख्यालय से रक्तबीज की फसल है तो कोई मां काली ही उनसे हमारा यह भारत तीर्थ की रक्षा कर सकती है,ऐसी अंध भक्ति हिंदू धर्म का सर्वनाश और भारतवर्ष के विनाश का कारण है।
कुलबर्गी,पनेसर ,दाभोलकर तो क्या फिर फिर हत्या से अविराम बहते बापू के खून से जिन हत्यारों की प्यास नहीं बूझी,उनकी नरसंहार संस्कृति हिंदुत्व हरगिज नहीं है।
समता और न्याय का जो संविधान बाबासाहेब ने रचा,उसकी प्रस्तावना में दरअसल हिंदुत्व के साथ साथ समता और न्याय,पंचशील का उद्घोष है और रोज रोज उसकी हत्या सत्तावर्ग का रोजनामचा है।
यही जनादेश है?
गोशाला कहीं नहीं है।खेती तबाह कर दी है।कारोबार खत्म कर दिया गया है।उद्योग धंधे,उत्पादन प्रणाली और अर्थव्यवस्था विदेशी पूंजी के हवाले।अर्थव्यवस्था से दिवाली तक ,धर्म कर्म सबकुछ एब एफडीआई है।
जिस गुरुग्रंथ साहिब को हम सर्वोच्च मानते रहे हैं,उस गुरु पर्व का अवसान ही यह अंधियारा है।
मुक्त बाजार में जो चकाचौंध महातिलिस्म हुआ करे हैं।
हमारे गुरुजी हमारे मार्गदर्शक रहे हैं और उनके मार्गदर्शन का सिलसिला थम नहीं है।
सिखों के लिेए गुरुग्रंथ साहिब सर्वोच्च है.जहां ईश्वर, देवताओं अपदेवताओं,देवियों की,अपदेवियों की कोई सत्ता नहीं होती।
सारे संस्कार गुरुग्रंथ साहिब के सामने संपन्न होते हैं।
पंजाब में और पाकिस्तान में छूटे पंजाब में भी न सिर्फ बोली बल्की संस्कृति,रीति रिवाज एक हैं और आपरेसन ब्लू स्टार ध्रूवीकरण से पहले तक पंजाब में हिंदुओं और सिखों के लिए गुरुग्रंथ साहिब सर्वोच्च रहा है।
आपरेशन ब्लू स्टार ने इस गुरुपर्व का अवसान कर दिया है।
आज की पीढ़ी के लिए गुरु दुर्लभ हैं तो हम जैसे बूढ़ों के गुरु अब भी हमें ठोंक ठोंककर सही दिशा बता रहे हैं।
मुझे बाकी किसी चीज की इस दुनिया में परवाह नहीं है सिवाय इसके कि हमारे गुरुजी के सत्य वचन से कहीं हमारा विचलन न हो जाये।नैनीताल में मेरे साथी मुझे वास मैदान लौटने को न कहें।
बिहार के केसरिया बलात्कार सुनामी के खिलाफ जिस अशनिसंकेत का जिक्र हम बार बार कर रहे हैं हमारे गुरुजी तारा चंद्र त्रिपाठी ने उसका खुलासा साफ साफ किया है।
बजरंगी मुक्त बाजार के धर्नेमोन्मादी खुल्ला खेल फर्ऱूखाबादी ने गाय को बेदखल कर दिया क्योंकि उनके ही अश्वमेध राजसूय से खेती खत्म हैं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं।खेत खलिहान बचे नहीं है तो गाय को कौन पूछनेवाला है।
गांवो में तो अब गोबर या गोमूत्र मिलता नहीं है और महानगरों ,शहरी सीमेंट के जंगल में यूरिया कीटनाशक मिला जहर का खुल्ला कारोबार है दूध दही के नाम पर।अनाज और सब्जियों के बाद अब पेयजल भी जहर है।सारा देश मधुमेह का कारोबार है।
ब्रांडिंग है।बंद होगी तो पिर ले देकर चालू हो जायेगी।
पेय और फास्टफूड का जहरीला फलता फूलता कारोबार और नियंत्रण उदाहरण है।
गोरक्षा अगर धर्म है तो हमें धर्मभ्रष्ट किया है इसी राष्ट्रद्रोह ने।गैरमजहबी लोगों के खि्लाफ मजहबी सियासत तो दरअसल हिंदू ग्लोब के एजंडा के मुताबिक आइसिस की तर्ज पर हिंदू तालिबान का पुनरुत्थान है,हिंदुत्व का नहीं।
गोशाला कहीं बचा भी है कि नहीं।
उन्ही बेदखल गायों के नाम अरब वसंत का आयात भारत में और गोमांस को लेकर धार्मिक ध्रूवीकरण की बेशर्म कोशिश में पूरा देश आग के हवाले।अब दुनिया आग के हवाले करने की फिराक में हैंं।
अभी अभी हारे हैं और केसरिया इतिहास बनाने वाले अब टीपू की हत्या पर आमादा हैं।
गिर्दा का यह मशहूर गीत उनके आशावाद की ऊंचाइयों की एक अदद मिसाल था कि- ओ जैंता, इक दिन न त आलौ/ऊ दिन य दुनी में/ जै दिन कठुली रात ब्याली/प फटेंल, क कंडेल/ हमनी होला ऊ दिन/हमले ऊ दिन होला/ओ जैंता, इक दिन न त आलौ….। भावार्थ यह कि इस दुनिया में ऐसा दिन ज़रुर आयेगा जब अंधेरी रात विदा होगी और नया सवेरा दस्तक देगा। तब हम भले ही न होंगे लेकिन इक दिन तो ऐसा आयेगा।
संपूर्ण एफडीआई राज!
भारत विदेशी पूंजी के हवाले!
बिहारे नीतीशे कुमार जनादेश का बजरंगी जवाब!
दिवाली पर युधिष्ठिर अवतार में नंगे बिरंची बाबा ने बिहार जनादेश के बाद जुए में देश भी हार गये!
हमका भी हउ चाहि!
द्रोपदी का चीरहरण और हम तमाशबीन आत्मध्वंशी कुरुवंश!
बिहार का जनादेश काफी नहीं है बेलगाम अश्वमेधी सांढ़ों और घड़ो को लगाम सकने के लिए।हम बार बार कहि रहे हैं।
उनके इस अधर्म अपकर्म धतकरम की तुलना यौनकर्म से भी नहीं कर सकते क्योंकि वे भी खून पसीने की कमाई खाते हैं,हराम के अंधियारे के अरबों अरबों कालाधन का खजाना नहीं है समाज से बहिस्कृत,पितृसत्ता के शिकार और उत्पीड़ितों का।
विडंबना है कि किसी के साथ भी सत्ता के लिए हमबिस्तर होने वालों के लटके झटके और बड़बोले वैचारिक नैतिक धार्मिक बोल वे ही हैं जो यौनकर्म के लक्षण हैं,राजकाज,राजनय और राजनीति के नहीं।अधर्म है यह अपराधकर्म,राष्ट्रद्रोह!
विदेशी पूंजी उनकी मुहब्बत है,बेगानी शादी में बाराती मजे में हैं,आम लोग अब्दुल्ला दीवाना!
लंदन से खबर है मीडिया की। बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को मिली करारी हार पर वैश्विक मीडिया ने कहा कि यह मोदी के लिए सबसे अहम घरेलू झटका है और यह दिखाता है कि वोट हासिल करने की उनकी क्षमता अब कम होती जा रही है । ब्रिटिश अखबार ‘दि गार्जियन’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिहार चुनाव जीतने में बीजेपी की नाकामी को इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि वोटरों पर मोदी की अपील अब कम होनी शुरू हो गई है।
अखबार ने कहा कि भारत की सत्ताधारी पार्टी ने एक प्रांतीय चुनाव में हार मान ली है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र की वोट हासिल करने की क्षमता और उनकी राजनीतिक रणनीति की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था। अखबार ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब मोदी इस हफ्ते ब्रिटेन की यात्रा पर जाने वाले हैं।
‘दि गार्जियन’ ने लिखा कि बिहार में बीजेपी की हार मोदी के लिए सबसे अहम घरेलू झटका है क्योंकि पिछले साल उभरती आर्थिक ताकत में हुए एक आम चुनाव में उन्हें शानदार जीत मिली थी। अपने चुनाव प्रचार में तेज विकास, आधुनिकीकरण एवं अवसर प्रदान करने के साथ-साथ रूढीवादी सांस्कृतिक एवं सामाजिक मूल्यों के संरक्षण का वादा कर उन्होंने जीत हासिल की थी। अखबार ने कहा कि पिछले साल के चुनाव के दौरान मोदी ने अर्थव्यस्था को नई उंचाइयों तक ले जाने के जो भी वादे किए थे वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं ।
बीबीसी ने लिखा कि मोदी को पिछले साल के राष्ट्रीय चुनावों में एक शानदार जीत मिली थी, लेकिन यह चुनाव उनके आर्थिक कार्यक्रमों पर एक रायशुमारी के तौर पर देखा जा रहा था। यह हार एक बड़ा झटका है। पाकिस्तान के बड़े अखबार ‘डॉन’ ने कहा कि खानपान की आदतों पर भारत की पारंपरिक सहनशीलता की कीमत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाय पर राजनीति के खिलाफ बिहार चुनाव के नतीजे आए हैं। इसने उनके संकीर्ण राष्ट्रवाद के खिलाफ विपक्षी एकता के एजेंडा को तय कर दिया है।
‘दि न्यूज’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिहार में बीजेपी की हार प्रधानमंत्री के लिए बड़ा झटका है जिन्होंने अपने प्रचार में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। ‘दि न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को आज उस वक्त करारा झटका लगा जब जनसंख्या के मामले में भारत के तीसरे सबसे बडे राज्य बिहार के वोटरों ने विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को खारिज कर दिया।
ब्रिटिश अखबार ‘दि गार्जियन’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिहार चुनाव जीतने में बीजेपी की नाकामी को इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि वोटरों पर मोदी की अपील अब कम होनी शुरू हो गई है।
Palash Biswas
MACBETH
Act 2, Scene 3
Porter
1 Here's a knocking indeed! If a man were
3 key. (Knock.) Knock, knock, knock! Who's there,
7 (Knock.) Knock, knock! Who's there, in the other
10 mitted treason enough for God's sake, yet could
11 not equivocate to heaven. O, come in, equivocator.
12 (Knock.) Knock, knock, knock! Who's there? Faith,
14 out of a French hose: come in, tailor; here you may
16 at quiet! What are you? But this place is too
17 cold for hell. I'll devil-porter it no further: I had
18 thought to have let in some of all professions that go
19 the primrose way to the everlasting bonfire. (Knock.)
21 the porter.
ORIGINAL TEXT | MODERN TEXT | |
Enter a PORTER. Knocking within
|
A sound of knocking from offstage. A
PORTER
A porter is a doorkeeper.
PORTER , who is obviously drunk, enters.
| |
PORTER
Here’s a knocking indeed! If a man were porter of hell-gate, he should have old turning the key.
|
PORTER
This is a lot of knocking! Come to think of it, if a man were in charge of opening the gates of hell to let people in, he would have to turn the key a lot.
| |
Knock within
|
A sound of knocking from offstage.
| |
Knock, knock, knock! Who’s there, i' th' name of Beelzebub? Here’s a farmer that hanged himself on the expectation of plenty. Come in time, have napkins enough about you, here you’ll sweat for ’t.
|
Knock, knock, knock! (pretending he’s the gatekeeper in hell) Who’s there, in the devil’s name? Maybe it’s a farmer who killed himself because grain was cheap.(talking to the imaginary farmer) You’re here just in time! I hope you brought some handkerchiefs; you’re going to sweat a lot here.
| |
Knock within
|
A sound of knocking from offstage.
| |
Knock, knock! Who’s there, in th' other devil’s name? Faith, here’s an equivocator that could swear in both the scales against either scale, who committed treason enough for God’s sake, yet could not equivocate to heaven. O, come in, equivocator.
|
Knock, knock! Who’s there, in the other devil’s name? Maybe it’s some slick, two-faced con man who lied under oath. But he found out that you can’t lie to God, and now he’s going to hell for perjury. Come on in, con man.
| |
Knock within
|
A sound of knocking from offstage.
| |
5
|
Knock, knock, knock! Who’s there? Faith, here’s an English tailor come hither for stealing out of a French hose. Come in, tailor. Here you may roast your goose.
|
Knock, knock, knock! Who’s there? Maybe it’s an English tailor who liked to skimp on the fabric for people’s clothes. But now that tight pants are in fashion he can’t get away with it. Come on in, tailor. You can heat your iron up in here.
|
Knock within
|
A sound of knocking from offstage.
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Summary: Act 2, scene 3
A porter stumbles through the hallway to answer the knocking, grumbling comically about the noise and mocking whoever is on the other side of the door. He compares himself to a porter at the gates of hell and asks, “Who’s there, i’ th’ name of Beelzebub?” (2.3.3). Macduff and Lennox enter, and Macduff complains about the porter’s slow response to his knock. The porter says that he was up late carousing and rambles on humorously about the effects of alcohol, which he says provokes red noses, sleepiness, and urination. He adds that drink also “provokes and unprovokes” lechery—it inclines one to be lustful but takes away the ability to have sex (2.3.27). Macbeth enters, and Macduff asks him if the king is awake, saying that Duncan asked to see him early that morning. In short, clipped sentences, Macbeth says that Duncan is still asleep. He offers to take Macduff to the king. As Macduff enters the king’s chamber, Lennox describes the storms that raged the previous night, asserting that he cannot remember anything like it in all his years. With a cry of “O horror, horror, horror!” Macduff comes running from the room, shouting that the king has been murdered (2.3.59). Macbeth and Lennox rush in to look, while Lady Macbeth appears and expresses her horror that such a deed could be done under her roof. General chaos ensues as the other nobles and their servants come streaming in. As Macbeth and Lennox emerge from the bedroom, Malcolm and Donalbain arrive on the scene. They are told that their father has been killed, most likely by his chamberlains, who were found with bloody daggers. Macbeth declares that in his rage he has killed the chamberlains.
Happy Diwali India!Happy Diwali Humanity.It has nothing to do with Bajrangi plotics of religion or religion of politics so much so hyped Manusmriti Agenda of Hindutva,to make globe the peripherry of Indian Barhaminical hegemony.Rathe celebrate Diwali as the Carnival of Light against the business friendly darkness,the governance of fascism,the Rape Tsunami!Pl incarnate the Sun God,personified as Female Chhat Maiya,to end the Patriarchal Racist Hegemony of One Percent in the best interest of Nature and Humanity!O God Sun,unleash all your solar storms to destroy this infinite regime of darkness!
দীপদানোৎসব সর্বোসত্তার মঙ্গলোৎসবঃ
Saradindu Uddipan
দীপদানোৎসব একটি প্রচলিত প্রাচীন ভারতীয় অসুর উৎসব। আদীভারতীয় জনপুঞ্জের মধ্যে এই উৎসব এক সার্বজনীন মঙ্গলোৎসব হিসেবে পালিত হত। সর্বোসত্তার মঙ্গলপূর্ণ সহাবস্থানই এই পরবের মূল বার্তা। এখনো পৃথিবীর আদিভাষার জনক কোলভাষী সাঁওতাল সমাজের মধ্যে এটি “সহরায়” পরব হিসেবে পালিত হয়। এই সময় চৈত্যভূমি(স্তুপ, থান), কুলি এবং ঘর-দোর থেকে সমস্ত আবর্জনা সরিয়ে, ঘরের দেয়ালে দেয়ালে বিচিত্র আলপনা দিয়ে সাজিয়ে তোলা হয়। কুড়মি সমাজের মধ্যে এই পরবকে বলা হয় “বাদনা পরব”। বাদনা পরব আসলে অসুর রাজা শিব এবং কৃষ্ণের “গোবর্ধন” বা গো-বন্দনা পূজার অংশ।
হরপ্পা ও মহেঞ্জোদড়ো সভ্যতায় প্রাপ্ত নানা প্রকার পোড়া মাটির শিল থেকেও এই গো-বন্দনার বহু নিদর্শন পাওয়া যায়। পুরাণাদি ব্রাহ্মন্যবাদি শাস্ত্রে অসুর তেহার হিসাবে এই উৎসবের উল্লেখ রয়েছে।
প্রাচীন ভারতীয় বর্ষপুঞ্জি মতে কার্ত্তিক মাসের ঘনঘোর অমাবস্যায় কালরাত্রির অবসান ঘটে। বৌদ্ধশাস্ত্র মতে এই ঘনঘোর অন্ধকার অজ্ঞানতার প্রতীক। তাই তাকে দূর করার জন্য জ্ঞানশিখা প্রজ্বলিত করে আর একটি মঙ্গলময় কালচক্কযানের বন্দনা করা হয়।
সম্রাট অশোক মহামতি গোতমা বুদ্ধের ৮৪ হাজার দেশনার স্মারক হিসেবে সারা পৃথিবীর নানা দেশে ৮৪ হাজার শিক্ষাকেন্দ্র, চৈত্যভুমি, স্তুপ, চিকিৎসালয়, পান্থশালা, জলাধার প্রভৃতি তৈরি করে জীবের কল্যাণে উৎসর্গ করেন। নগর, গিরি, কানন, বিহার, চৈত্যভুমি প্রভৃতিকে দীপের শিখায় প্রজ্বলিত করে তোলা হয়। সম্রাট অশোক নিজে পাটলী পুত্রের অশোকারাম বিহারে ৮৪ হাজার প্রদীপ জ্বালিয়ে সমতামূলক ন্যায়যুগের সূচনা করেন। মহাভিক্ষুদের কন্ঠে উচ্চারিত হয় এক চিরন্তন মঙ্গল বার্তাঃ সব্বে সত্তা সুখিতা হোন্তু।
সব্বে সত্তা আভেরা হোন্তু।
সব্বে সত্তা ওব্বপজ্জা হোন্তু।
সব্বে সত্তা আনিঘা হোন্তু ।
সব্বে সত্তা সুখি আত্তান পরিহরন্তু ।
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