Friday, December 18, 2015

सवाल है अफरोज आलम साहिल का, पत्रकार तो चलो बेगैरत होता ही है, लेकिन संपादकों की गैरत कहां चली गई है?


सवाल है अफरोज आलम साहिल का, पत्रकार तो चलो बेगैरत होता ही है, लेकिन संपादकों की गैरत कहां चली गई है?
Afroz Alam Sahil


टाईम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाईम्स जैसे कई बड़े अख़बार... अगर इनके संपादकों तक मेरी आवाज़ पहुंच पा रही हो या आप में से कोई पहुंचा सके तो उन्हें ये बता दें कि उनके रिपोर्टर अपनी बाइलाईन ख़बरें लाते कहां से हैं?
बीबीसी हिन्दी के लिए मैंने एक एक्सक्लूसिव ख़बर की थी. ख़बर थी –‘बीजेपी को बीफ़ से परहेज़, 'चंदे' से नहीं…’ (http://www.bbc.com/…/india/2015/12/151215_beef_export_fund_…)
इस ख़बर को देश भर के तमाम मीडिया वेबसाईटों व अखबारों ने बीबीसी से कॉपी-पेस्ट करके अपने यहां चिपका दी. किसी ने भी बीबीसी को कोई क्रेडिट नहीं दिया. खैर इसमें कोई खास दिक्कत नहीं है. क्योंकि देश के ज्यादातर वेबसाईट या अख़बार कॉपी-पेस्ट के भरोसे ही चल रहे हैं. मगर दिक्कत यहां है कि खुद को बड़ा कहलाने वाले अख़बारों के पत्रकारों ने इस स्टोरी को ज्यों का त्यों या थोड़ा उपर-नीचे करके अपने नाम से छाप दिया. अब इनके अख़बार के संपादक बताएं कि ये कौन सी पत्रकारिता है? पत्रकार तो चलो बेगैरत होता ही है, लेकिन संपादकों की गैरत कहां चली गई है?

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