ऐसी बिभत्स एवम् दयनीय घटनाये दलितों पर जाति देखकर की जा रही है न कि निर्धनता को देखकर, तो फिर मोहन भागवत जी इन घटनाओं की समीक्षा क्यों नहीं करते? आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात करने वाले इन घटनाओ का बहिस्कार क्यों नहीं करते ? दलितों से कहना है कि कब तक गहरी नींद सोते रहोगे, कभी जागना नहीं चाहते हो क्या? हमेशा हमेशा के लिए सोते रहोगे क्या ? कब आँख खुलेगी आपकी ?
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