सिनेमा हाल जाकर फिल्म देखे अरसा हो गया. पर अब 'दिलवाले' देखने जाना ही होगा. मोदी जी, जेटली जी और भागवत जी को भी सिनेमा हाल जाकर देखना चाहिये. उनके ऐसा करने से सत्ताधारी पाटी॓ और उसके मातृ संगठन को फायदा होगा. इन संगठनों के 'फसादवादी'(चाहें तो इसके लिये अंग्रेजी के F अक्षर से शुरू होने वाले एक बहुचर्चित शब्द का भी इस्तेमाल कर सकते हैं) होने या न होने पर समाज में कुछ समय के लिये आगे भी कन्फ्यूजन जारी रहा सकता है! फिल्म पर तोड़फोड़ करने वालों को सरकार उग्रवादी-अपराधी मानते हुए कड़ी कार॓वाई क्यों नहीं करती? क्या भारत को हिन्दुत्व के झंडे के नीचे 'बनाना रिपब्लिक' बनाने का एजेंडा है?
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