वाह रे भाई नित्यानंद। बड़का कवि नित्हयानंद गायेन।हमउ तो तोके निछल्ला समझत रहे।कित्ती दफा समझाय़ा के फोटो उटो सेल्फी मा मगन ना रहियो।तोर वास्ते करने को ढेरो काम ह।हमउ मुा जाई तो हमार अधूरा कमा कौन करबो,सोचत नाही।कंटीन्यूटी फिल्म मा जरुरी बा तो जिंदगी मा अनिवार्य।
कविता तो बढ़िया लिखलल बाड़न।
ई पीस तो तो जबरजंग ह।हमउ दांथ चियार दिये।का करें,छत्तीस ना ह।कुछेक टूटल वानी।बाकीर सीना भी छप्पन इंच त नइखै।
पण तू एइसन ही रामयण बांचब तो सेहत हमार दुरुस्त हो जाई।हमउ ससुर सुबो सुबो मुह् धोये बिन बइठलन वानी केके कि लिखलन हमार भाई बिरादर।
लिखअ।खूब लिखअ।
लिखअ तो सेल्फी उल्फी ठीकै बा।
पलाश विश्वास
और इस तरह एक और साइबर वार के बाद सुबह हो चली | रावण का मन पिघल गया और वह बहन शूर्पणखा को खोजने निकल गया | वाल्मीकि ने रावण के मृत्यु के कारण भी बताएं हैं अपने कविता संग्रह 'रामायण' में | मुझे वो कारण बहुत ही उलझाने वाले लगे| अंत होते-होते सारा दोष रावण के कंधे पर डाल दिया उन्होंने !
लेडी दुर्गा जिन्होंने सरेआम महिषासुर नामक एक व्यक्ति का क़त्ल किया था | उनके खिलाफ़ भी किसी थाने में कोई FIR दर्ज नहीं ...रामबाबू भी स्वतंत्र हैं....वानर सेना के कुछ बहादुर जवान सेना भवन और नार्थ एवं साउथ ब्लोक के आस पास घूमते देखे जा सकते हैं और बाकी जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया था वे कनाट प्लेस के कॉफ़ी हाउस और हनुमान मंदिर के पास तम्बू लगा बैठे हैं ....रामबाबू के भक्त उन्हें चना खिलाते हैं | पता चला कि वानर को चना खिलाने से बहुत पुन्य मिलता है | किसी मल बाबा ने टीवी पर बताया , भारत टीवी पर , हाँ वही टीवी जिसमें बाप की अदालत नामक एक टीवी शो चलता है उसी पर |
अब हम जैसों को भी सरकारी खजाने से चने खिलाने की बात चल रही है ...लोकसभा और विधानसभा में जल्दी ही इस मामले में कानून भी पास हो सकता है....यदि ऐसा हुआ तो सभी वानरों को सुबह शाम चने चबाने को मिलेंगे |
लेडी दुर्गा जिन्होंने सरेआम महिषासुर नामक एक व्यक्ति का क़त्ल किया था | उनके खिलाफ़ भी किसी थाने में कोई FIR दर्ज नहीं ...रामबाबू भी स्वतंत्र हैं....वानर सेना के कुछ बहादुर जवान सेना भवन और नार्थ एवं साउथ ब्लोक के आस पास घूमते देखे जा सकते हैं और बाकी जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया था वे कनाट प्लेस के कॉफ़ी हाउस और हनुमान मंदिर के पास तम्बू लगा बैठे हैं ....रामबाबू के भक्त उन्हें चना खिलाते हैं | पता चला कि वानर को चना खिलाने से बहुत पुन्य मिलता है | किसी मल बाबा ने टीवी पर बताया , भारत टीवी पर , हाँ वही टीवी जिसमें बाप की अदालत नामक एक टीवी शो चलता है उसी पर |
अब हम जैसों को भी सरकारी खजाने से चने खिलाने की बात चल रही है ...लोकसभा और विधानसभा में जल्दी ही इस मामले में कानून भी पास हो सकता है....यदि ऐसा हुआ तो सभी वानरों को सुबह शाम चने चबाने को मिलेंगे |
लक्ष्मण की बीवी रात भर रोती रही ....खबर है अपने बड़े भाई रामबाबू के साथ जंगल गया था ...और किसी लफ़ंगे से दोनों भाइयों का पंगा हो गया और फिर उस आदमी के चमचों ने लखन भैया की जमकर धुलाई कर दी | कुछ दिन बाद दोनों भाई घर लौटे तो देखा उनका घर जहाँ था वहां किसी उद्योगपति ने एक बड़ा सा शापिंग माल बना दिया है ...और उन्हीं के गाँव का प्रधान उस उद्योगपति का दोस्त है ...दोनों भाइयों ने कोर्ट में केस कर दिया ..घर वहीँ बनाएंगे....मामला चल रहा है ...चलता रहेगा
ई पीस तो तो जबरजंग ह।हमउ दांथ चियार दिये।का करें,छत्तीस ना ह।कुछेक टूटल वानी।बाकीर सीना भी छप्पन इंच त नइखै।
और फिर मैं गाना सुनने लगा..वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम कुछ अजीब है.. वो कल भी पास -पास थी वो आज भी करीब है .....फिर अचानक याद आ गया वह सूखा पेड़ जिसकी पूरी जीवनी लिख डाली थी मैंने कभी एक कविता में ....पेड़ सूख चुका था बहुत पहले ...फिर गाना सुनने लगा "तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है के नहीं" और फिर इस सवाल का जबाव मैंने खुद से पूछा ....सब हवा ....तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ...ज़िंदगी तो नहीं....तुम जो कह तो आज की रात चाँद डूबेगा नहीं ...चाँद को रोक लो |....पागल जो वो अक्सर कहती है मुझे ....चाँद को भला कौन रोक सकता है डूबने से !.....और फिर याद किया ...कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता .....दरअसल जब मैं यह लिख रहा हूँ ...याद आरहा है उसका चेहरा बार -बार कि कैसे बोलती होगी वो मुझे पागल ! मुस्कुरा देता हूँ ...अकेले में | उसे कैसे पता चला मेरे बारे में ? ....इतना कैसे जानती है वो मुझे ! ...जबकि अब तक नहीं मिले हम | जानने के लिए मिलना जरुरी नहीं हर बार ....यही न ! चलो ...तभी तो सत्ता भी जानती है आवाम की मानसिकता ...गज़ब ....अब तो मुमकिन है बहकना मैं नशें में.... यूँ ही नहीं लिखा गया .....कल की यादें मिट रही हैं , दर्द भी है कम ! .... गज़ब |
तुम्हें भी तो पता है न कि मुझे पसंद नहीं ऊँची आवाज़ में तुमसे बात करना ....पर ऐसा अक्सर करता हूँ मैं शायद ....अब देखो न कल ही एक मित्र ने कहा कि मैं रात होते ही नशें में होता हूँ ...और लड़ने लगता हूँ...पर मैं चीखता तो दिन में हूँ....!
रात में तो मैं अक्सर सुनता हूँ रात की ख़ामोशी , खामोश होकर ....मौन में भी सुन सकते हो आप पीड़ा की चीख ...पर मौन की भाषा सब नहीं समझते ...जैसे आँखों की भाषा ..बहुत आरज़ू थी गली की तेरी........सोया से लहू से नहा के चले ....
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है के नहीं" और फिर इस सवाल का जबाव मैंने खुद से पूछा ....सब हवा ....तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ...ज़िंदगी तो नहीं....तुम जो कह तो आज की रात चाँद डूबेगा नहीं ...चाँद को रोक लो |....पागल जो वो अक्सर कहती है मुझे ....चाँद को भला कौन रोक सकता है डूबने से !.....और फिर याद किया ...कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता .....दरअसल जब मैं यह लिख रहा हूँ ...याद आरहा है उसका चेहरा बार -बार कि कैसे बोलती होगी वो मुझे पागल ! मुस्कुरा देता हूँ ...अकेले में | उसे कैसे पता चला मेरे बारे में ? ....इतना कैसे जानती है वो मुझे ! ...जबकि अब तक नहीं मिले हम | जानने के लिए मिलना जरुरी नहीं हर बार ....यही न ! चलो ...तभी तो सत्ता भी जानती है आवाम की मानसिकता ...गज़ब ....अब तो मुमकिन है बहकना मैं नशें में.... यूँ ही नहीं लिखा गया .....कल की यादें मिट रही हैं , दर्द भी है कम ! .... गज़ब |
तुम्हें भी तो पता है न कि मुझे पसंद नहीं ऊँची आवाज़ में तुमसे बात करना ....पर ऐसा अक्सर करता हूँ मैं शायद ....अब देखो न कल ही एक मित्र ने कहा कि मैं रात होते ही नशें में होता हूँ ...और लड़ने लगता हूँ...पर मैं चीखता तो दिन में हूँ....!
रात में तो मैं अक्सर सुनता हूँ रात की ख़ामोशी , खामोश होकर ....मौन में भी सुन सकते हो आप पीड़ा की चीख ...पर मौन की भाषा सब नहीं समझते ...जैसे आँखों की भाषा ..बहुत आरज़ू थी गली की तेरी........सोया से लहू से नहा के चले ....
यूँ ही ....
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