Thursday, December 10, 2015

” तीन-चार ऐसे लड़के हैं जिनके बच्‍चे मर गये, लेकिन वे उनके अन्तिम संस्‍कार में भी नहीं जा सके… एक अन्‍य लड़के के पिता पिछले साल चल बसे और वह समय से अन्‍येष्टि में नहीं पहुँच पाया। वे दूर-दराज़ से आये हुए थे, कोई उत्‍तर प्रदेश से, कोई हिमांचल प्रदेश से, तो कोई राजस्‍थान, उड़ीसा या अन्‍य जगहों से था और वे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। उनके परिवारवालों ने आना बन्‍द कर दिया है क्‍योंकि वे अब आने का खर्चा नहीं वहन कर सकते। कुछ तो ऐसे हैं जिन्‍होंने अपने परिजनों को छह महीने से ज्‍़यादा समय से नहीं देखा है। तीन-चार लड़के तो अपना मानसिक सन्‍तुलन खो रहे हैं,” उसने कहा।

” तीन-चार ऐसे लड़के हैं जिनके बच्‍चे मर गये, लेकिन वे उनके अन्तिम संस्‍कार में भी नहीं जा सके… एक अन्‍य लड़के के पिता पिछले साल चल बसे और वह समय से अन्‍येष्टि में नहीं पहुँच पाया। वे दूर-दराज़ से आये हुए थे, कोई उत्‍तर प्रदेश से, कोई हिमांचल प्रदेश से, तो कोई राजस्‍थान, उड़ीसा या अन्‍य जगहों से था और वे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। उनके परिवारवालों ने आना बन्‍द कर दिया है क्‍योंकि वे अब आने का खर्चा नहीं वहन कर सकते। कुछ तो ऐसे हैं जिन्‍होंने अपने परिजनों को छह महीने से ज्‍़यादा समय से नहीं देखा है। तीन-चार लड़के तो अपना मानसिक सन्‍तुलन खो रहे हैं,” उसने कहा।
मई 2013 में जब मज़दूरों की पहली जमानती अर्जी ख़ारिज हुई थी तब हरियाणा और पंजाब उच्‍च न्‍यायालय ने टिप्‍पणी की थी कि ''श्रमिक अशान्ति के भय से विदेशी निवेशक भारत में पूँजी निवेश…
MAZDOORBIGUL.NET

No comments:

Post a Comment