Friday, January 29, 2016

जब तक हमें दर्द नहीं होगा तब तक हम दूसरे के दर्द को नहीं समझेंगे वाली नीति के तहत चलेंगे तो हम निश्चित मिट्टी में मिल जाएंगे। हमारा कोई साथ नहीं देगा जब हम मुसीबत होंगे, और निश्चित ही खत्म हो जाएंगे इस विरोधाभासी सोच के तहत।

   
Rajan Kumar
January 30 at 12:30am
 
जब तक हमें दर्द नहीं होगा तब तक हम दूसरे के दर्द को नहीं समझेंगे वाली नीति के तहत चलेंगे तो हम निश्चित मिट्टी में मिल जाएंगे। हमारा कोई साथ नहीं देगा जब हम मुसीबत होंगे, और निश्चित ही खत्म हो जाएंगे इस विरोधाभासी सोच के तहत।

एक काल्पनिक कहानी आपके लिए - एक नेक संत को उसकी मृत्यु के पश्चात नरक में पापियों की यातनाओं का साक्षात करने के लिए ले जाया गया। वह उस जगह की खूबसूरती एवं उदारता देखकर दंग रह गया। उसने नरक के बारे में जो कल्पना की थी, पर सच्चाई उसके एकदम विपरीत थी। वहाँ अल्मारियां तरह-तरह के व्यंजनों एवं स्वादिष्ट फलों से भरी पड़ी थीं। इसके बावजूद वहां के निवासियों में कोई भी खुश नहीं था। सभी लटके हुए चेहरों के साथ उदास एवं दुखी नजर आ रहे थे। इसका कारण यह था कि उनके दोनों हाथ कंधे से लेकर कलाई तक स्टील की लंबी चम्मचों के साथ कसकर बंधे हुए थे। वे अपने आप खाना लेने और खाने के लिए अपने हाथों को मोड़ने में सक्षम नहीं थे। उन्हें नरक के नौकरों के आने का इंतजार करना पड़ता ताकि वे उन्हें खाना खिला सकें। वे नौकर अपनी मर्जी से उन्हें खाना खिलाने आते थे पर उनके आने का कोई निश्चित समय नहीं था। जब वे यमदूत खाना खिलाने के लिए आते तो इन तथाकथित पापियों को अपना मुँह ऊपर की तरफ करके खुला रखना पड़ता था। जब यमदूत खाना खिलाने के लिए आए तो उसने देखा वे बड़े अजीबोगरीब तरीके से खाना खिला रहे थे। वे खाना और फल हवा में फेंक रहे थे। भूखे पापियों को दौड़कर खाना पड़ता था। वे खाने का निवाले या फल के टुकड़ों की तरफ देखते हुए अपना मुँह खोलकर इधर-उधर दौड़ रहे थे। उस आपाधापी में वे एक दूसरे से टकरा रहे थे, लड़ रहे थे और चिल्ला रहे थे, और पागलपन की सारी हरकतें वहाँ हो रही थीं। ये उन पापियों को खाना खिलाने वाले यमदूतों के लिए एक बहुत बड़े मनोरंजन का कारण था और मुट्ठीभर खाने की खातिर उन पापियों के लिए सचमुच नरकीय अनुभव था। खाने को लेकर झगड़ा उन यमदूतों के चले जाने के बाद भी जारी रहता। वह संत पापियों की यह दुर्दशा देखकर बहुत दुःखी हुआ।

इसके पश्चात उस संत को स्वर्ग के खुशहाल लोगों को दिखाने के लिए ले जाया गया, स्वर्ग को देखकर वह और अधिक आश्चर्यचकित हुआ। यह नरक से किसी भी मायने में बेहतर नहीं था। यह उन्हीं भोग-विलासों, ढेरों बहुमूल्य व्यंजनों, स्वादिष्ट फलों आदि के साथ नरक का ही एक दूसरा रूप था। और स्वर्ग में भी लोग ठीक उसी प्रकार कंधे से कलाई तक लंबी चम्मचों से बंधे हुए थे। लेकिन वे सभी आनंद और उल्लास में झूम रहे थे। वहाँ हर कोई नाच रहा था, गा रहा था, संगीत बजा रहा था और हँस खेल रहा था। यह सही मायने में स्वर्ग था। आश्चर्यजनक रूप से, इन भले लोगों को खाना खिलाने के लिए वहाँ कोई नहीं था। फिर भी उनमें कोई भूखा नहीं था। तब वहां ऐसा क्या हो रहा था? यह एकदम सामान्य बात थी, वे आपस में अपनी चम्मच से एक दूसरे को खिला रहे थे। वे खुद नहीं खा सकते थे, लेकिन एक दूसरे को खुशी से खिला रहे थे। जब एक दूसरे को खिला रहा था तो इस प्रक्रिया में उनमें से प्रत्येक अपनी पसंद के खाने का गहराई से आनंद ले रहा था। नरक एवं स्वर्ग में परिस्थितियां एक जैसी थीं। परंतु अंतर लोगों के नजरिए का था। स्वर्ग के धन्य लोग दूसरों को खाना खिलाना पसंद करते थे और खुश थे। लेकिन नरक के पापी दूसरों को खिलाना नापसंद करते थे और भूखे मर रहे थे एवं दुःखी थे।

इस कहानी के कौन से पात्र हमें बनना है यह हमे तय करना है।

आदिवासी विचारधारा के लिए, आदिवासी पहचान के लिए, हक और अधिकार के लिए आप अपने किरदार का चुनाव कर लें।

सशक्त और पूरक समाज के लिए "जय आदिवासी युवा शक्ति" (जयस) द्वारा दिल्ली के लोधी गार्डन में 31जनवरी 2016 (रविवार) को आयोजित बैठक में जरूर हिस्सा लें। जो नहीं आ सकते वो हमें अपने सुझाव भेज सकते हैं। जो भी संगठन हमसे जुड़ना चाहते हैं, वो हमें इमेल करें।

बैठक का विषय आप लोगों को एक बार फिर बता देता हूँ। एक ऐसे आदिवासी संगठन निर्माण जिसका मुख्य उद्देश्य सभी क्षेत्रों मे आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर विरोध दर्ज कराकर न्याय हेतु फौरन कार्रवाई का दबाव सरकार पर बनाना, सभी क्षेत्रीय संगठनों को एक साथ लाकर उनको मजबूती एवं सहयोग करना, आदिवासी अधिकार हेतु संविधान प्रदत्त कानूनों के साथ छेड़छाड़ पर राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र समेत तमाम राज्यों में विचाराधीन लाखों आदिवासी कैदियों को कानूनी मदद प्रदान कर रिहा कराना, आदिवासी बच्चों में शिक्षा के संचार हेतु हर क्षेत्र में कोचिंग और प्रशिक्षण केंद्र एवं स्कूल खोलाना, कंपनी एवं उद्योग स्थापित करना, राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करना, बिजनेस, मिडिया, खेल, सिनेमा सहित हर क्षेत्र में आदिवासी प्रतिनिधित्व स्थापित करना संगठन की जिम्मेदारी होगी।

राजन कुमार
जय आदिवासी युवा शक्ति (JAYS)
मोबाइल - 9958721469
E-mail : nationaljays@gmail.com

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