इतने बरस बीत गए? क्राइम रिपोर्टर के तौर पर मैंने देखा कि शाम के क्राइम बुलेटिन में गोरख पांडेय का ज़िक्र था कि जेएनयू के एक हास्टल में उसने आत्महत्या कर ली। मैं सीधे जेएनयू भागा। राजेंद्र यादव, धीरेंद्र अस्थाना आदि वहाँ थे। गोरख जी से अक्सर मंडी हाउस में मुलाक़ात हो जाती थी। मौत (चाहे वो किसी की भी क्यों न हो) मुझे दयनीय-सा बनाती रही है। उस शाम गोरख की ख़ुदकुशी को याद करते हुए मैं अपना दयनीय चेहरा याद करता हूँ।
No comments:
Post a Comment