Nityanand Gayen
जमीन के सात सौ फिट नीचे
काली और लम्बी सुरंगों का जिगजैक
चालीस डिग्री तापमान और उमस भरे वातावरण में
प्रवेश करता है
खदान का सीनियर मैनेजर |
मैनेजर अब मजदूर में तबदील हो गया है
सर पर हैलमेट
एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में लाइट
पैरों में गम्बोट
निगाहें तेज ....खदान की गलियां जैसे उनका मौहल्ला हों
अँधेरे में भी पहचान लेते हैं अपने कारीगर साथी को
तेज आवाज लगते हैं - संत जी...................
उधर से संत जी का जबाव नहीं आया
किसी और ने कहा - साहब , संत जी आज नहीं आये हैं |
धूल , उमस...मशीनों की गडगडाहट
दुर्गम गालियाँ
धमाकों के बीच से निरीक्षण के लिए आगे बढ़ रहें हैं अंसारी साहेब
पानी का कन्नेक्शन कहीं से टूट गया है
सपोर्ट वाल का स्खलन जारी है
फिर भी चेहरे पर मुस्कुराहट लिए
मुझे सुना रहे हैं
इमरोज, अमृता और साहिर का प्रेम
कि एक रोज भाग आया था इमरोज मुंबई की नौकरी छोड़कर
अमृता के लिए
फिर स्कूटर पर जाते हुए अमृता ने लिखा इमरोज की पीठ पर - साहिर...अपनी ऊँगली से
और कहा - पीठ उसकी , और नाम उसके प्रेमी का ...
मैंने पढ़ा कवि का चेहरा ...
पीने का पानी नहीं है साहब |
साहब ने जोर से आवाज लगाई ....अरे भाई ..16 नम्बर पर कौन है ?
यहाँ पानी नहीं है ...
देखो कहाँ गड़बड़ है
तभी एक मजदूर ने ..पान , खैनी की पुड़िया आगे बढ़ा दिया
साहब ने एक टुकड़ा पान और एक चुटकी खैनी उठाके जुंबा पर रख ली
आगे बढ़ गये ...
पूरा -पूरा दिन ऐसे ही बीतता है उनका
अभी घर लौटे सिर्फ दो घंटे बीते थे
कि बज उठा लैंड लाइन
वे समझ गये ...फोन खदान से है
बस दौड़ पड़े अपनी बाइक लेकर ...
काली और लम्बी सुरंगों का जिगजैक
चालीस डिग्री तापमान और उमस भरे वातावरण में
प्रवेश करता है
खदान का सीनियर मैनेजर |
मैनेजर अब मजदूर में तबदील हो गया है
सर पर हैलमेट
एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में लाइट
पैरों में गम्बोट
निगाहें तेज ....खदान की गलियां जैसे उनका मौहल्ला हों
अँधेरे में भी पहचान लेते हैं अपने कारीगर साथी को
तेज आवाज लगते हैं - संत जी...................
उधर से संत जी का जबाव नहीं आया
किसी और ने कहा - साहब , संत जी आज नहीं आये हैं |
धूल , उमस...मशीनों की गडगडाहट
दुर्गम गालियाँ
धमाकों के बीच से निरीक्षण के लिए आगे बढ़ रहें हैं अंसारी साहेब
पानी का कन्नेक्शन कहीं से टूट गया है
सपोर्ट वाल का स्खलन जारी है
फिर भी चेहरे पर मुस्कुराहट लिए
मुझे सुना रहे हैं
इमरोज, अमृता और साहिर का प्रेम
कि एक रोज भाग आया था इमरोज मुंबई की नौकरी छोड़कर
अमृता के लिए
फिर स्कूटर पर जाते हुए अमृता ने लिखा इमरोज की पीठ पर - साहिर...अपनी ऊँगली से
और कहा - पीठ उसकी , और नाम उसके प्रेमी का ...
मैंने पढ़ा कवि का चेहरा ...
पीने का पानी नहीं है साहब |
साहब ने जोर से आवाज लगाई ....अरे भाई ..16 नम्बर पर कौन है ?
यहाँ पानी नहीं है ...
देखो कहाँ गड़बड़ है
तभी एक मजदूर ने ..पान , खैनी की पुड़िया आगे बढ़ा दिया
साहब ने एक टुकड़ा पान और एक चुटकी खैनी उठाके जुंबा पर रख ली
आगे बढ़ गये ...
पूरा -पूरा दिन ऐसे ही बीतता है उनका
अभी घर लौटे सिर्फ दो घंटे बीते थे
कि बज उठा लैंड लाइन
वे समझ गये ...फोन खदान से है
बस दौड़ पड़े अपनी बाइक लेकर ...
ऐसी दिनचर्या के बाद भी
वे लिखते हैं 'पहचान'
सलमा की कहानी
यही उनका 'संकेत' है
कवि ऐसे नहीं बना जाता भाई ....
वे लिखते हैं 'पहचान'
सलमा की कहानी
यही उनका 'संकेत' है
कवि ऐसे नहीं बना जाता भाई ....
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