AIIMS ने अपने इतिहास में पहली बार अपने एक टीचर/प्रोफेसर/डॉक्टर को टर्मिनेट यानी बर्खास्त किया है. वह भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सीधे और लिखित हस्तक्षेप के कारण.
क्या आप उनसे मिलना नहीं चाहेंगे? अगर आप चाहते है कि कोई और रोहित वेमुला न बने, तो आपको उनसे मिलना चाहिए. तमाम बड़े अखबारों में यह तो छप चुका है कि एम्स के प्रोफेसरों ने इस बर्खास्तगी का विरोध कर दिया है. अब आगे पढ़िए.
पहले यह जानिए कि उन्हें टर्मिनेट किसने किया. यह आदेश इसी साल 6 जनवरी को जारी हुआ है. रोहित के केस की ही तरह यहां सीधे केंद्रीय स्तर से हस्तक्षेप है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पंडित जे. पी. नड्डा इन्वॉल्व हैं. पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्री की सहमति से आदेश जारी किया जा रहा है. पत्र पर डायरेक्टर एमसी मिश्रा और डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन वी. श्रीनिवासन के दस्तखत हैं. शिकायत मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड एस. के. शर्मा की है. अब इन बेचारों का क्या दोष, अगर ये सभी एक ही जाति के हैं. पत्र में बर्खास्तगी का कोई कारण नहीं बताया गया है.
अब मिलिए डॉक्टर और एसिस्टेंट प्रोफेसर कुलदीप से. किंग्स जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से MBBS हैं. सर्जरी और ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशल ऑनर मिला. 2002 में ऑल इंडिया पीजी एंट्रेंस के भारत में 8th रैंकर हैं. इसलिए अनरिजर्व कैटेगरी से देश के श्रेष्ठ मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में MD में एडमिशन मिला. एम्स में सीनियर रेजिडेंट रहने के दौरान आउटस्टैडिंग सर्विस का सर्टिफिकेट मिला. अभी एम्स में एचआईवी संक्रमण के टॉप डॉक्टर होने के नाते क्लिनिक हेड कर रहे थे. प्रतिभा को देखते हुए, मेडिसिन डिपार्टमेंट का हेड बनना तय था. वे इंडियन मेडिकल प्रोफेशनल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी भी हैं.
बस फिर क्या था, ब्राह्मणवादी गिरोह उन्हें निपटाने में जुट गया और जब निकाला तो कारण बताने की औपचारिकता भी नहीं निभाई. क्योंकि कोई कारण है भी नहीं. जो कारण है, वह आप फोटो में देख सकते हैं.
लेकिन वे डॉक्टर कुलदीप को चुपचाप निगल नहीं पायेंगे. एम्स के प्रोफेसरों की एसोसिएशन ने 11 जनवरी को डॉयरेक्टर मिश्रा का घेराव किया. जनहित अभियान के साथी Raj Narayan भी जुट गए हैं. इस बारे में सारे डॉक्यूमेंट्स वे अपलोड करेंगे.
अगर इन वजहों से डॉक्टर कुलदीप कल को अमेरिका या यूरोप चले जाते हैं तो मरीजों और देश को हुए नुकसान की भरपाई नड्डा करेंगे कि मिश्रा?
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