Saturday, February 27, 2016

जातियों की अनगिनत संख्या को इस समस्या का जड़ मानते हुए यह निश्चय किया गया है कि पुरे समाज को केवल दो ही हिस्सों में बांटा जाएँ - देशभक्त और देशद्रोही | इससे न केवल तनाव के वातावरण ही साफ़ होगा बल्कि जाति-पहचान भी काफी आसान हो जाएगी | सरकार के सारे नीतियों को भी इसीके अनुसार ढल ली जाएगी | आशाएं जताई जा रही है कि इससे सरकारी कामकाज को सरल बनाने और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए काफी मदद मिलेगी | हमारे आरक्षण नीतियों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा एवं आरक्षण से जुड़े सारे मसलों के निरसन के मामले भी उपयोगी सिद्ध होगा | संसद के अगले सत्र में इसपर नया विधेयक लाने कि भी उम्मीद है |

Tarit Das
February 27 at 1:05am
 
हमारे जाति या वर्ण व्यवस्था समाज में विषमता को बढ़ाकर देश में तनाव की स्थिति पैदा की है | ऐसी स्थिति देश के विकाश के रास्ते में भी बाधाएं डाल रही है जिससे देश तथा सरकार को काफी नुकसान हो रहा है | इन सब के मद्देनजर गंभीरता से इस समस्या से उबरने का उपाय निकालने की सोच काफी दिनों से जारी था | काफी विचार-विमर्श के बाद अब इसके बारे में निम्नलिखित क़दमों पर अमल करने का निर्णय लिया गया |

जातियों की अनगिनत संख्या को इस समस्या का जड़ मानते हुए यह निश्चय किया गया है कि पुरे समाज को केवल दो ही हिस्सों में बांटा जाएँ - देशभक्त और देशद्रोही | इससे न केवल तनाव के वातावरण ही साफ़ होगा बल्कि जाति-पहचान भी काफी आसान हो जाएगी | सरकार के सारे नीतियों को भी इसीके अनुसार ढल ली जाएगी | आशाएं जताई जा रही है कि इससे सरकारी कामकाज को सरल बनाने और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए काफी मदद मिलेगी | हमारे आरक्षण नीतियों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा एवं आरक्षण से जुड़े सारे मसलों के निरसन के मामले भी उपयोगी सिद्ध होगा | संसद के अगले सत्र में इसपर नया विधेयक लाने कि भी उम्मीद है |

इस विभाजन का मानक भी तय हो चूका है - मौजूदा सरकार की हर नीतियों पर समर्थन देनेवाले को देशभक्त और समालोचकों को देशद्रोही माना जायेगा |

पर चिंता इस बात की है कि इस विधेयक को भी देश के खिलाफ बताकर हमारे बिरोधियों इस महान और क्रान्तिकारी कदम पर पानी फिरने का प्रयास न करें |

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