Saturday, February 27, 2016

#JusticeForRohitVemula रंगमंचीय स्टाईल भाषण से न्याय नही मिलता , बोलते है की महिषासुर के बारेमें संसंद में आरोप लागाते है ... तो फिर भारतीय अलग अलग संस्कृति तो समझो पेहले मिनिस्टर मँडम

   
Swabhimani Rahul
February 27 at 3:16pm
 
#JusticeForRohitVemula

रंगमंचीय स्टाईल भाषण से न्याय नही मिलता ,
बोलते है की महिषासुर के बारेमें संसंद में आरोप लागाते है ... तो फिर
भारतीय अलग अलग संस्कृति तो समझो पेहले मिनिस्टर मँडम

भारत का राष्ट्रीय शपथ भारत गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ है। विशेष रूप से गणतंत्रता दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्कूलों में एवं अन्य स्थलों पर आयोजित सार्वजनिक समारोहों पर भागीदारियों द्वारा एक सुर में इसका उच्चार किया जाता है। आम तौर पर इसे स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों के शुरूआती पन्ने पर छपा देखा जा सकता है। प्रतिज्ञा को असल रूप से 1962 में, लेखक प्यिदीमर्री वेंकट सुब्बाराव द्वारा, तेलुगू भाषा में रचा गया था। इसका पहला सार्वजनिक पठन 1963 में विशाखापट्टणम के एक विद्यालय में हुआ था। बाद में इसका अनुवाद कर के भारत की सारी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में इसका प्रसार किया गया।
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भारत मेरा देश है।
सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हैँ।
मैँ अपने देश से प्रेम करता हूँ।
इसकी समृद्ध एवं विविध संस्कृति पर मुझे गर्व है।
मैँ सदा इसका सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न करता रहूगाँ।
मैँ अपने माता-पिता, शिक्षकोँ एवं गुरुजनोँ का सम्मान करुगाँ और प्रत्येक के साथ विनीत रहूगाँ।
मैँ अपने देश और देशवासियोँ के प्रति सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा करता हूँ।
इनके कल्याण एवं समृद्धि मेँ ही मेरा सुख निहित है।
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