इंटेलिजेंस की पूर्व सूचना के बावजूद पठानकोट में हुए आतंकी हमले को रोकने में नाकामयाब होने की खुन्नस भाजपाई अंधभक्त असहिष्णुता की खिलाफत करने वालों के विरुद्ध जहर उगल कर निकाल रहे हैं.देश पर होने वाले किसी हमले को रोकने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है.इस काम में मोदी सरकार विफल रही .अब जो जानकारी सामने आ रही है,वह तो बेहद चौंकाने वाली है.बी.बी.सी. की रिपोर्ट के अनुसार तो पठानकोट ऑपरेशन के जो भी नकारत्मक पहलु हैं,वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के अहम और पूरे ऑपरेशन पर खुद का नियंत्रण रखने की आकंक्षा का परिणाम है.अगर इसमें लेश मात्र भी सच्चाई है तो यह बेहद गंभीर और चिंताजक बात है.रिपोर्ट में उठाया गया सवाल वाजिब लगता है कि क्यूँ पठानकोट में मौजूद 50 हज़ार फ़ौज के बावजूद आतंकी हमले से निपटने के लिए एन.एस.जी. कमांडो उतारे गए,जो न इलाके से वाकिफ थे और जिन्हें इस तरह के ऑपरेशन का अनुभव भी नही था ?और तो और इस ऑपरेशन में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स को भी उतारा गया जो कि सेवानिवृत सैनिकों का समूह है.4-6 आतंकी जो हमारे इलाके में घुस आये हों,उनसे निपटने में चार दिन लग जाएँ,तो यह ऑपरेशन को ठीक से अंजाम न दिए जाना तो प्रकट होता ही है.प्रधानमन्त्री मोदी की भूमिका पर इस रिपोर्ट में तो चर्चा नही है,पर उस पर चर्चा तो होनी ही चाहिए,हमले के पहले दिन वे योग पर भाषण दे रहे थे और दनादन ट्वीट कर रहे थे और दूसरे दिन अपनी प्रख्यात जुमला शैली में वैज्ञानिकों को 4 ई समझा रहे थे.जब बेंगलुरु में भाषण निपट चुका तब दिल्ली आकर उन्होंने बैठक की.भाजपाई और मोदी भक्तों से आग्रह है कि देश की रक्षा आमिर खान को गाली देने से नहीं होगी,उसके लिए प्रधानमन्त्री को जुमलेबाजी से बाहर निकलना होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को अपने अहम को त्यागना पड़ेगा. किसी भी रिटायर पुलिस वाला का अहम देश से ऊपर कैसे हो सकता है?
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