Tuesday, January 26, 2016

बेलि हल्द्वानि-पसौली-मल्लारौसिल-गुमालगू-कालीचौड़ बाट वापिस हल्द्वानि डोईणक काम इज्जी काम नी हौई. पैली घर वाल टोकनी फिर भ्यार त टोकती रुनी. ‘पोथा और के काम नि मिलौ..यो कस काम कि हई?’. कैछि बाट पूछो तो ज्या लागनी. ‘डिमाग ठीक छौ तुमर..सड़क कीले बढे रखी यो..उल्ट बाट काँ जाण लाग् रोछा?’ बूढ़ त बुढ नान्तिनान हू पूछो त वु ले कूनी; ‘चच्चा इत्ता सोक है तो बाबा ही भण जाते, वाँ भालु घुमनी..सुन्वर ऊनी, रूख भी गीर सक्ते हैं.’. नन्तिनु पास बाटक जान्कारी त बिलकुल नी हून बट ऊँ सल्ला भौत दी दिनी. त यास बखतम डोईणक काम भौत मुश्किल छु. मगर रंगत ले यास्स काम में उंछ हो. हम त योई सोच्ते रूनी कि हल्द्वानी मुनि इतु आबादि हबेर ले इतु अकाळ छु डोवा लोगूंक. दूर-दूर भटि निम्खण मनिख ऊनी..ठुल-ठुल भेवन जनि..इथा हमर पाड़ी मैंस कपिल शरमाक शो देखनी यातो बाबानूक कचर-पचर सुणनी. यस हाल मै तै उनर लगाव पाडून दगड़ी कभे नी ह्वे सकाल. वां फिर पी.सी. त्याड़ ज्यू के उनरे घर में मुक्क-लात पड़ जावो या कोई पुर्रो तप्पड़ ख़रीद भेर डी.जे. बजाओ..हम तो अपण कुड़ीम मगन भे रूल. सुसनकत्र सिटिजन कऊंल.

Bhaskar Upreti 
बेलि हल्द्वानि-पसौली-मल्लारौसिल-गुमालगू-कालीचौड़ बाट वापिस हल्द्वानि
डोईणक काम इज्जी काम नी हौई. पैली घर वाल टोकनी फिर भ्यार त टोकती रुनी. ‘पोथा और के काम नि मिलौ..यो कस काम कि हई?’. कैछि बाट पूछो तो ज्या लागनी. ‘डिमाग ठीक छौ तुमर..सड़क कीले बढे रखी यो..उल्ट बाट काँ जाण लाग् रोछा?’ बूढ़ त बुढ नान्तिनान हू पूछो त वु ले कूनी; ‘चच्चा इत्ता सोक है तो बाबा ही भण जाते, वाँ भालु घुमनी..सुन्वर ऊनी, रूख भी गीर सक्ते हैं.’. नन्तिनु पास बाटक जान्कारी त बिलकुल नी हून बट ऊँ सल्ला भौत दी दिनी. त यास बखतम डोईणक काम भौत मुश्किल छु. मगर रंगत ले यास्स काम में उंछ हो. हम त योई सोच्ते रूनी कि हल्द्वानी मुनि इतु आबादि हबेर ले इतु अकाळ छु डोवा लोगूंक. दूर-दूर भटि निम्खण मनिख ऊनी..ठुल-ठुल भेवन जनि..इथा हमर पाड़ी मैंस कपिल शरमाक शो देखनी यातो बाबानूक कचर-पचर सुणनी. यस हाल मै तै उनर लगाव पाडून दगड़ी कभे नी ह्वे सकाल. वां फिर पी.सी. त्याड़ ज्यू के उनरे घर में मुक्क-लात पड़ जावो या कोई पुर्रो तप्पड़ ख़रीद भेर डी.जे. बजाओ..हम तो अपण कुड़ीम मगन भे रूल. सुसनकत्र सिटिजन कऊंल.

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