Sunday, January 24, 2016

भाकपा(माले) जिला- अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) के डीडा नैनीसार में पी.सी.तिवारी और रेखा धस्माना के साथ जिन्दल कम्पनी के कारिंदों द्वारा की गयी मारपीट व दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए मांग करती है कि जिंदल कम्पनी के ऐसे सभी लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज करते हुए उनकी तत्काल गिरफ़्तारी की जाय. ‘डीडा नैनीसार में गाँव की वन पंचायत की भूमि को जिंदल समूह को दिए जाने के खिलाफ वहां किसानों का आन्दोलन शुरू से ही चल रहा है और राज्य सरकार इस आन्दोलन के दमन पर शुरू से ही आमादा है. आंदोलनरत सैकड़ों किसानों व उनके अगुवा नेताओं पर संगीन धाराओं में मुक़दमे लाद दिए गए हैं. और अब तो हद हो गयी है जब सीधे आन्दोलनकारी नेताओं पर हमला किया जा रहा है. ऐसा लगता है उत्तराखण्ड की हरीश रावत सरकार बड़े जमीन लुटेरों और खनन माफिया के हाथ की कठपुतली बन कर रह गयी है.’ ‘आन्दोलन के बूते बना यह राज्य जमीन की लूट और राज्य दमन का पर्याय बन गया है. कांग्रेस-भाजपा बारी-बारी से चलने वाले अपने राज में उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा-भूमि,खनिज,नदियों आदि को ठिकाने लगाने के लिए रास्ता तलाश करने वाली एजेंसी में बदल गए है. ऐसे में सभी जनवादी-लोकतांत्रिक शक्तियों को इस लूट और दमन के खिलाफ एकताबद्ध होकर लड़ना वक्त की मांग है.’


   
Kailash Pandey
January 24 at 4:03pm
 
भाकपा(माले) जिला- अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) के डीडा नैनीसार में पी.सी.तिवारी और रेखा धस्माना के साथ जिन्दल कम्पनी के कारिंदों द्वारा की गयी मारपीट व दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए मांग करती है कि जिंदल कम्पनी के ऐसे सभी लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज करते हुए उनकी तत्काल गिरफ़्तारी की जाय. ‘डीडा नैनीसार में गाँव की वन पंचायत की भूमि को जिंदल समूह को दिए जाने के खिलाफ वहां किसानों का आन्दोलन शुरू से ही चल रहा है और राज्य सरकार इस आन्दोलन के दमन पर शुरू से ही आमादा है. आंदोलनरत सैकड़ों किसानों व उनके अगुवा नेताओं पर संगीन धाराओं में मुक़दमे लाद दिए गए हैं. और अब तो हद हो गयी है जब सीधे आन्दोलनकारी नेताओं पर हमला किया जा रहा है. ऐसा लगता है उत्तराखण्ड की हरीश रावत सरकार बड़े जमीन लुटेरों और खनन माफिया के हाथ की कठपुतली बन कर रह गयी है.’ ‘आन्दोलन के बूते बना यह राज्य जमीन की लूट और राज्य दमन का पर्याय बन गया है. कांग्रेस-भाजपा बारी-बारी से चलने वाले अपने राज में उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा-भूमि,खनिज,नदियों आदि को ठिकाने लगाने के लिए रास्ता तलाश करने वाली एजेंसी में बदल गए है. ऐसे में सभी जनवादी-लोकतांत्रिक शक्तियों को इस लूट और दमन के खिलाफ एकताबद्ध होकर लड़ना वक्त की मांग है.’

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