सफ़दर की शहादत को याद करना
Indresh Maikhuri
1 जनवरी 1989 को दिल्ली के पास साहिबाबाद में "हल्ला बोल" नाटक करते हुए सफ़दर हाशमी और उनके नाट्य दल-जन नाट्य मंच पर कांग्रेसी गुंडों ने हमला कर दिया था.इस हमले में सफ़दर की शहादत हुई.नुक्कड़ नाटक करते हुए शहीद होने वाले सफ़दर एक विलक्षण रंगकर्मी थे.उन्होंने 80 के दशक में नुक्कड़ नाटक को जनसंघर्ष के मोर्चे में तब्दील कर दिया.दिल्ली की सड़कों पर नाटक करते हुए सत्ता संरक्षित गुंडों और पुलिस ने सफदर और उनकी नाट्य मंडली पर हमला बोला था.आज सफ़दर की शहादत को याद करना इसलिए भी समीचीन है क्यूंकि पिछले साल भर की अवधि में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,कला,साहित्य कर्म पर हमला काफी तेज हो गया है.डा.नरेंद्र दाभोलकर,कामरेड गोविन्द पनसारे, प्रो.एम.एम.कलबुर्गी अपने-अपने मोर्चों पर शहीद हुए हैं.
सफ़दर की शहादत को याद करते हुए श्रीनगर(गढ़वाल) में नवांकुर नाट्य समूह,पौड़ी द्वारा सफ़दर का ही लिखा हुआ नाटक-समर्थ को नहीं दोष गुसाईं-का प्रदर्शन किया गया.मंहगाई,काला बाजारी,सत्ता,पुलिस,पूँजी का गठजोड़ कैसे जनता को ठगता है,यह इस नाटक में बेहद चुटीले व्यंगात्मक अंदाज में सामने आता है.नाटक में मदारी की भूमिका में यमुना राम,जमूरे की भूमिका में राजकिशोर,व्यापारी के रूप में आशीष नेगी,नेता-मनोज दुर्बी,पुलिस-पारस रावत,पी.ए.-काजल नेगी,अन्य पत्रों में शिवानी बहुगुणा,अनम अंसारी,शीबा हुसैन,शंकर राणा,सौरभ गोडियाल,सोनाली रावत, संगीत पक्ष रोहित मंद्रवाल ने देखा.
सफ़दर को श्रीनगर(गढ़वाल) में नुक्कड़ नाटक के जरिये याद किया गया,जहाँ से सफ़दर का करीबी रिश्ता रहा है.गढ़वाल विश्वविद्यालय नया-नया अस्तित्व में आया था.उसी दौरान 1976 में वे यहाँ एक वर्ष से कुछ अधिक समय तक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे.उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से एम.ए. किया था.गढ़वाल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डा.बी.डी.भट्ट की दिल्ली में सफ़दर से मुलाकत हुई और वे सफ़दर की प्रतिभा और जहीनता के कायल हुए.उन्होंने सफ़दर को गढ़वाल विश्वविद्यालय बुला लिया.सफ़दर ने अंग्रेजी विभाग में रहते हुए अपने शिक्षक सहयोगियों और छात्र-छात्राओं के साथ मिल कर रंगमंचीय गतिविधयों शुरू की.शिक्षकों के अलावा छात्र-छात्राओं के साथ भी उनका बेहद आत्मीय रिश्ता था.श्रीनगर(गढ़वाल) में उनके रहने के दौर पर राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर,डा.प्रभात कुमार उप्रेती ने बेहद रोचक पुस्तक-“सफ़दर-एक आदमकद इंसान”,लिखी है.
Indresh Maikhuri
1 जनवरी 1989 को दिल्ली के पास साहिबाबाद में "हल्ला बोल" नाटक करते हुए सफ़दर हाशमी और उनके नाट्य दल-जन नाट्य मंच पर कांग्रेसी गुंडों ने हमला कर दिया था.इस हमले में सफ़दर की शहादत हुई.नुक्कड़ नाटक करते हुए शहीद होने वाले सफ़दर एक विलक्षण रंगकर्मी थे.उन्होंने 80 के दशक में नुक्कड़ नाटक को जनसंघर्ष के मोर्चे में तब्दील कर दिया.दिल्ली की सड़कों पर नाटक करते हुए सत्ता संरक्षित गुंडों और पुलिस ने सफदर और उनकी नाट्य मंडली पर हमला बोला था.आज सफ़दर की शहादत को याद करना इसलिए भी समीचीन है क्यूंकि पिछले साल भर की अवधि में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,कला,साहित्य कर्म पर हमला काफी तेज हो गया है.डा.नरेंद्र दाभोलकर,कामरेड गोविन्द पनसारे, प्रो.एम.एम.कलबुर्गी अपने-अपने मोर्चों पर शहीद हुए हैं.
सफ़दर की शहादत को याद करते हुए श्रीनगर(गढ़वाल) में नवांकुर नाट्य समूह,पौड़ी द्वारा सफ़दर का ही लिखा हुआ नाटक-समर्थ को नहीं दोष गुसाईं-का प्रदर्शन किया गया.मंहगाई,काला बाजारी,सत्ता,पुलिस,पूँजी का गठजोड़ कैसे जनता को ठगता है,यह इस नाटक में बेहद चुटीले व्यंगात्मक अंदाज में सामने आता है.नाटक में मदारी की भूमिका में यमुना राम,जमूरे की भूमिका में राजकिशोर,व्यापारी के रूप में आशीष नेगी,नेता-मनोज दुर्बी,पुलिस-पारस रावत,पी.ए.-काजल नेगी,अन्य पत्रों में शिवानी बहुगुणा,अनम अंसारी,शीबा हुसैन,शंकर राणा,सौरभ गोडियाल,सोनाली रावत, संगीत पक्ष रोहित मंद्रवाल ने देखा.
सफ़दर को श्रीनगर(गढ़वाल) में नुक्कड़ नाटक के जरिये याद किया गया,जहाँ से सफ़दर का करीबी रिश्ता रहा है.गढ़वाल विश्वविद्यालय नया-नया अस्तित्व में आया था.उसी दौरान 1976 में वे यहाँ एक वर्ष से कुछ अधिक समय तक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे.उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से एम.ए. किया था.गढ़वाल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डा.बी.डी.भट्ट की दिल्ली में सफ़दर से मुलाकत हुई और वे सफ़दर की प्रतिभा और जहीनता के कायल हुए.उन्होंने सफ़दर को गढ़वाल विश्वविद्यालय बुला लिया.सफ़दर ने अंग्रेजी विभाग में रहते हुए अपने शिक्षक सहयोगियों और छात्र-छात्राओं के साथ मिल कर रंगमंचीय गतिविधयों शुरू की.शिक्षकों के अलावा छात्र-छात्राओं के साथ भी उनका बेहद आत्मीय रिश्ता था.श्रीनगर(गढ़वाल) में उनके रहने के दौर पर राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर,डा.प्रभात कुमार उप्रेती ने बेहद रोचक पुस्तक-“सफ़दर-एक आदमकद इंसान”,लिखी है.
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