Sunday, January 24, 2016

राहुल कँवल--पत्रकार या संघ का सुपाड़ी किलर !https://www.facebook.com/grover.surendra/videos/768941236571526/?theater

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राहुल कँवल--पत्रकार या संघ का सुपाड़ी किलर !
क्या किसी संपादक को इतना भी नहीं पता होगा कि इंग्लैंड नाम का कोई देश दुनिया में नहीं है। क्या किसी को युनाइटेड किंगडम और इंग्लैंड का फर्क ना पता हो फिर भी वह देश के सबसे बड़े और तेज़ होने का दावा करने वाले चैनल का मैनेजिंग एडिटर हो सकता है ? पत्रकारिता का सामान्य विद्यार्थी भी इसका जवाब ना में देगा, लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में 'क्रांति' लाने वाले अरुण पुरी को शायद इससे फर्क नहीं पड़ता,वरना राहुल कँवल एक क्षण भी टीवी टुडे नेटवर्क के संपादक पद पर न होते।
आप पूछेंगे कि मसला क्या है ? यक़ीन मानिये मेरी कोई निजी ख़ु्न्नस नहीं है...न मेरी कभी मुलाक़ात ही होई है। लेकिन आज राहुल का नेता जी सुभाष बोस से जुड़े "खुलासे' की ख़बर पर फ़ोनो देना बुरी तरह आहत कर गया। जनता को मूर्ख समझने का इससे बड़ा प्रमाण नहीं सो सकता। या फिर या किसी साज़िश के तहत किया गया ?
हुआ यह कि नेता जी की फ़ाइलों के सार्वजनिक होने के मसले पर "आज तक" ने एक ख़बर दिखाई। इसमें एक "विस्फोटक" ख़ुलासा भी था कि प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने नेता जी को "युद्ध अपराधी" क़रार देते ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी थी। इस पर राहुल कँवल का बाकायदा फोनो चला और उन्होंने बताया कि कैसे यह बेहत संगीन जानकारी है जो उन्हें सूत्रों से मिली है और कैसे अरसे से तमाम इतिहासकार इस बात पर चर्चा कर रहे थे। राहुल इसे "राजनीतिक भूकंप" की संज्ञा दे रहे थे यानी इस चिट्ठी की प्रामाणिकता पर उन्हें ज़रा भी संदेह नहीं था।
राहुल कँवल की या तो नींद पूरी नहीें होती या फिर उन्हें हिंदुस्तान के जनता को मूर्ख समझने की बीमारी है। क्योंकि जो चिट्ठी आज तक के स्क्रीन पर चमक रही थी वह वही थी जिसे कई महीने पहले शाखामृ्गी शिशुओं ने प्रचारित की थी और सोशल मीडिया में उसकी धज्जियाँ उड़ी थी। कथित तौर पर 27 दिसंबर 1945 (किसी किसी जगह 26 दिसंबर लिखा है) की उस चिट्ठी में एक तो प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक की स्पेलिंग ग़लत है और दूसरे एटली को 'इंग्लैंड का प्रधानमंत्री' बताया गया था। जबकि देश का नाम है युनाइटेड किंगडम जो 1 मई 1707 को 'एक्ट ऑफ इंग्लैंड एंड स्कॉटलैंट' के तहत वजूद में आ चुका था। यही नहीं चिट्ठी में रूस की बात की गई है जबकि तब सोवियत यूनियन का वजूद था। ज़ाहिर थी, यह झूठी चिट्ठी है जिसे कि बनाने वाले बुद्धि के मोर्चे पर मात खा गये।
पर राहुल कँवल कैसे मात खा गये ! कहीं ऐसा तो नहीं कि यह सब जानबूझ कर किया गया। "आज तक" जैसे चैनल पर अगर कोई संपादक दो मिनट तक फोनो देते हुए यह झूठ प्रचारित करता रहे तो कितने करोड़ लोगों के मन में यह बात बैठेगी, सहज समझा जा सकता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि रोहित वेमुला की मौत से काँप रहा संघी कुनबा, नेता जी के ज़रिये हेडलाइन बदलने के खेल में शामिल हुआ और राहुल कँवल जैसे पत्रकार सुपाड़ी किलर की भूमिका में आ गये?
जो भी हो, हालात गंभीर ही नहीं शर्मनाक हैं। पर क्या राहुल कँवल को भी शर्म आयेगी। क्या वह जानते हैं कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की राष्ट्रीय राजनीति में आमद नेहरू जी के सचिव के बतौर ही हुई थी। क्या वे जानते हैं कि आज़ाद हिंद फ़ौज की एक ब्रिगेड का नाम नेताजी ने नेहरू के नाम पर रखा था ? या कि आज़ाद हिंद फ़ौज के जनरलों का मुक़दमा लड़ने के लिए नेहरू ने काला कोट पहना थ ! लानत है !!
लीजिए, आप लोग भी देखिये, रुाहुल कँवल का करामाती फोनो...ख़बर का चौथा वीडियो - Pankaj Srivastava
-3:13
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Comments
Palash Biswas
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Rani Rajesh संघियों ने गांधी और नेहरू जी पर कीचड़ उछालने का ठेका ले रखा है और अब तो ये लोग सत्ता में है इसलिए बिकाउ मिडिया भी घटिया और शर्मनाक हरकतों में इनका साथ दे रहे है।
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Anil Chaurasia बेहद शर्मनाक कारस्तानी .
आजतक को शर्म आनी चाहिए झूठ पर झूठ बोलने के लिए !
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Manoj Singh Gautam दलाल है
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Shahid Rashid हद है।
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कलीम अव्वल It's deliberate attempt in order to refurbishing the image of one political party and devastating the image of other political party .
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Ramendra P Singh चैनल दलाल, पत्रकार दलाल, नेता दलाल और मालिक पूंजीपति ।
पिछले लोकसभा चुनाव के पहले से जिस घटिया राजनीति का पदार्पण भारत में भाजपाइयों ने किया है वह देश को बर्बाद करने की और ले जा रहा है ।
यह हिटलर की शैली है जो अपने प्रचार मंत्री गोयबल्स के इस सिद्धांत को मानता था कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच मान लिया जाता है ।
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Satya Pareek धूर्तता में विश्व चैम्पियन
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