Tuesday, January 26, 2016

देखना एक दिन --------------- दलित - आदिवासी - किसान - मजदूर -बुनकर -अल्पसंख्यक ,छोटे व्यापारी , लघु उधमी सभी की कालोनियों मे दौड़ाए जाएँगे ये l


देखना एक दिन
---------------
दलित - आदिवासी - किसान - मजदूर -बुनकर -अल्पसंख्यक ,छोटे व्यापारी , लघु उधमी सभी की कालोनियों मे दौड़ाए जाएँगे ये l
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Comments
मनीष मनीष इस तरह का दौड़ाना सबकी सेहत के
लिए नुकसान दायक है।
Balram Bodhi बेशक बात आपकी सही है, लेकिन यह सब पर लागू हो तो न...! आप तो संस्कृति स्टेट तमाम ताकतें झोक रहे हैं......जीने नहीं देंगे...तो क्या करें ! इसका मतलब यह नहीं कि मैं गुस्से की राजनीति के पक्ष में हूँ | लेकिन जब आप सिवा अपने हर किसी को देश द्रोही कहेंगे तो देश कहाँ जाएगा ! हमारा तो जीवन ही गया, पन्द्रह साल खालिस्तानी दहशत ने खा लिए बाकी हिन्दू राज का खौफ खाए जा रहा है : लेकिन हमारे जीवन का चालक अब भी प्रेम है घृणा नहीं !
Pankaj Kumar Saxena Pehle daudau aur fir kho ki wo tumse nfrat krte hai fir prem kaise ho
Mukesh Jain खालिस वामपंथी कुकृत्य ...
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Balram Bodhi ऐसा नहीं है जैन साहेब ! पंजाब जब दहशत का दौर था तो लोगोंमें गुस्सा था वो सभी सियासतदानों पर निकलता था, भले वो कांग्रेस के हों, अकाली हों यां भाजपा के | हर बात को वाम पन्थ के जिम्में डाल देंगे तो पब्लिक का दिल पढने से चूक जायेंगे | ऐसी गलती पहले भी बहुत पार्टियों नें की है | अनाधिकृत प्रवेश के लिए क्षमा चाहूँगा |
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Pankaj Kumar Saxena Lunjab me sb se zyda comred mare gaye the
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Balram Bodhi जी ये एक इतिहासिक सच्च है |
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