We are proud of Professor Chaman Lal!
चमन लाल को देश में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व शोधार्थी या प्रोफेसर से ज्यादा शहीदे आजम भगत सिंह पर उनके काम के लिए जाना जाता है। देश के लिए जान कुर्बान करने वाले भगत सिंह से जुड़े तथ्य जुटाने के लिए उन्होंने शहीद के खटकड़कलां के पैतृक निवास से लेकर विदेश में बसी उनकी बहन तक पहुंचने में गुरेज नहीं की। लेकिन आज चमन लाल आहत हैं। जिस संस्थान ने उन्हें एक बौद्धिक पहचान दी, देश-दुनिया के हित में सोचना और लड़ना सिखाया आज वही अपनी ‘राष्ट्रभक्ति’ को लेकर विवाद में है।
जेएनयू मामले में सरकारी रवैए पर अपना विरोध जताने के लिए चमन लाल ने राजग सरकार के दौरान 2003 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का गैर हिंदी लेखन में दिया पुरस्कार लौटाने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि वे प्रशस्तिपत्र और पुरस्कार के साथ मिली 50 हजार रुपए की राशि भी लौटा देंगे। वे पिछले दो दिन से जेएनयू में ही डेरा जमाए हुए हैं। परेशानहाल चमन लाल ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को एक पत्र भी लिखा है। चमन लाल प्रतिबद्ध हैं कि वे जेएनयू में जनतंत्र का किला तोड़ने के खिलाफ खिलाफ बौद्धिक स्तर पर अपनी लड़ाई लड़ेंगे।
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जेएनयू मामले में सरकारी रवैए पर अपना विरोध जताने के लिए चमन लाल ने राजग सरकार के दौरान 2003 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का गैर हिंदी लेखन में दिया पुरस्कार लौटाने का…
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