Thursday, February 25, 2016

24 फरवरी 1920। यह तारीख नाजी जर्मनी के इतिहास में खासा मायने रखता है। इसी दिन तानाशाही और बर्बर दमन की नींव पड़ी, अंधराष्ट्रवाद के सहारे। हिटलर ने म्यूनिख बीयर हॉल में पहली बार बड़ी सभा में भाषण किया। इसका उसने अपनी आत्मकथा मीन काम्फ में बड़े विस्तार और घमंड से जिक्र किया है।(पेज 369-70) उसके मुताबिक भाषण सुनकर लोग इतने उत्तेजित हो गये कि उन्माद में चीखने लगे, वहीं नाजिर्यो ने कम्यूनिस्टों, सोशलिस्टों को जमकर पीटा। हिटलर को अहसास हुआ, जनता मेरी मुट्ठी में है। अमूमन वह हिंसक और भड़काऊ भाषण ही करता था। इसके बाद 5 अक्तूबर 1921 को उसने भूरी वर्दी वाले कुख्यात एसए का गठन किया, जिसमें तमाम अपराधी, सजायाफ्ता, लफंगे भरे गये। इनका काम था नाजी विरोधिर्यो को पीटना, उनकी सभाओं में उत्पात मचाना, बोलने से रोकना। इसी समय हिटलर ने साफ कहा, अब कोई बोलने की हिम्मत नहीं करेगा। उसने धमकी दी, 'The National Socialist Movement will in the future ruthlessly prevent- if necessary by force- all meetings or lectures that aa likely to distract the minds of our fellow countrymen.' (History of national socialism : Konrad Heiden - p. 36) PS: 24 फरवरी 2016 को इसी तरह भाषण हुए अपने यहां। तब जर्मनी में दमन की शुरूआत हुई थी, क्या हम भी उसी रास्ते पर हैं? फिर तो जुल्मो - सितम का दौर मुहाने पर है।

Jaleshwar Upadhyay
24 फरवरी 1920। यह तारीख नाजी जर्मनी के इतिहास में खासा मायने रखता है। इसी दिन तानाशाही और बर्बर दमन की नींव पड़ी, अंधराष्ट्रवाद के सहारे। हिटलर ने म्यूनिख बीयर हॉल में पहली बार बड़ी सभा में भाषण किया। इसका उसने अपनी आत्मकथा मीन काम्फ में बड़े विस्तार और घमंड से जिक्र किया है।(पेज 369-70) उसके मुताबिक भाषण सुनकर लोग इतने उत्तेजित हो गये कि उन्माद में चीखने लगे, वहीं नाजिर्यो ने कम्यूनिस्टों, सोशलिस्टों को जमकर पीटा। हिटलर को अहसास हुआ, जनता मेरी मुट्ठी में है। अमूमन वह हिंसक और भड़काऊ भाषण ही करता था। इसके बाद 5 अक्तूबर 1921 को उसने भूरी वर्दी वाले कुख्यात एसए का गठन किया, जिसमें तमाम अपराधी, सजायाफ्ता, लफंगे भरे गये। इनका काम था नाजी विरोधिर्यो को पीटना, उनकी सभाओं में उत्पात मचाना, बोलने से रोकना। इसी समय हिटलर ने साफ कहा, अब कोई बोलने की हिम्मत नहीं करेगा। उसने धमकी दी, 'The National Socialist Movement will in the future ruthlessly prevent- if necessary by force- all meetings or lectures that aa likely to distract the minds of our fellow countrymen.' (History of national socialism : Konrad Heiden - p. 36)
PS: 24 फरवरी 2016 को इसी तरह भाषण हुए अपने यहां। तब जर्मनी में दमन की शुरूआत हुई थी, क्या हम भी उसी रास्ते पर हैं? फिर तो जुल्मो - सितम का दौर मुहाने पर है।

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