- - - -ओबीसी कौन है ? इस प्रश्न का उतर 52% से भी ज्यादा आबादीवाले ओबीसी समुदाय के ज्यादातर बुध्धिजीवियो और पढ़े-लिखे लोगो के पास आज 2015 में भी नहीं है.
- - - - ओबीसी जातियों को ही पौराणिक ब्राह्मण धर्म के ब्राह्मण पंडितो ने वास्तविक शूद्र माना है. जबकि एससी और एसटी का चार वर्ण की व्यवस्था से बहार रख कर वर्णों में कोई स्थान नहीं है.
1922 में मद्रास हाईकोर्ट ने मदुराई के यादव-आहिर को शूद्र घोषित किया था. जबकि वे क्षत्रिय होने का दावा कर रहे थे.
1924 में भूमिहार जमीनदार नारायण सिंह ने बिहार के मुंगेर जिला के लाखुचक गाँव में जनेऊ पहनने का सामूहिक कार्यक्रम कर रहे यादवोँ पर सैकड़ोँ की सेना के साथ हमला किया था. नारायण सिंह का कहना था कि धर्म की रक्षा राजा का कर्तव्य है और शूद्र यादव जनेऊ धारण कैसे कर सकते है?.
1924 में मद्रास हाईकोर्ट ने छत्रपति शिवाजी के वंशज एकोजी के क्षत्रिय होने के दावे को ख़ारिज कर दिया था. मद्रास हाईकोर्ट ने 229 पेज के अपने फैसले में मराठा को क्षत्रिय नहीं बल्कि शूद्र वर्ण के घोषित किया था.
1926 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वामी विवेकानंद की कायस्थ जाति को क्षत्रिय नहीं माना तथा कायस्थों के शूद्र होने का फैसला दिया था.
- - - -1928 में बोम्बे प्रान्त के गवर्नर ने स्टार्ट नाम के एक अधिकारी की अध्यक्षता में पिछड़ी जातियों के लिए एक कमिटी नियुक्त की थी. इस कमिटी में डो. बाबा साहेब आम्बेडकर ने शुद्र वर्ण से जुडी जातियों के लिए " OTHER BACKWARD CAST " शब्द का उपयोग सब से प्रथम किया था, इसी शब्द का शोर्टफॉर्म ओबीसी है, जिसको सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज हम पहेचानते है और उनको पिछड़ी जाति या ओबीसी कहते है.
- - - -स्टार्ट कमिटी के समक्ष अपनी बात रखते हुवे डो. बाबा साहेब आम्बेडकर ने देश की जनसंख्या को तीन भाग में बांटा था.
- - - -(1) अपरकास्ट(Upercast) जिसमे ब्राह्मण, क्षत्रिय-राजपूत और वैश्य जैसी उच्च वर्ण जातियां आती थी.
- - - -(2) बेकवर्ड र्कास्ट(Backward cast) जिसमे सबसे पिछड़ी और अछूत बनायीं गई जातियां और आदिवासी समुदाय की जातियां को समाविष्ट की गई थी.
- - - -(३) जो जातियां बेकवर्ड कास्ट और अपर कास्ट के बिच में आती थी ऐसी शुद्र वर्ण की मानी गई जातियोके लिए Other backward cast शब्द का प्रयोग किया गया था, जिसको शोर्टफॉर्म में हम ओबीसी कहते है.
- - - -संविधान की कलम 340 के अनुसार राष्ट्रपति एक कमीशन नियुक्त करेंगे और कमीशन ओबीसी जातियों की पहेचान करके उनके विकास के लिए जो शिफारिशों करेगा उनको अमल में लायेंगे. संविधान की कलम 15-(4), 16(4) के अनुसार ओबीसी जातियों के सरकारी तन्त्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी.
- -- - -शासन और प्रशासन में प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियो ने ओबीसी के लिए नियुक्त काका कालेलकर कमीशन रिपोर्ट1953-1955 के रिपोर्ट को संसद की समक्ष भी नहीं रखा और कालेलकर कमीशन रिपोर्ट को कभी भी मान्यता नहीं दी या लागु भी नहीं किया.
- - - -1978 में केन्द्र सरकार ने ओबीसी के लिए दूसरा कमीशन बीपी मंडल की अध्यक्षता में नियुक्त किया. मंडल कमीशन रिपोर्ट-1980 को भी सत्ता मे प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियो ने लागु करने की जरुरत न समजी और 1989 तक मंडल रिपोर्ट सचिवालय की अलमारी में धुल खाते रहा.
- - - -7 अगस्त 1990 के दिन केन्द्र सरकार ने देश के 52 % ओबीसी समुदाय के लिए मंडल कमीशन की सिफ़ारीश अनुसार केन्द्रीय नौकरियों में 27 % ओबीसी आरक्षण लागु करने की घोषणा की, जिसके विरोध में जातिवादियो ने देशभर में मंडल विरोधी आंदोलन प्रारंभ किया.
------ -मंडल कमीशन की दूसरी सिफारिश शिक्षा मे 27 % आरक्षण देरी से 2006-7 मे लागु किया गया. बढती मे 27 % आरक्षण आज भी लागु नहीं किया गया है. ओबीसी को पदोन्नति मे आरक्षण कब लागु किया जाएगा. बहुत सी सिफारिश का अमल आज भी जातिवादियो ने शासन और प्रशासन पर उनके प्रभुत्व को होते हुवे लागु नहीं होने दिया है.
- - - - हमें प्रश्न होना चाहिए की लोकतंत्र में 52 % जनसँख्या के होते हुवे भी ओबीसी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को रोकनेवाले शासन और प्रशासन पर प्रभुत्व जमाए बैठे जातिवादियो क्या भ्रष्ट नहीं है ?
- - - - क्या ओबीसी समुदाय के पढ़े-लिखे और फेसबुक में सामिल ओबीसी मित्रों उनके समुदाय के साथ जो व्यवहार हुवा है, उसके बारे में जानते है? वे कुछ नहीं कर सकते क्या ? ओबीसी बुध्धिजिवियो को अपना सामाजिक उत्तरदायित्त्व अवश्य निभाना चाहिए.
- - - - हमें प्रश्न होना चाहिए की लोकतंत्र में 52 % जनसँख्या के होते हुवे भी ओबीसी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को रोकनेवाले शासन और प्रशासन पर प्रभुत्व जमाए बैठे जातिवादियो क्या भ्रष्ट नहीं है ?
- - - - क्या ओबीसी समुदाय के पढ़े-लिखे और फेसबुक में सामिल ओबीसी मित्रों उनके समुदाय के साथ जो व्यवहार हुवा है, उसके बारे में कुछ जानते है क्या ? उनको अपना सामाजिक उत्तरदायित्त्व नहीं निभाना चाहिए क्या ?.
2014 में भी 52 % से ज्यादा जनसंख्या वाले ओबीसी समुदाय के पढेलिखे नागरिको जानते है कि, केन्द्रीय अमलदारो में ओबीसी की हेसियत क्या है ?
केन्द्रीय प्रशासन-1995 में 54% OBC का प्रतिनिधित्व
---------टोटल --------ओबीसी----- %
IAS--- 5261 ------- 221 - - - (4.21 %)
IPS--- 3498 ------- 142 - - - (4.06 %)
IFS--- -0642 ------- 043 - - - (6.70 %) ---------------------------------------------
2006-7 में OBC,SC और ST का केन्द्रीय प्रशासन में प्रतिनिधित्व - वर्ग - - टोटल - - - - OBC- - - - - - SC - - - - - -ST - - - Uper cast
- 1 - 0080589 - - 0003788 - - 009580 - - 003465 - - 0067746
- - - - - - - - - - - - 04.70% - - 11.90% - - 04.30% - - 79.10%
- 2 - 0139958 - - 0003219 - - 019174 - - 006298 - - 0121267
- - - - - - - - - - - - 02.39% - - 13.70% - - 04.50% - - 79.50%
- 3 - 2036103 - - 0120130 - - 333921 - - 132347 - - 1449705
- - - - - - - - - - - - 05.90% - - 16.40% - - 06.50% - - 70.20%
(इंडिया टुडे - साप्ताहिक, दि.26-5-'10 के पेज 21 पर आधारित")
- - - - ओबीसी जातियों को ही पौराणिक ब्राह्मण धर्म के ब्राह्मण पंडितो ने वास्तविक शूद्र माना है. जबकि एससी और एसटी का चार वर्ण की व्यवस्था से बहार रख कर वर्णों में कोई स्थान नहीं है.
1922 में मद्रास हाईकोर्ट ने मदुराई के यादव-आहिर को शूद्र घोषित किया था. जबकि वे क्षत्रिय होने का दावा कर रहे थे.
1924 में भूमिहार जमीनदार नारायण सिंह ने बिहार के मुंगेर जिला के लाखुचक गाँव में जनेऊ पहनने का सामूहिक कार्यक्रम कर रहे यादवोँ पर सैकड़ोँ की सेना के साथ हमला किया था. नारायण सिंह का कहना था कि धर्म की रक्षा राजा का कर्तव्य है और शूद्र यादव जनेऊ धारण कैसे कर सकते है?.
1924 में मद्रास हाईकोर्ट ने छत्रपति शिवाजी के वंशज एकोजी के क्षत्रिय होने के दावे को ख़ारिज कर दिया था. मद्रास हाईकोर्ट ने 229 पेज के अपने फैसले में मराठा को क्षत्रिय नहीं बल्कि शूद्र वर्ण के घोषित किया था.
1926 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वामी विवेकानंद की कायस्थ जाति को क्षत्रिय नहीं माना तथा कायस्थों के शूद्र होने का फैसला दिया था.
- - - -1928 में बोम्बे प्रान्त के गवर्नर ने स्टार्ट नाम के एक अधिकारी की अध्यक्षता में पिछड़ी जातियों के लिए एक कमिटी नियुक्त की थी. इस कमिटी में डो. बाबा साहेब आम्बेडकर ने शुद्र वर्ण से जुडी जातियों के लिए " OTHER BACKWARD CAST " शब्द का उपयोग सब से प्रथम किया था, इसी शब्द का शोर्टफॉर्म ओबीसी है, जिसको सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज हम पहेचानते है और उनको पिछड़ी जाति या ओबीसी कहते है.
- - - -स्टार्ट कमिटी के समक्ष अपनी बात रखते हुवे डो. बाबा साहेब आम्बेडकर ने देश की जनसंख्या को तीन भाग में बांटा था.
- - - -(1) अपरकास्ट(Upercast) जिसमे ब्राह्मण, क्षत्रिय-राजपूत और वैश्य जैसी उच्च वर्ण जातियां आती थी.
- - - -(2) बेकवर्ड र्कास्ट(Backward cast) जिसमे सबसे पिछड़ी और अछूत बनायीं गई जातियां और आदिवासी समुदाय की जातियां को समाविष्ट की गई थी.
- - - -(३) जो जातियां बेकवर्ड कास्ट और अपर कास्ट के बिच में आती थी ऐसी शुद्र वर्ण की मानी गई जातियोके लिए Other backward cast शब्द का प्रयोग किया गया था, जिसको शोर्टफॉर्म में हम ओबीसी कहते है.
- - - -संविधान की कलम 340 के अनुसार राष्ट्रपति एक कमीशन नियुक्त करेंगे और कमीशन ओबीसी जातियों की पहेचान करके उनके विकास के लिए जो शिफारिशों करेगा उनको अमल में लायेंगे. संविधान की कलम 15-(4), 16(4) के अनुसार ओबीसी जातियों के सरकारी तन्त्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी.
- -- - -शासन और प्रशासन में प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियो ने ओबीसी के लिए नियुक्त काका कालेलकर कमीशन रिपोर्ट1953-1955 के रिपोर्ट को संसद की समक्ष भी नहीं रखा और कालेलकर कमीशन रिपोर्ट को कभी भी मान्यता नहीं दी या लागु भी नहीं किया.
- - - -1978 में केन्द्र सरकार ने ओबीसी के लिए दूसरा कमीशन बीपी मंडल की अध्यक्षता में नियुक्त किया. मंडल कमीशन रिपोर्ट-1980 को भी सत्ता मे प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियो ने लागु करने की जरुरत न समजी और 1989 तक मंडल रिपोर्ट सचिवालय की अलमारी में धुल खाते रहा.
- - - -7 अगस्त 1990 के दिन केन्द्र सरकार ने देश के 52 % ओबीसी समुदाय के लिए मंडल कमीशन की सिफ़ारीश अनुसार केन्द्रीय नौकरियों में 27 % ओबीसी आरक्षण लागु करने की घोषणा की, जिसके विरोध में जातिवादियो ने देशभर में मंडल विरोधी आंदोलन प्रारंभ किया.
------ -मंडल कमीशन की दूसरी सिफारिश शिक्षा मे 27 % आरक्षण देरी से 2006-7 मे लागु किया गया. बढती मे 27 % आरक्षण आज भी लागु नहीं किया गया है. ओबीसी को पदोन्नति मे आरक्षण कब लागु किया जाएगा. बहुत सी सिफारिश का अमल आज भी जातिवादियो ने शासन और प्रशासन पर उनके प्रभुत्व को होते हुवे लागु नहीं होने दिया है.
- - - - हमें प्रश्न होना चाहिए की लोकतंत्र में 52 % जनसँख्या के होते हुवे भी ओबीसी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को रोकनेवाले शासन और प्रशासन पर प्रभुत्व जमाए बैठे जातिवादियो क्या भ्रष्ट नहीं है ?
- - - - क्या ओबीसी समुदाय के पढ़े-लिखे और फेसबुक में सामिल ओबीसी मित्रों उनके समुदाय के साथ जो व्यवहार हुवा है, उसके बारे में जानते है? वे कुछ नहीं कर सकते क्या ? ओबीसी बुध्धिजिवियो को अपना सामाजिक उत्तरदायित्त्व अवश्य निभाना चाहिए.
- - - - हमें प्रश्न होना चाहिए की लोकतंत्र में 52 % जनसँख्या के होते हुवे भी ओबीसी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को रोकनेवाले शासन और प्रशासन पर प्रभुत्व जमाए बैठे जातिवादियो क्या भ्रष्ट नहीं है ?
- - - - क्या ओबीसी समुदाय के पढ़े-लिखे और फेसबुक में सामिल ओबीसी मित्रों उनके समुदाय के साथ जो व्यवहार हुवा है, उसके बारे में कुछ जानते है क्या ? उनको अपना सामाजिक उत्तरदायित्त्व नहीं निभाना चाहिए क्या ?.
2014 में भी 52 % से ज्यादा जनसंख्या वाले ओबीसी समुदाय के पढेलिखे नागरिको जानते है कि, केन्द्रीय अमलदारो में ओबीसी की हेसियत क्या है ?
केन्द्रीय प्रशासन-1995 में 54% OBC का प्रतिनिधित्व
---------टोटल --------ओबीसी----- %
IAS--- 5261 ------- 221 - - - (4.21 %)
IPS--- 3498 ------- 142 - - - (4.06 %)
IFS--- -0642 ------- 043 - - - (6.70 %) ---------------------------------------------
2006-7 में OBC,SC और ST का केन्द्रीय प्रशासन में प्रतिनिधित्व - वर्ग - - टोटल - - - - OBC- - - - - - SC - - - - - -ST - - - Uper cast
- 1 - 0080589 - - 0003788 - - 009580 - - 003465 - - 0067746
- - - - - - - - - - - - 04.70% - - 11.90% - - 04.30% - - 79.10%
- 2 - 0139958 - - 0003219 - - 019174 - - 006298 - - 0121267
- - - - - - - - - - - - 02.39% - - 13.70% - - 04.50% - - 79.50%
- 3 - 2036103 - - 0120130 - - 333921 - - 132347 - - 1449705
- - - - - - - - - - - - 05.90% - - 16.40% - - 06.50% - - 70.20%
(इंडिया टुडे - साप्ताहिक, दि.26-5-'10 के पेज 21 पर आधारित")
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