... स्वयं-सेवकों में 'स्वयं' का न होना...........
मैं इस बात को दावे से कह सकता हूँ कि संघियों में 'शेल्फ' हमेशा से गायब रहा इसलिए वे स्वयं का सेवक बने रहे और खुद को राष्ट्र-सेवक समझते रहे। सेंकड़ों प्रमाण ऐसे हैं जिनमें लिखित रूप में उन्होने स्पष्ट किया है कि स्वतन्त्रता-सेनानियों के साथ और देश की अस्मिता के साथ उन्होने धोखा किया और ऐसा एक भी प्रमाण नहीं जिसमें उन्होने अपने कर्म से, ज्ञान से राष्ट्रीय होने का कोई सबूत पेश किया हो। जाति के नाम पर क्षेत्र के नाम पर दूध पीते बच्चों को उठाया और जातीयता तथा सांप्रदायिका के जहर से संस्कारित कर दिया। उसके हर उस सेल्फ़ को मिटा दिया जहां से वो किसी भी समस्या की वास्तविक पहचान करें। इसलिए वो बड़े होकर तर्क से घबराते हैं, संवाद से बचते हैं और ज़ोर ज़ोर से नारे लगाकर सही आवाज को दबाते हैं।
सत्ता गलत से गलत नीतियों को लागू करने के लिए जन-मानस तैयार करती है। इसलिए सत्ता के लिए जरूरी है कि जनमानस को शिक्षित होने से रोका जाय, सो यह संगठन और इसकी सरकार लगातार शिक्षा को रोक रही है। गलत इतिहास परोस रही है। चुनाव के दौरान स्वयम नरेन्द्र मोदी ने इतिहास को गलत-सलत खतरनाक तरीके से परोस कर समय और काल की धज्जियां उड़ा दी थी। ईमानदारी से मूर्ख होना कितना खतरनाक होता है यह आज देखा जाता है.... देशभक्ति और देशद्रोह की गलत परिभाषाएँ पढ़ाकर ये संस्थाएं सही आवाज को दबा नहीं पाएँगी। एक शेर है कि----
''इस तरह अपनी खामोशी गूंजी, गोया हर सिम्त से आवाज आए.... ''
मैं इस बात को दावे से कह सकता हूँ कि संघियों में 'शेल्फ' हमेशा से गायब रहा इसलिए वे स्वयं का सेवक बने रहे और खुद को राष्ट्र-सेवक समझते रहे। सेंकड़ों प्रमाण ऐसे हैं जिनमें लिखित रूप में उन्होने स्पष्ट किया है कि स्वतन्त्रता-सेनानियों के साथ और देश की अस्मिता के साथ उन्होने धोखा किया और ऐसा एक भी प्रमाण नहीं जिसमें उन्होने अपने कर्म से, ज्ञान से राष्ट्रीय होने का कोई सबूत पेश किया हो। जाति के नाम पर क्षेत्र के नाम पर दूध पीते बच्चों को उठाया और जातीयता तथा सांप्रदायिका के जहर से संस्कारित कर दिया। उसके हर उस सेल्फ़ को मिटा दिया जहां से वो किसी भी समस्या की वास्तविक पहचान करें। इसलिए वो बड़े होकर तर्क से घबराते हैं, संवाद से बचते हैं और ज़ोर ज़ोर से नारे लगाकर सही आवाज को दबाते हैं।
सत्ता गलत से गलत नीतियों को लागू करने के लिए जन-मानस तैयार करती है। इसलिए सत्ता के लिए जरूरी है कि जनमानस को शिक्षित होने से रोका जाय, सो यह संगठन और इसकी सरकार लगातार शिक्षा को रोक रही है। गलत इतिहास परोस रही है। चुनाव के दौरान स्वयम नरेन्द्र मोदी ने इतिहास को गलत-सलत खतरनाक तरीके से परोस कर समय और काल की धज्जियां उड़ा दी थी। ईमानदारी से मूर्ख होना कितना खतरनाक होता है यह आज देखा जाता है.... देशभक्ति और देशद्रोह की गलत परिभाषाएँ पढ़ाकर ये संस्थाएं सही आवाज को दबा नहीं पाएँगी। एक शेर है कि----
''इस तरह अपनी खामोशी गूंजी, गोया हर सिम्त से आवाज आए.... ''
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