योगी की ब्रांडिंग सीएम कैंडिडेट के रूप में
झांसी. चाहे राजनीतिक दल हों या राजनेता, या फिर उनके समर्थक, सब अपने-अपने हिसाब से ‘मिशन-2017 ‘ की तैयारियों में जुट गए हैं। सपा और बसपा की ओर से तो सीएम कैंडिडेट जगजाहिर हैं। कांग्रेस फिलहाल अपना खोया हुआ जनाधार खोजने की तैयारी में हैं। ऐसे में केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में भले ही सीएम कैंडिडेट के मंथन चल रहा हो, लेकिन योगी आदित्यनाथ के चाहने वालों ने अपने ही अंदाज में उनकी ब्रांडिंग करनी शुरू कर दी है। इसके लिए लोकसभा चुनाव में कारगर साबित हो चुके ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ की तर्ज पर ही नारे को भी उछाल दिया गया ‘अबकी बार, योगी सरकार।
मैसेज की शैली है काव्यात्मक-
योगी के लिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज में कुछ इसी तरह का संदेश दिया जा रहा है। इसमें गोरखपुर लोकसभा सीट से शुरू हुई उनकी संसद (दिल्ली) तक की राजनीतिक यात्रा का उल्लेख किया गया है। अब सीएम कैंडिडेट के रूप में उनके यूपी सफर को वाया दिल्ली बताने की कोशिश की गई है। योगी की ब्रांडिंग काव्यात्मक अंदाज में की जा रही है।
मैसेज की शैली है काव्यात्मक-
योगी के लिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज में कुछ इसी तरह का संदेश दिया जा रहा है। इसमें गोरखपुर लोकसभा सीट से शुरू हुई उनकी संसद (दिल्ली) तक की राजनीतिक यात्रा का उल्लेख किया गया है। अब सीएम कैंडिडेट के रूप में उनके यूपी सफर को वाया दिल्ली बताने की कोशिश की गई है। योगी की ब्रांडिंग काव्यात्मक अंदाज में की जा रही है।
‘जगा दिया गोरखपुर को जिसने, वो देश जगाने वाला है।
विजय पताका फहराकर, जो यूपी आने वाला है।
शंखनाद हो गया, शुरू अब रण होने वाला है।
आज सुना खुद अपने कानों से, 2107 में योगी आने वाला है।’
विजय पताका फहराकर, जो यूपी आने वाला है।
शंखनाद हो गया, शुरू अब रण होने वाला है।
आज सुना खुद अपने कानों से, 2107 में योगी आने वाला है।’
लंबी-दमदार पारी को बनाया आधार-
गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ की लंबी पारी और लोकसभा के अजेय राजनीतिक सफर को उनकी ब्रांडिंग का मुख्य आधार बनाया गया है। इसमें उनकी हिंदुत्ववादी विचारधारा को भी शामिल किया गया है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार से गोरखपुर से सांसद हैं। उन्हें सन् 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में सांसद चुना गया है। सन् 1998 में वह करीब 26 हजार वोटों से जीतकर लोकसभा में दाखिल हुए। इसके बाद 1999 में यह अंतर घटकर केवल 7 हजार के आसपास आ गया। उसके बाद से उन्होंने लोगों के दिलोदिमाग में ऐसी जगह बनाई कि उनकी जीत का अंतर हर चुनाव में तकरीबन एक-एक लाख वोट के हिसाब से बढ़ता गया। सन् 2004 में वह एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते, तो 2009 में 2 लाख से ज्यादा वोटों से और 2014 में 3 लाख से ज्यादा वोटों से उन्होंने जीत हासिल की।
गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ की लंबी पारी और लोकसभा के अजेय राजनीतिक सफर को उनकी ब्रांडिंग का मुख्य आधार बनाया गया है। इसमें उनकी हिंदुत्ववादी विचारधारा को भी शामिल किया गया है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार से गोरखपुर से सांसद हैं। उन्हें सन् 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में सांसद चुना गया है। सन् 1998 में वह करीब 26 हजार वोटों से जीतकर लोकसभा में दाखिल हुए। इसके बाद 1999 में यह अंतर घटकर केवल 7 हजार के आसपास आ गया। उसके बाद से उन्होंने लोगों के दिलोदिमाग में ऐसी जगह बनाई कि उनकी जीत का अंतर हर चुनाव में तकरीबन एक-एक लाख वोट के हिसाब से बढ़ता गया। सन् 2004 में वह एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते, तो 2009 में 2 लाख से ज्यादा वोटों से और 2014 में 3 लाख से ज्यादा वोटों से उन्होंने जीत हासिल की।
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