Tuesday, February 2, 2016

ओबीसी, एससी और एसटी के यूनिवर्सिटी में पढ़ते छात्रो की आत्महत्या का सिलसिला कोई नयी बात नहीं है. पिछड़े वर्गों के सेंकडो छात्रो ने यूनिवर्सिटी में एकाधिकार जमाये बैठे जातिवादियो की उपेक्षा और अन्याय की वजह से आत्महत्या की है. लेकिन रोहित वेमुला देश को जगा गया है.


ओबीसी, एससी और एसटी के यूनिवर्सिटी में पढ़ते छात्रो की आत्महत्या का सिलसिला कोई नयी बात नहीं है. पिछड़े वर्गों के सेंकडो छात्रो ने यूनिवर्सिटी में एकाधिकार जमाये बैठे जातिवादियो की उपेक्षा और अन्याय की वजह से आत्महत्या की है. लेकिन रोहित वेमुला देश को जगा गया है.
JNU - जवाहरलाल नहेरु विश्वविद्यालय - दिल्ही में टोटल प्रोफ़ेसर 612 है. 1993 से केन्द्रीय नौकरियों में 27% ओबीसी आरक्षण लागु किया गया था. 27% आरक्षण के हिसाब से ओबीसी प्रोफ़ेसर मिनिमम 145 होने चाहिए. मेरिट से ओपन में भी कुछ भर्ती हुई होती तो ये आंकड़ा 200 तक पहुच चूका होता.
RTI - 2015 के अनुसार JNU में सिर्फ आसी.प्रोफ़ेसर में सिर्फ 29 ओबीसी प्रतिनिधित्व है. प्रोफ़ेसर में एक भी नहीं. एसो. प्रोफ़ेसर में भी एक भी नहीं. देश के 68 करोड़ ओबीसी समुदाय का JNU जैसी देश और राज्यों की केरल और तमिलनाडु को छोड़कर सभी यूनिवर्सिटी का ये हाल है, फिर शहीद रोहित बेमुला जैसे मेघावी छात्र को आत्महत्या क्यों न करनी पड़े?
जातिवादियो के एकाधिकार की वजह से यूनिवर्सिटी के ओबीसी, एससी और एसटी छात्रो को वायवा में कभी पर्याप्त मार्क्स नहीं मिलते और जनरल केटेगरी के अपरकास्ट छात्रों को कभी वायवा में कम मार्क्स नहीं मिलते.
Anoop Manav - JNU still does not has a single Professor or Associate Professor from OBC. There are only 29 Assistant Professors from OBC out of total strength i.e. 612. Why it is because reservation for OBC is allowed only in the post of Assi. Professor. The Brahmanised Academia will never show generosity a bit on appointing an OBC from General Category.
Some SC/ST Profs. are there due to reservation, not because of elite and Brahmanised Academia's Hriday Parivartan. There is an incongruity between classrooms and faculty in terms of SC/ST/OBC representation. These unprivileged castes don't have constitutional mandated share in Faculty. That is why students from abovementioned groups are being exploited, undermined in classrooms by Brahmanised Academia, even faculty members too.
There must be a fight to ensure OBC reservation in the post of Prof./Assi. Prof. in faculty. (This RTI was filed by Kiran).

Comments
Jayantibhai Manani -
जातिवादियो के एकाधिकार की वजह से यूनिवर्सिटी के ओबीसी, एससी और एसटी छात्रो को वायवा में कभी पर्याप्त मार्क्स नहीं मिलते और जनरल केटेगरी के अपरकास्ट छात्रों को कभी वायवा में कम मार्क्स नहीं मिलते.
Sunita Prajapati Her jagha yahi hall h....jago obc jago....
Ramanuj Singh Gautam सही बात
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Bhavesh Makwana that's true
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Ramesh Kumar जयंती भाई यह यात्रा यूपी इलाहाबाद भी आएगी ..?
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Jayantibhai Manani चार साल पहेले ये यात्रा निकली थी.. अब निकलेगी पुरे भारत में.. तब ये यात्रा इलाहाबाद भी आएगी..
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Palash Biswas
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Ibrar Ahmad Bharat ke sachhadik sansthaon men pardarsita nahi hai ye bade sarm ki ct hai
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Jayantibhai Manani ,
Thanks @Vijay Chauhan and Prajapati Dinesh Jethva
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Jayantibhai Manani -
RTI - 2015 के अनुसार JNU में सिर्फ आसी.प्रोफ़ेसर में सिर्फ 29 ओबीसी प्रतिनिधित्व है. प्रोफ़ेसर में एक भी नहीं. एसो. प्रोफ़ेसर में भी एक भी नहीं. देश के 68 करोड़ ओबीसी समुदाय का JNU जैसी देश और राज्यों की केरल और तमिलनाडु को छोड़कर सभी यूनिवर्सिटी का ये हाल है, फिर शहीद रोहित बेमुला जैसे मेघावी छात्र को आत्महत्या क्यों न करनी पड़े?...See More
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Madan Lodha Narwariya rohit jese deshdhohi ko uske jese bichar rakhne bala hi sahit kah shakta hai
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Shail Solanki Nice work sir..
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Hasmukhbhai Chudasama Very good information.
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