Friday, February 19, 2016

Dilip C Mandal 2 hrs · विचार और अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा, आपातकाल, फासीवाद आदि खोखले भय से थरथर कांप रहे लोगों से मैं यह जानना चाहता हूं कि जब उनके हिसाब से, कांग्रेस के शासन में अभिव्यक्ति की आजादी थी, तब वे क्या रच रहे थे. उस समय कर लेते अभिव्यक्ति? यूनिवर्सिटीज में आत्महत्याएं, ग्रीन हंट, तमाम दंगे सब से तो गुजर गया देश उस दौरान. माफ कीजिए, मुझमें यह मासूमियत नहीं है कि मान लूं कि यूनिवर्सिटीज में ब्राह्मणवाद की शुरुआत नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के दिन हुई है. कांग्रेस बड़ी पापी है. सीपीएम भी. और फिर, यह तो बताइए कि आपको अगर आज अभिव्यक्ति की पूरी आजादी मिल जाए तो क्या लिख डालेंगे. खुद लिखने में डर लगता है तो मुझे लिख भेजिए. अगर भारतीय संविधान और नियमों के दायरे में हुआ तो अपनी वाल पर छापूंगा. लिखिए, क्या लिखना चाहते हैं. मैंने जो चाहा, वह लिखा. धमकी देने वाले आए और गए. गाली देने वाले भी. जो नहीं लिखा, वह मेरी निजी कमजोरी है. फालतू का रोना धोना मुझे पसंद नहीं. आपको इमर्जेंसी दिख रही है, मुझे पस्त होती बीजेपी दिख रही है. इस समय में अभिव्यक्ति का अगर सचमुच कोई खतरा है, तो मुसलमानों को है. बाकी लोग डरने का फर्जी नाटक कर रहे हैं.


विचार और अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा, आपातकाल, फासीवाद आदि खोखले भय से थरथर कांप रहे लोगों से मैं यह जानना चाहता हूं कि जब उनके हिसाब से, कांग्रेस के शासन में अभिव्यक्ति की आजादी थी, तब वे क्या रच रहे थे.
उस समय कर लेते अभिव्यक्ति? यूनिवर्सिटीज में आत्महत्याएं, ग्रीन हंट, तमाम दंगे सब से तो गुजर गया देश उस दौरान.
माफ कीजिए, मुझमें यह मासूमियत नहीं है कि मान लूं कि यूनिवर्सिटीज में ब्राह्मणवाद की शुरुआत नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के दिन हुई है. कांग्रेस बड़ी पापी है. सीपीएम भी.
और फिर, यह तो बताइए कि आपको अगर आज अभिव्यक्ति की पूरी आजादी मिल जाए तो क्या लिख डालेंगे. खुद लिखने में डर लगता है तो मुझे लिख भेजिए. अगर भारतीय संविधान और नियमों के दायरे में हुआ तो अपनी वाल पर छापूंगा. लिखिए, क्या लिखना चाहते हैं.
मैंने जो चाहा, वह लिखा. धमकी देने वाले आए और गए. गाली देने वाले भी. जो नहीं लिखा, वह मेरी निजी कमजोरी है.
फालतू का रोना धोना मुझे पसंद नहीं.
आपको इमर्जेंसी दिख रही है, मुझे पस्त होती बीजेपी दिख रही है. इस समय में अभिव्यक्ति का अगर सचमुच कोई खतरा है, तो मुसलमानों को है. बाकी लोग डरने का फर्जी नाटक कर रहे हैं.

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