कहने को आप भारत के बेस्ट माइंड हैं। आपके संस्थान में भेदभाव के कारण एक लड़की ने आत्महत्या की है। तीन प्रोफ़ेसरों की एक कमेटी बनाई जाती है। उसमें एक छात्र प्रतिनिधि रखते हैं। लड़की की आत्महत्या का मामला होने के बावजूद सिर्फ पुरुषों की कमेटी बनाई जाती है। कमेटी तीन उपाय बताती है।
1. हॉस्टलों में छत से लटकने वाले पंखों को हटा दिया जाए।
2. सिंगल रूम न दिया जाए।
3. रात में इंटरनेट वाई फ़ाई की स्पीड आधी कर दी जाए।
2. सिंगल रूम न दिया जाए।
3. रात में इंटरनेट वाई फ़ाई की स्पीड आधी कर दी जाए।
IIT कानपुर के प्रोफेसर दीक्षित, प्रोफेसर शर्मा और प्रोफेसर घोष को उनके ज्ञान के आधार पर मैं अपना चपरासी भी नहीं बनाता। मेरे चपरासी हमेशा इनसे ज्यादा इंटेलिजेंट रहे हैं। इन द्रोणाचार्यों का सिलेक्शन कैसे होता है। मूर्ख कहीं के।
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