jnu छात्र संघ के अध्यक्ष की गिरफ़्तारी चिंता की बात है . चिंतनीय jnu परिसर की वे घटनाएं भी हैं ,जो अफजल के लिए हुईं . अफजल ने संवैधानिक संस्था को हिंसक चुनौती दी थी . मुकदमा चला . सजा हुई . अब जो लोग उसका जिंदाबाद करना संवैधानिक अधिकार समझते हैं ,उन्हें संविधान सम्मत सरकार से सजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए . ऐसे लोग उन संघियों के लिए ताकत जुटाते हैं ,जो नाथूराम गोडसे को धर्मात्मा सिद्ध करते हैं . कश्मीर का मसला जटिल है . वहां जो हो रहा है , उससे खुश नहीं हुआ जाना चाहिए . लेकिन उसे अफजल के चश्मे से ही क्यों देखें . कश्मीरी मसले का एक छोर पाकिस्तान से जुड़ा है . पाकिस्तान में जो k है ,वह कश्मीर के लिए है . पाकिस्तान का जन्म मजहब के आधार पर हुआ . कश्मीर में मुस्लमान ज्यादा हैं ,तो वह उन्हें चाहिए . फिर तो उन्हें अफगानिस्तान ,ईरान और अन्य मुस्लिम बहुल देशों पर भी दावा करना चाहिए . कश्मीर की समस्या को समझना आसान नहीं है . वहां अस्सी फीसद आबादी मुस्लमान हैं . आज़ादी के वक़्त वहां का राजा हरी सिंह था ,जो ऐय्यास और हिन्दू था . खेती -बाड़ी का बहुलांश हिन्दू पंडितो के पास था . वहां की जुबान में संस्कृत और फ़ारसी के शब्द और क्रिया पद मिले -जुले हैं . शेख अब्दुल्ला ने जमींदारी प्रथा को बिना मुआबजा ख़त्म कर दिया . हिन्दू पंडित उनके दुश्मन बन गए . आज़ाद भारत में उनकी देशभक्ति पर शक किया गया . यह सब हमें जानना चाहिए . दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा सेकुलर ताकतें भी अपनी परंपरा से हटके सोचने लगी हैं . मुसलमानो के कट्टर और कुटिल तबके को समर्थन देना गलत होगा . मुसलमानो के बीच जो ब्राह्मणवाद है ,वह हिन्दू ब्राह्मणवाद से भी ज्यादा घातक है . वे लोग ही कभी खिलाफत आंदोलन चला रहे थे और आज आतंकवाद चला रहे हैं . गांधी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन देकर जो ऐतिहासिक भूल की ,उससे हिन्दू - मुस्लिम कुलीनता का तो साझा हो गया , सेकुलरवाद की चूलें हिल गईं . तुर्की में तब कमाल पाशा को हमने समर्थन दिया होता तो न भारत का बटवारा होता और न आज मुस्लमान दुनिया भर में इतने पीछे होते . . मुस्लमान तरक्कीपसंद बनें , मज़हबपरस्त नहीं . सच्चा सेकुलरवाद ही उन्हें बेहतर इंसान बना सकता है . मुल्लावाद और ब्राह्मणवाद एक ही है . गांधी की तरह इनकी एकता नहीं , कबीर की तरह इनका निषेध चाहिए . |
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jnu छात्र संघ के अध्यक्ष की गिरफ़्तारी चिंता की बात है . चिंतनीय jnu परिसर की वे घटनाएं भी हैं ,जो अफ...
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