Let me speak human!All about humanity,Green and rights to sustain the Nature.It is live.
Tuesday, February 16, 2016
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna February 15 at 6:17pm · " ऐ चारागर मना मेरे तेग़ आज़मा की ख़ैर अब दर्दे सर की फ़िक़्र न कर दर्दे सर गया । " अर्थात - सरदर्द दूर करने का सबसे बेहतर नुस्ख़ा यह है कि सर ही धड़ से अलग कर दो । क्या खूब , कि विश्वविद्यालय में कुछ ने कुछ अनुचित नारे लगाये , तो विश्वविद्यालय को ही समाप्त कर दो । मुझे अपने छुटपन में सुनी गढ़वाली कहावत आज कितनी सामयिक प्रतीत हो रही है कि - गाळी दिन्यान मनखी नी मरदा , ताता पाणी न कूड़ा नी फुकेंदा । ( गाली देने से मनुष्य नहीं मरा करते , और खौलते पानी से मकान नहीं जलते )। अस्तु , तनूरेव तन्वो अस्तु भेषजम् । शरीर ही शरीर की दवा है , न कि शरीरोच्छेद । - ऋग्वेद । मैं देशविरोधी नारे लगाने वालों की तीव्र भर्त्सना करता हूँ , लेकिन देशद्रोही उन्हें मानता हूँ , जो गला फाड़-, फाड़ कर भारत माता की जय जानबूझ कर इस आक्रामक अंदाज़ में बोलते हैं , कि भारत माता की जय होने की बजाय उत्तरोत्तर क्षय होती जाती है । मैं अपने देश समेत सभी देशों की जय चाहता हूँ , और चाहता रहूंगा । मैंने अपने पुराणों में यही पढ़ा है कि , स्वदेशे भुवनत्रयम् । यह धरती ही क्या ब्रह्माण्ड के तीनों लोक मेरा स्वदेश हैं ।
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