Tuesday, February 2, 2016

किलों पर जितनी चाहे उतनी निजी सेना तैनात कर लें हुक्मरान। बाजू भी बहुत हैं तो सर भी बहुत हैं! हिंसा और नरसंहार के खिलाफ जाग रहा है भारत का जनमानस अग्निपाखी! मुंबई में सिंह गर्जना से जाहिर है कि दिल्ली और नागपुर के लठैतों की चलेगी नहीं।और तो और,संघ के मुख्यालय नागपुर की दीक्षाभूमि से एक बहुत बड़ा मोर्चा संघ मुख्यालय तक गया और वहां ऐसा निरंतर होने वाला है। बुद्धं शरणमं गच्छामि कोई हिंदुत्व की तरह राजनीतिक धर्म नहीं है।यह भारत के इतिहास की गूंज है।यह गूंज देशभर में तेज होने जा रही हैं । हिंसा ,घृणा और नरसंहार उत्सव के खिलाफ नागपुर और कोलकाता में ही नहीं, देशभर में अमन चैन के लिए शांति मार्च निकलने को है। रोहित वेमला अब कोई चेहरा नहीं है। रोहित वेमुला अब कोई अस्मिता भी नहीं है।न जात न मजहब। यह चेहराफासिज्म के राजकाज के खिलाफ जनता के हक हकूक की लड़ाई का बवंडर है जो सत्तर साल से ठहरा हुआ था,अब शुरु हुआ है। SFI activists raise slogans at the Rohith Vemula protest in Delhi

किलों पर जितनी चाहे उतनी निजी सेना तैनात कर लें हुक्मरान।
बाजू भी बहुत हैं तो सर भी बहुत हैं!
हिंसा और नरसंहार के खिलाफ जाग रहा है भारत का जनमानस अग्निपाखी!


मुंबई में सिंह गर्जना से जाहिर है कि दिल्ली और नागपुर के लठैतों की चलेगी नहीं।और तो और,संघ के मुख्यालय नागपुर की दीक्षाभूमि से एक बहुत बड़ा मोर्चा संघ मुख्यालय तक गया और वहां ऐसा निरंतर होने वाला है।
बुद्धं शरणमं गच्छामि कोई हिंदुत्व की तरह राजनीतिक धर्म नहीं है।यह भारत के इतिहास की गूंज है।यह गूंज देशभर में तेज होने जा रही हैं ।


हिंसा ,घृणा और नरसंहार उत्सव के खिलाफ नागपुर और कोलकाता में ही नहीं, देशभर में अमन चैन के लिए शांति मार्च निकलने को है।


रोहित वेमला अब कोई चेहरा नहीं है।
रोहित वेमुला अब कोई अस्मिता भी नहीं है।न जात न मजहब।


यह चेहराफासिज्म के राजकाज के खिलाफ जनता के हक हकूक की लड़ाई का बवंडर है जो सत्तर साल से ठहरा हुआ था,अब शुरु हुआ है।

SFI activists raise slogans at the Rohith Vemula protest in Delhi

https://www.youtube.com/watch?v=43IymOEZcmI

पलाश विश्वास
पहा पहा मंजूळा हा माझा भिमरायाचा मळा ....
रोहित वेमूला के समर्थन मे आदरनीय बाळासाहेब आंबेडकर के नेत्रुत्व मे कल मूंबई मे निकाले मोर्चे का विहंगम नजारा ....

पहा पहा मंजूळा हा माझा भिमरायाचा मळा ....
रोहित वेमूला के समर्थन मे आदरनीय बाळासाहेब आंबेडकर के नेत्रुत्व मे कल मूंबई मे निकाले मोर्चे का विहंगम नजारा ....

मी या मताचा आहे की आपण एक राष्ट्र आहोत यावर विश्वास ठेवणे म्हणजे जे अस्तित्वात नाही ते अस्तित्वात आहे असा समज बाळगण्यासारखे होईल. हजारो जातींमध्ये विभागलेल्या लोकांचे राष्ट्र कसे बनू शकेल? सामाजिक आणि मानसिकदृष्ट्या अजूनही आम्ही एक राष्ट्र नाही याची आम्हाला जेवढ्या लवकर जाणीव होईल तेवढे ते आमच्या हिताचे ठरेल. त्यांनतरच एक राष्ट्र होण्याच्या गरजेचा आम्ही गांभीर्याने विचार करु शकू. या ध्येयाप्रत पोहोचणे अतिशय कठीण आहे. अमेरिकेत जातीची समस्या नाही. भारतात जाती आहेत. जाती या राष्ट्रविरोधी आहेत. पहिली गोष्ट त्या समाजजीवनात विभागणी करतात. त्या राष्ट्रविरोधी आहेत कारण त्या जाती-जातीमध्ये मत्सर व तिरस्काराची भावना निर्माण करतात. आम्हाला वास्तवात जर राष्ट्र व्हायचे असेल तर या सर्व अडथळ्यांवर आम्ही मात केलीच पाहिजे. राष्ट्र निर्मिती नंतरच बंधुत्व वास्तवात पाहावयास मिळेल. बंधुत्वाशिवाय असलेली समता आणि स्वातंत्र्य म्हणजे रंगाच्या वरवरच्या थरांसारखा केवळ बाह्य देखावा असेल.
Dr. Babasaheb Ambedkar, Constituent Assembly, 25 November 1949.
In view of above, Caste and Varna System is dangerous to Society as well as formation of Nation.
Annihilation of Caste and Varna System is the Solution of our all Problems.



बंगाल के जंगल महल में भी समता और शांति के लिए जुलूस निकल रहा है।भारत के हर शहर,गांव और कस्बे से अब जुलूस निकलेंगे फासिज्म के खिलाफ।

बाजू भी बहुत हैं तो सर भी बहुत हैं -हिंसा और नरसंहार के खिलाफ जाग रहा है भारत का जनमनस अग्निपाखी।

मुंबई में सिंह गर्जना से जाहिर है कि दिल्ली और नागपुर के लठैतों की चलेगी नहीं।

और तो और,संघ के मुख्यालय नागपुर की दीक्षाभूमि से एक बहुत बड़ा मोर्चा संघ मुख्यालय तक गया और वहां ऐसा निरंतर होने वाला है।अपने अपने किलों पर जितनी चाहे उतनी निजी सेना तैनात कर लें हुक्मरान।पूरे देश खा सलवा जुड़ुम बना दें।
बाजू भी बहुत हैं तो सर भी बहुत हैं!
हिंसा और नरसंहार के खिलाफ जाग रहा है भारत का जनमानस अग्निपाखी!


बुद्धं शरणमं गच्छामि कोई हिंदुत्व की तरह राजनीतिक धर्म नहीं है।यह भारत के इतिहास की गूंज है।

यह गूंज अब देशभर में तेज होने जा रही हैं ।

हिंसा ,घृणा और नरसंहार उत्सव के खिलाफ नागपुर और कोलकाता में ही नहीं देशभर में अमन चैन के लिए शांति मार्च होने वाला है।

रोहित वेमला अब कोई चेहरा नहीं है।
रोहित वेमुला अब कोई अस्मिता भी नहीं है।

यह फासिज्म के राजकाज के खिलाफ जनता के हक हकूक की लड़ाई का बवंडर है जो सत्तर साल से ठहरा हुआ था,अब शुरु हुआ है।अब थमने भी वाला नहीं है।

मीडिया का करिश्मा देख लें तनिक तो मजा ही मजा।दिल्ली में फासिज्म की निजी सेना ने हमारे बच्चों पर जो कहर ढाया और देशभर में उसकी जो तीखी प्रतिक्रिया है,उसके जबाव में जवाबी वीडियो वाइरल दिखाया गया कि छात्राएं उकसा रही थीं।यह दलील अमूमन बलात्कार को जायज टहराने की दलील होती है।

पद्मभूषण अनुपम खेर का बहुत बहुत धन्यवाद कि देर शाम तक साफ कर दिया कि पाकिस्तान के साहित्योत्सव में जिन अठारह लोगों को न्यौता भेजा गया है,उनमें वे एकमात्र हैं,जिनने पाकिस्तानी वीसा के लिए आवेदन ही नहीं किया।चीवीपर फिर उने लाइव पलटी खाई कि कश्मीरी पंडत होने की वजह से पाकिस्तान उनके खिलाफ भेदबाव कर रहा है।

वरना इस मुद्दे पर दूसरा कारगिल किये बिना मीडिया वाले मानते नहीं।आज का दिन अनुपम खेर और सुप्रीम कोर्ट के लाइव प्रसारण के नाम रहा और कल की फासिस्ट बर्बरता की सुर्खियां बासी हो गयीं।

मुश्किल यह है कि रोहित के दलित या ओबीसी परिचय के रिसर्च पर जरुरत से जियादा ध्यान देने और मंडल कमंडल आग भड़काने से भी रोहित वेमुला की आत्महत्या के खिलाफ न्याय और समता की लड़ाई देश के कोने कोने में रोज तेज होती जा रही है।

संघ के मुख्यालय नागपुर की दीक्षाभूमि से एक बहुत बड़ा मोर्चा संघ मुख्यालय तक गया और वहां ऐसा निरंतर होने वाला है।

बुद्धं शरणमं गच्छामि कोई हिंदुत्व की तरह राजनीतिक धर्म नहीं है।यह भारत के इतिहास की गूंज है।

यह गूंज अब देशभर में तेज होने जा रही हैं ।

हिंसा ,घृणा और नरसंहार उत्सव के खिलाफ नागपुर और कोलकाता में ही नहीं देशभर में अमन चैन के लिए शांति मार्च होने वाला है।

रोहित वेमला अब कोई चेहरा नहीं है।
रोहित वेमुला अब कोई अस्मिता भी नहीं है।

यह फासिज्मके राजकाज के खिलाफ जनता के हक हकूक की लड़ाई का बवंडर है जो सत्तर साल से ठहरा हुआ था,अब शुरु हुआ है।

दूल्हों और दुल्हनों,बारातियों के शिकंजे से बाहर निकली बहुजन जनता देश के कोने कोने में जाति दर्म के नाम आपस में लड़ते रहने की विरासत छोड़कर गोलबंद हो रहे हैं।

बाजू भी बहुत हैं और सर भी बहुत हैं।

यह हिंदुस्तान की सर जमीं मध्य बिहार का कोई इकलौता गांव नहीं है,जहां निजी सेनाएं नरसंहार करती रहेगी और जुल्म के खिलाफ हर आवाज कुचल दी जायेगी।

हिंदुस्तान इतना बड़ा मुल्क है कि कोई तानाशाह इसे कभी जीत नहीं पाया,इतिहास बदलने वाले लोग देख लें।

जागरण और नवजागरण की बात करने वाले लोग जान लें कि तुर्की से जो बाबर आये थे भारत जीतने,उसी तुर्की ने चौदहवीं सदी में बाबर के भारत विजय से पहले तक समूचे यूरोप को गुलाम बनाये रखा था।लगातार लगातार किसानों के आंदोलन ने न सिर्फ यूरोप की दुनिया की तस्वीर बदल दी है।

हम तो गुलामों की गुलामी को अपनी आजादी मानते रहे हैं जबकि दिल्ली की सत्ता का रंग चाहे जो हो,बाकी भारत न कभी गुलाम रहा है और न आज गुलाम है।भारत के आदिवासी और किसान कभी गुलमा थे ही नहीं और न आज हैं।

मीडिया के मुताबिक उनका आंदोलन थमने वाला नहीं है,जिनके पुरखे बंदूकों तोपों से मुकाबला करते रहे हैं।

इतिहास लिखने वाले यह सबक इतिहास का सबसे पहले सीख लें।

उसी गुलाम वंश के वारिशान आज का सत्तावर्ग है।

कुलीन नवजागरण की वजह से फ्रांसीसी क्रांति नहीं हुई,वह क्राति हुई समूचे यूरोप में दैवी सत्ता और चर्च के खिलाफ किसान आंदोलनों के बवंडर उठने के बाद।

दैवी सत्ता भारत की विरासत कभी नहीं रही तो दैवी सत्ता की जमीन विदेशी है।

हमारे पुरखों ने कभी गुलामी मंजूर नहीं की और भक्ति आंदोलन भी दैवी सत्ता और सामंत प्रभुओं के खिलाफ महाविद्रोह रहा,जो आदिवासी किसान विद्रोहों की  निरंतरता में हमारे इतिहास की लोक विरासत है।

इसे सब अल्टर्न कारपोरेट साहित्योत्सव वाले विद्वतजन न समझेंगे और न धर्माध बजरंगी।

भरतीय जनमानस भी अग्निपाखी है जो बार बार राख से जिंदा निकलता है क्योंकि भारत की आत्मा कभी मरी नहीं है।

यही हमारा धर्म है और हमारा इतिहास भी है,जिसके तहत हिंदू भारत की संस्कृति सत्य और अहिंसा है और बीजमंत्र फिर वहीं बुद्धम् शरणम् गच्छामि है।

मजहबी सियासत हिंदुत्व नहीं है और न मनुस्मृति हिंदुत्व है।
बौद्धधर्म का अवसान जरुर हुआ है लेकिन भारत की बौद्धमय इतिहास ही भारत की विरासत है सत्य और अहिंसा की।

फासिस्ट सत्ता ने खुद को लामबंद कर लिया है सत्य और अहिंसा की विरासत के खिलाफ और भारत की आत्मा को कुचलने चली है।

बहरहाल अनुपम खेर अभिनेता बेहद अच्छे हैं।उनकी पहली फिल्म आगमन के बाद नायक से चरित्र अभिनेता बने अनुपम हर किरदार में फिटमफिट हैं।

वैसे अभिनेत्री जयललिता भी बहुत अच्छी रही हैं।

अतुल्य भारत विज्ञापन में आमीर का सहिष्णुता विकल्प अमिताभ बच्चन भी हमारे छात्र जीवन से आज तलक अभिनय से जब तब कायल करते रहे हैं।

अभिनेता हमारे हिसाब से परेश रावल भी कम बड़े नहीं हैं और निदेशक श्माम बेनेगल की तो कोई सानी नहीं हैं।

राजनीति में अभिनय बड़े काम की चीज है।

जबसे भारत की राजधानी नागपुर में स्थानातंरित है,तब से पाठ हूबहू निभाने वाले अभिनेताओं और अभिनेत्रियां भारतीय राजनीति में सोने पर सुहागा हैं।यही राजनीतिक  मार्केटिंग है मुक्त बाजार।

हम सारे लोग जानते हैं कि परदे पर उनका किरदार असल में उनका अपना किरदार होता नहीं हैं और न संवाद उनके अपने होते हैं और जो गीत उनपर फिल्माये जाते हैं,वे भी उनके नहीं होते हैं।

ऐसे रंग बिरंगे किरदार का हुनर अब भारतीय केसरिया सत्ता का सबसे बड़ा आकर्षण हैं।क्योंकि मुख्यालय नियंत्रित अखबारों में विज्ञापनों के अलावा मौलिक जैसा कुछ नहीं होता,वैसे ही राजनीति के परदे पर मौलिक संवाद भी कुछ नहीं होता।

यथार्थ सिर्फ राजनीतिक समीकरण होते हैं।

यही फासिज्म का राजकाज है।


Mumbai protest rally against institutional murder of Rohith Vemula
From Byculla to Vidhan Bhavan, Mumbai on 1st February, 2016
Justice for Rohith Vemula - Joint Action Committee (JAC), Mumbai, Maharashtra
February 1st 2016: Students, worker, social and political activists held a protest rally today from Rani Bagh in Byculla towards the Vidhan Sabha under the banner of "Justice for Rohit - Joint Action Committee, Mumbai" under the guidance of Adv. Prakash Ambedkar. Students from IIT-Bombay, Mumbai University, Tata Institute of Social Sciences, Tata Institute of Fundamental Research, Nirmala Niketan, Siddharth College, Govt Law College, Ruparel College, St. Xavier's college, International Institute of Population Sciences, Vivekananda College, Ambedkar College, and many others are part of the front. Several progressive political forces, cultural groups and local organisations have also joined in. Some four thousand people joined the protest calling for justice for Rohith and for democratisation of Higher Education in the country. The hundreds of protestors who started the rally from Rani Bagh Maidan were also joined by people from the neighbourhood on the way. The rally continued till the Chakrapathi Shivaji Terminus where the police blocked the protestors where they assembled and occupied the road opposite to the CST station. The rally continued till 5:30 pm in the evening and culminated in CST.
The protestors demanded the culprits behind the institutional murder of Rohith including the Vice Chacellor Appa Rao, Union Ministers Smriti Irani, Bandaru Dattatreya, Ramachandra Rao (BJP MLC), Susheel Kumar (ABVP President) etc be arrested and booked under SC/ST prevention of Attrocities (PoA) Act. Other demands included that the Vice Chancellor be immediately removed, Rohith’s family be compensated with 50 lakhs, an judicial enquiry be instituted to look into this case and other caste discriminatory practices in Higher Educational institutions.
The rally was addressed by Adv. Prakash Ambedkar who said that the issue in University of Hyderabad started after the pressure the government (including Union minister Smriti Irani which resulted in the expulsion of the students even after a earlier committee found no wrong doing. He said that there needs to be proper investigation in this matter and cases should be filed against the culprits . He called for further agitations in this issue across Maharashtra and said that this is just a start in the capital city. He warned that if the government does not take any action, then people will be forced to.
Dontha Prashant, Rohith’s friend and one of the five expelled students in University of Hyderabad also addressed the gathering and detailed the circumstances under which the five Dalit research Scholars were expelled in HCU after pressure from the Union Minister Bandaru Dattatreya and others. He said that Rohith was fighting against the same Brahmanical forces that ultimately lead to his suicide. He read from Rohith suicide note which hoped for a new beginning, a red sun raising in blue sky, which can shine on the darkness of the saffron that has spread across the nation. Ms. Suvarna Salve, a Dalit student activist part of Samatha Vidyarthi Agadi also said, “There are lot of agitations going on around the country related to the injustices against Dalits and other marginalised sections. RSS and BJP are in power and are perpetuating the injusices, for example the banning of Ambedkar Periyar Study Circle in IIT-M, the appointment of their supporter in FTII. While the rich and the powerful politicians are ruling the nation, there is severe budget cuts in education, for example the Tribal Hostel in Panvel where the students went on strike last year does not even have minimal facilities. There is a need for all students and others to join the fight against this injustice.
Justice for Rohith- Joint Action Committee, Mumbai also submitted a memorandum of demands to the Governor (State of Maharashtra) asking for the demands to be forwarded to the President.
Justice for Rohith-Joint Action Commitee Mumbai's photo.
Justice for Rohith-Joint Action Commitee Mumbai's photo.
Justice for Rohith-Joint Action Commitee Mumbai's photo.
Justice for Rohith-Joint Action Commitee Mumbai's photo.

Candle lit in front of Asiatic Library Mumbai in the memory of Rohit Vemula
'मुंबई के विख्यात एशियाटिक लायब्ररी के सामने रोहित वेमुला कि याद मे मोम्बात्तीया जलाकर आदरांजली अर्पित की गयी !'
'मुंबई के विख्यात एशियाटिक लायब्ररी के सामने रोहित वेमुला कि याद मे मोम्बात्तीया जलाकर आदरांजली अर्पित की गयी !'
'मुंबई के विख्यात एशियाटिक लायब्ररी के सामने रोहित वेमुला कि याद मे मोम्बात्तीया जलाकर आदरांजली अर्पित की गयी !'
'मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर रोहित वेमुला कि याद मे मोम्बात्तीया जल कर युवकोने आदरांजली दी !'
'long live Rohit Vemula.  मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर रोहित वेमुला कि याद मे मोम्बात्तीया जल कर युवकोने आदरांजली दी !'

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