Saturday, August 13, 2016

तेरे मेरे गाँव न पहुंची आजादी ने हद कर दी । गाओं गाओं जा पहुंची है महंगाई ने हद कर दी । आधी सदी लगी खद्दर को अपना रंग बदलने में कुछ बरसों में बना चैंम्पियन भगवाजी ने हद कर दी। झूठे वादों से शर्मिंदा थी चुप्पी मनमोहन की बेशर्मी से बोल रहे हैं जुमलों ने तो हद कर दी । जब भी आएंगे अच्छे दिन बतला कर ही आएंगे बिना बताये आ पहुंचे हैं बुरे दिनों ने हद कर दी। हिटलर की औलाद हुई अब जवां हमारे देश में ये सच्च इतनी देर में जाना हम लोगों ने हद कर दी एक जनगीत _बल्ली सिंह चीमा

तेरे मेरे गाँव न पहुंची आजादी ने हद कर दी ।
गाओं गाओं जा पहुंची है महंगाई ने हद कर दी ।
आधी सदी लगी खद्दर को अपना रंग बदलने में
कुछ बरसों में बना चैंम्पियन भगवाजी ने हद कर दी।
झूठे वादों से शर्मिंदा थी चुप्पी मनमोहन की
बेशर्मी से बोल रहे हैं जुमलों ने तो हद कर दी ।
जब भी आएंगे अच्छे दिन बतला कर ही आएंगे
बिना बताये आ पहुंचे हैं बुरे दिनों ने हद कर दी।
हिटलर की औलाद हुई अब जवां हमारे देश में
ये सच्च इतनी देर में जाना हम लोगों ने हद कर दी
एक जनगीत _बल्ली सिंह चीमा

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