बताइये जीने का या मौत का रास्ता ?
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गंणतंत्र की पूर्व संध्यां पर राष्ट्रपति से आदिवासीयों ने पुछा
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खुले आसमान के नीचे रहने से बीमार पड़ रहे है आदिवासी
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बैतूल जिले के चिचोली ब्लाक के उमरडोह बसाहट के ४५ परिवार के आदिवासी गत 19 दिसम्बर को प्रशासन व्दारा अपना गाँव उजाड़े जाने के बाद से इस कडकडाती ठंड में खुले में रह रहे है. उनकी जलाऊ लकड़ी भी प्रशासन ने जला दी और बैलों का चारा भी.l 26 जनवरी की पूर्व संध्यां पर उन्होंने देश के राष्ट्रपति से यह गुहार लगाई की उनके उपर आदिवासीयों की रक्षा की सवैधानिक जवाबदारी है उसके तहत वो उन्हें सरकार और उसके अधिकारीयों के पिछले 37 दिनों से जारी अत्याचार से निजात दिलवाए; या फिर मरने का रास्ता बता दे.l
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गंणतंत्र की पूर्व संध्यां पर राष्ट्रपति से आदिवासीयों ने पुछा
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खुले आसमान के नीचे रहने से बीमार पड़ रहे है आदिवासी
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बैतूल जिले के चिचोली ब्लाक के उमरडोह बसाहट के ४५ परिवार के आदिवासी गत 19 दिसम्बर को प्रशासन व्दारा अपना गाँव उजाड़े जाने के बाद से इस कडकडाती ठंड में खुले में रह रहे है. उनकी जलाऊ लकड़ी भी प्रशासन ने जला दी और बैलों का चारा भी.l 26 जनवरी की पूर्व संध्यां पर उन्होंने देश के राष्ट्रपति से यह गुहार लगाई की उनके उपर आदिवासीयों की रक्षा की सवैधानिक जवाबदारी है उसके तहत वो उन्हें सरकार और उसके अधिकारीयों के पिछले 37 दिनों से जारी अत्याचार से निजात दिलवाए; या फिर मरने का रास्ता बता दे.l
उल्लेखनीय है कि 19 दिसम्बर 2015 को बैतूल जिले के चिचोली तहसील की बोड और कामठामाल पंचायत की उमरडोह बसाहट में अपने आधिकारों का दुरूपयोग कर वन विभाग, पुलिस और राजस्व की टीम ने आदिवासीयों की पूरी बस्ती को जमीनदोस्त कर उनकी फसल आदि नष्ट कर दी | Anurag Modi



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