Anil Janvijay
असीमा जी, मैंने कई बार आपको सुना और हर बार लगा कि जैसे आप नाज़िम हिक़मत को नए अन्दाज़ में पेश कर रही हैं। कविता से पहले और कविता के बाद आपकी टिप्पणियां भी उम्दा हैं। मेरा ख़याल है कि यह बेहद अच्छी प्रस्तुति थी। नाज़िम की ही कुछ और कविताएं, नाज़िम के अलावा नेरुदा, अख़्मातवा, ब्लोक, स्विताएवा आदि कवियों की कविताएं भी ऐसे ही प्रस्तुत कीजिए।