Tuesday, January 26, 2016

Satyendra Ps 3 mins · "आप खुद को नीच जाति मानते हैं इसलिए आपका तिरस्कार होता है। आप अपने को हिन्दू कहिए।" यह सवर्ण हिंदुओं ने उस समय प्रचारित कराया था जब अंग्रेजी शासन में जनगड़ना हो रही थी और अंग्रेज यह जानना चाहते थे कि भारत में कितने लोगों को नीच माना जाता है और उन्हें अधिकार नहीं मिले हैं। इस आधार पर अंग्रेज नीचों को अधिकार देना चाहते थे। हिन्दू और उच्च जाति बनने की नीचों में इतनी प्रबल इच्छा थी कि 1944 में जब जनगड़ना के आंकड़े आए तो सवर्णों की संख्या बहुत ज्यादा और नीचों की मामूली रह गई! अंग्रेजों ने नीचों को छोड़ दिया! .... है न गज़ब की बात! और इस तरह से खुद को ठाकुर-ब्राह्मण घोषित करने वाले नौकरियों, विधायिका, न्यायपालिका में हिस्सेदारी पाने से भी वंचित रह गए और बेचारे ठाकुर बाभन होने की सामाजिक मान्यता भी कभी नहीं पा सके! ...... अम्बेडकर तुसी बहुत खतरू आदमी हो भाई, यूँ ही नहीं संघी सरकार ने अम्बेडकर समग्र किताब छापने की राह में रोड़ा अटकाया है 😊


"आप खुद को नीच जाति मानते हैं इसलिए आपका तिरस्कार होता है। आप अपने को हिन्दू कहिए।"
यह सवर्ण हिंदुओं ने उस समय प्रचारित कराया था जब अंग्रेजी शासन में जनगड़ना हो रही थी और अंग्रेज यह जानना चाहते थे कि भारत में कितने लोगों को नीच माना जाता है और उन्हें अधिकार नहीं मिले हैं। इस आधार पर अंग्रेज नीचों को अधिकार देना चाहते थे।
हिन्दू और उच्च जाति बनने की नीचों में इतनी प्रबल इच्छा थी कि 1944 में जब जनगड़ना के आंकड़े आए तो सवर्णों की संख्या बहुत ज्यादा और नीचों की मामूली रह गई! अंग्रे
जों ने नीचों को छोड़ दिया!
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है न गज़ब की बात! और इस तरह से खुद को ठाकुर-ब्राह्मण घोषित करने वाले नौकरियों, विधायिका, न्यायपालिका में हिस्सेदारी पाने से भी वंचित रह गए और बेचारे ठाकुर बाभन होने की सामाजिक मान्यता भी कभी नहीं पा सके!
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अम्बेडकर तुसी बहुत खतरू आदमी हो भाई, यूँ ही नहीं संघी सरकार ने अम्बेडकर समग्र किताब छापने की राह में रोड़ा अटकाया है 😊
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