जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मो. सईद साहब नहीं रहे. श्रद्धांजलि. पत्रकार के रूप में मुफ्ती साहब से मेरी पहली मुलाकात पटना में हुई थी, तब वह बिहार में वीपी सिंह के साथ नई राजनीतिक मोचे॓बंदी के अभियान में आये थे और मैं वहां 'नवभारत टाइम्स' के संवाददाता के रूप में पदस्थापित था. बाद में उन्होंने बिहार से चुनाव भी लड़ा. वहां कई मुलाकातें हुईं. बिहार के बाद, दिल्ली में पहली मुलाकात संभवतः १९९७ में उनके निजी फ्लैट पर हुई. कुछ और पत्रकार मित्र भी उनके यहां लंच पर आमंत्रित थे. मुफ्ती साहब गजब के मेजबान थे. सन् २००२ से २००६ के दौरान श्रीनगर में उनसे कई मुलाकातें हुईं. मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला इंटरव्यू ३० अक्तूबर, २००४ को उनके श्रीनगर स्थित बंगले पर किया. तब वह कांग्रेस के सहयोग से सरकार की अगुवाई कर रहे थे. यह इंटरव्यू कश्मीर पर मेरी दूसरी पुस्तक-'कश्मीर : विरासत और सियासत'(प्रकाशन वष॓ २००६)के परिशिष्ट में भी दज॓ है. इस बार उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनाकर कश्मीर की सियासत में सबको चौंका दिया. उनके इस फैसले से घाटी में काफी रोष था. पर कश्मीर की सियासत में मुफ्ती साहब की शख्सियत और उनकी भूमिका को कोई भी नजरंदाज नहीं कर सकेगा. शेख मो. अब्दुल्ला के बाद की कश्मीरी सियासत में वह एक असरदार और कद्दावर नेता के रूप में याद किये जायेंगे.
Let me speak human!All about humanity,Green and rights to sustain the Nature.It is live.
Thursday, January 7, 2016
Urmilesh Urmil 7 hrs · जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मो. सईद साहब नहीं रहे. श्रद्धांजलि. पत्रकार के रूप में मुफ्ती साहब से मेरी पहली मुलाकात पटना में हुई थी, तब वह बिहार में वीपी सिंह के साथ नई राजनीतिक मोचे॓बंदी के अभियान में आये थे और मैं वहां 'नवभारत टाइम्स' के संवाददाता के रूप में पदस्थापित था. बाद में उन्होंने बिहार से चुनाव भी लड़ा. वहां कई मुलाकातें हुईं. बिहार के बाद, दिल्ली में पहली मुलाकात संभवतः १९९७ में उनके निजी फ्लैट पर हुई. कुछ और पत्रकार मित्र भी उनके यहां लंच पर आमंत्रित थे. मुफ्ती साहब गजब के मेजबान थे. सन् २००२ से २००६ के दौरान श्रीनगर में उनसे कई मुलाकातें हुईं. मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला इंटरव्यू ३० अक्तूबर, २००४ को उनके श्रीनगर स्थित बंगले पर किया. तब वह कांग्रेस के सहयोग से सरकार की अगुवाई कर रहे थे. यह इंटरव्यू कश्मीर पर मेरी दूसरी पुस्तक-'कश्मीर : विरासत और सियासत'(प्रकाशन वष॓ २००६)के परिशिष्ट में भी दज॓ है. इस बार उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनाकर कश्मीर की सियासत में सबको चौंका दिया. उनके इस फैसले से घाटी में काफी रोष था. पर कश्मीर की सियासत में मुफ्ती साहब की शख्सियत और उनकी भूमिका को कोई भी नजरंदाज नहीं कर सकेगा. शेख मो. अब्दुल्ला के बाद की कश्मीरी सियासत में वह एक असरदार और कद्दावर नेता के रूप में याद किये जायेंगे.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment