अब हमर जात पात के राचर हा चरमरावत जावत हवय,
चरवाहा बिन,गाय गरुवा एती ओती भागत जावत हवय,
पूना अउ बंगलोर के हवा पानी मा नइ जानन का्य हवय,
लैका मन किसम किसम के खिचड़ी पकावत जावत हवय,
अउ उंखर खुशी के कारण उंखर दाई ददा मन घलो ऐसनेच,
उत्ता धुर्रा खिचड़ी ला बने चांट चांट के खावत जावत हवय्।
पर एखर एक सकरात्मक पक्ष हे,जेन समाजवाद ला नेता,
मन नइ ला सकिन, ओला लैका मन लावत जावत हवय।
चरवाहा बिन,गाय गरुवा एती ओती भागत जावत हवय,
पूना अउ बंगलोर के हवा पानी मा नइ जानन का्य हवय,
लैका मन किसम किसम के खिचड़ी पकावत जावत हवय,
अउ उंखर खुशी के कारण उंखर दाई ददा मन घलो ऐसनेच,
उत्ता धुर्रा खिचड़ी ला बने चांट चांट के खावत जावत हवय्।
पर एखर एक सकरात्मक पक्ष हे,जेन समाजवाद ला नेता,
मन नइ ला सकिन, ओला लैका मन लावत जावत हवय।
( डॉ संजय दानी दुर्ग )
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