Tuesday, February 9, 2016

एक भारतीय मोहतरमा ने एक पाकिस्तानी से चैट किया और प्यार में पड़कर अपनी कई न्यूड तस्वीरें भेज डालीं. उन परदेसी भाई साहब ने एक रोज सब कुछ आनलाइन कर दिया. साथ ही मोहतरमा के सारे एफबी मित्रों के पास उस आनलाइन फोटोज के लिंक भेज दिए. मैंने भी सेव कर रखा है कई. सुना है इधर कइयों की जुगलबंदियां टूट गईं और दिल इधर उधर छटपटाते देखे गए. पर सवाल वही है कि अगर मर्द की न्यूड फोटो लीक हो तो मर्दों वाली बात, लेकिन औरत की हो तो वो क्यों हो गई बेसवा? प्यार में सारा खेल शरीर का ही क्यों रखते हो, कुछ दिमाग का भी रखा करो. शरीर दागी हो गया (चलो मान लेते हैं) तो दिमाग तो क्रिएटिव है, सेंसेटिव है, कुछ नया रचेगा, फिर से वो छपेगा और फिर चल निकल सकती हैं जुगलबंदियां. ये पूरा खारिज और पूरा कुबूल वाला खेल मुझे समझ नहीं आता. जितना अच्छा है, उसे प्यार करो. जो खराब लगे, उसे इगनोर करो. और वैसे भी, पत्थर वो मारे जिसने पाप न किया हो. देह के दायरे में उम्र के आखिरी पड़ाव तक डूबे रहना कहां की होशियारी है. पाप करिए, लेकिन उससे सबक लेकर आगे बढ़िए, रिपीट मत करिए, अटकिए मत. का कहूं, कछु कहा नहीं जाए. बिन कहे भी रहा नहीं जाए.


एक भारतीय मोहतरमा ने एक पाकिस्तानी से चैट किया और प्यार में पड़कर अपनी कई न्यूड तस्वीरें भेज डालीं. उन परदेसी भाई साहब ने एक रोज सब कुछ आनलाइन कर दिया. साथ ही मोहतरमा के सारे एफबी मित्रों के पास उस आनलाइन फोटोज के लिंक भेज दिए. मैंने भी सेव कर रखा है कई. सुना है इधर कइयों की जुगलबंदियां टूट गईं और दिल इधर उधर छटपटाते देखे गए.
पर सवाल वही है कि अगर मर्द की न्यूड फोटो लीक हो तो मर्दों वाली बात, लेकिन औरत की हो तो वो क्यों हो गई बेसवा? प्यार में सारा खेल शरीर का ही क्यों रखते हो, कुछ दिमाग का भी रखा करो. शरीर दागी हो गया (चलो मान लेते हैं) तो दिमाग तो क्रिएटिव है, सेंसेटिव है, कुछ नया रचेगा, फिर से वो छपेगा और फिर चल निकल सकती हैं जुगलबंदियां.
ये पूरा खारिज और पूरा कुबूल वाला खेल मुझे समझ नहीं आता. जितना अच्छा है, उसे प्यार करो. जो खराब लगे, उसे इगनोर करो. और वैसे भी, पत्थर वो मारे जिसने पाप न किया हो. देह के दायरे में उम्र के आखिरी पड़ाव तक डूबे रहना कहां की होशियारी है. पाप करिए, लेकिन उससे सबक लेकर आगे बढ़िए, रिपीट मत करिए, अटकिए मत.
का कहूं, कछु कहा नहीं जाए. बिन कहे भी रहा नहीं जाए.

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