क्या भारत के किसी भी सियासी दल के घोषणापत्र में, २००२ के गुजरात दंगों के असली अभियुक्तों, साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने की मांग की गयी है? दिल्ली का १९८४ वाला सिख विरोधी दंगा जब देखो तब चर्चा में रहता है, आज भी वह सियासत को गर्म करने वाला मुद्दा है लेकिन 'गुजरात महादंगा' अब किसी की जुबान पर नहीं? उसका प्रमुख साजिशकर्ता 'प्रधान सेवक' बना दिया गया जैसे वहां इंसान नहीं जानवर मरे हों?
गुजरात दंगों पर जनवादी शक्तियों की खामोशी और भी कष्टप्रद है, नरभक्षी को उसके किये की सजा कौन दिलाएगा? कौन इस संवैधानिक कर्ज को उतारेगा? है किसी में दम जो दिल्ली में इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस कर सके? जिनके घर के मरे हों उनके ज़ख्म तब तक हरे रहते हैं जब तक न्याय न मिले. लाशों पर सफ़र तय करके राजनीति के शिखर पर पहुचने वालों याद रखना, बेगुनाह लोगों का बहाया गया खून कभी माफ़ नहीं करता, महाशक्तिशाली गोरों को भी नहीं किया, तुम्हारी तो औकात क्या? सजा मिलेगी जरुर- देर सबेर.
गुजरात दंगों पर जनवादी शक्तियों की खामोशी और भी कष्टप्रद है, नरभक्षी को उसके किये की सजा कौन दिलाएगा? कौन इस संवैधानिक कर्ज को उतारेगा? है किसी में दम जो दिल्ली में इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस कर सके? जिनके घर के मरे हों उनके ज़ख्म तब तक हरे रहते हैं जब तक न्याय न मिले. लाशों पर सफ़र तय करके राजनीति के शिखर पर पहुचने वालों याद रखना, बेगुनाह लोगों का बहाया गया खून कभी माफ़ नहीं करता, महाशक्तिशाली गोरों को भी नहीं किया, तुम्हारी तो औकात क्या? सजा मिलेगी जरुर- देर सबेर.
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