मैं इस विश्वविद्यालय को 1972 से जानता हूं. 1973 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहा. इस कैंपस की 45 साल की कहानी मुझे मालूम है. जेएनयू देश भर के सभी विचारों का केंद्र है. वैचारिक खुलापन उस परिसर की संस्कृति है जहां पर हर धारा के मानने वाले लोग हैं. कभी भी इस विश्वविद्यालय ने किसी तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं किया. उस कैंपस में पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों मौजूद हैं. देश के सभी विचारों और प्रवृत्तियों की झलक वहां मिल जाएगी. जेएनयू में वाम के अंदर भी कई धाराएं हैं. 60-70 प्रतिशत छात्रों को राजनीति से कोई वास्ता नहीं होता.
जेएनयू के शिक्षक संघ में भी सभी दलों व विचारों का प्रतिनिधित्व रहा है. वामपंथ, दक्षिणपंथ और समाजवाद को मानने वाले शिक्षक रहे हैं तो हम जैसे गांधी, लोहिया और जयप्रकाश नारायण के समर्थक भी रहे, हम सबको अपनी क्षमतानुसार विजय-पराजय मिली. आज भी वहां भाजपा समर्थक शिक्षक हैं.
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