जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी JNU में 72% स्टूडेंट्स लड़कियां हैं. कुछ क्लास को देखकर आपको इसके महिला विश्विद्यालय होने का एहसास होगा.
जब ब्राह्मणवादी बैचलर संघ के लोग जेएनयू की स्टूडेंट्स को वेश्याओं से बदतर बताते हैं या यूज्ड कंडोम को इतना फुलाते हैं कि वह उनके मुंह पर फट जाता है, तो आप समझ सकते हैं कि उनका वास्तविक मकसद क्या है.
यह समझने के लिए मैं डेढ़ सौ साल पीछे जाता हूं, जब सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख ने भारतीय इतिहास का पहला गर्ल्स स्कूल खोला था और जब वे स्कूल जाती थीं, तो ब्राह्मणवादी लोग उनपर गोबर और पत्थर फेंकते थे.
स्त्री शिक्षा से ब्राह्मणवादी हमेशा डरते हैं. वे नहीं चाहते कि लड़कियां पढ़ें.
फोटो - जेएनयू की स्टूडेंट्स. सावित्रीबाई और फातिमा शेख और उनकी क्लास.
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