Thursday, February 25, 2016

मनुस्मृति ईरानी ब्राह्मणवाद की मूर्ख और बड़बोली प्रतिनिधि हैं. वे ब्राह्मणवादी व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाएंगी. महिषासुर पर राष्ट्रीय बहस करने की जगह, रोहित वेमुला को न्याय देना, मोदी सरकार के लिए बेहतर विकल्प है. अटल बिहारी वाजपेयी से इन्हें सीखना चाहिए. बाबा साहेब द्वारा मनुस्मृति दहन दिवस मनाए जाने के लगभग सौ साल हो गए. ब्रह्मा को महात्मा फुले ने बेटी सरस्वती का बलात्कारी लिखा है और उस महाग्रंथ गुलामगीरी के डेढ़ सौ साल हो गए. पेरियार ने राम की पोल खोलने वाली किताब सच्ची रामायण लिखी, जिसका अनुवाद ललई सिंह यादव ने किया और उस पर प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस जीता. वह भी कई दशक पुरानी बात है. बाबा साहेब ने रिडल्स इन हिंदुइज्म लिखकर हिंदू धर्मग्रंथों की धज्जियां उड़ा दी. ऐसी सैकडों रचनाएं महामानवों ने लिखीं. इन रचनाओं के सामने, देश के कई हिस्सों में हो रहा महिषासुर शहादत दिवस तो मासूम सा आयोजन है. समझने की कोशिश कीजिए कि इन मिथकीय धार्मिक रचनाओं के कई पाठ हैं. ब्राह्मणवादी पाठ है, तो OBC और SC का भी पाठ है. झारखंड की ST लिस्ट में शामिल असुर जनजाति इस कहानी को उस तरह नहीं पढ़ती, जैसा कि बंगाल का एक पुरोहित पढ़ता है. मुख्यमंत्री रहने के दौरान शिबू सोरेन ने रावण का पुतला नहीं जलाया. पूरा दक्षिण विष्णु के अवतार वामन को दुष्ट और महाराज बली को महान मानता है और ओणम का त्योहार मनाता है. केरल का तो यह सबसे बड़ा पर्व है. कबीर और रविदास से लेकर बाबा साहेब तक ने ब्राह्मणवादी विचारों की पोल खोली है और देखिए कि भारतीय संसद में सबसे शानदार मूर्तियां फुले और बाबा साहेब की हैं. सहमति और असहमति के बावजूद, देश इनके लोकतांत्रिक विचारों का सम्मान करता है. महात्मा फुले की संसद में भव्य मूर्ति तो अटल जी के शासन काल में लगी. उन्होंने खुद उद्घाटन किया. मोदी जी को अटल जी से सीखना चाहिए. चालाक ब्राह्मणवादी कभी नहीं चाहेगा कि इन धार्मिक पोल खोल पर चर्चा हो. वह विरोधी विचारों को अपनी चुप्पी से और अनदेखी करके मारता है. भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार है जब धर्मग्रंथों के पुनर्पाठ पर संसद में बात हो रही है... यह मनुस्मृति ईरानी की महामूर्खता के कारण हो रहा है. आरएसएस को मालूम है कि यह कितना खतरनाक है. मनुस्मृति ईरानी के बड़बोलेपन की तुलना संघ की शातिर चुप्पी से कीजिए.


Dilip C Mandal
मनुस्मृति ईरानी ब्राह्मणवाद की मूर्ख और बड़बोली प्रतिनिधि हैं. वे ब्राह्मणवादी व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाएंगी. महिषासुर पर राष्ट्रीय बहस करने की जगह, रोहित वेमुला को न्याय देना, मोदी सरकार के लिए बेहतर विकल्प है. अटल बिहारी वाजपेयी से इन्हें सीखना चाहिए.
बाबा साहेब द्वारा मनुस्मृति दहन दिवस मनाए जाने के लगभग सौ साल हो गए. ब्रह्मा को महात्मा फुले ने बेटी सरस्वती का बलात्कारी लिखा है और उस महाग्रंथ गुलामगीरी के डेढ़ सौ साल हो गए. पेरियार ने राम की पोल खोलने वाली किताब सच्ची रामायण लिखी, जिसका अनुवाद ललई सिंह यादव ने किया और उस पर प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस जीता. वह भी कई दशक पुरानी बात है. बाबा साहेब ने रिडल्स इन हिंदुइज्म लिखकर हिंदू धर्मग्रंथों की धज्जियां उड़ा दी. ऐसी सैकडों रचनाएं महामानवों ने लिखीं.
इन रचनाओं के सामने, देश के कई हिस्सों में हो रहा महिषासुर शहादत दिवस तो मासूम सा आयोजन है.
समझने की कोशिश कीजिए कि इन मिथकीय धार्मिक रचनाओं के कई पाठ हैं. ब्राह्मणवादी पाठ है, तो OBC और SC का भी पाठ है.
झारखंड की ST लिस्ट में शामिल असुर जनजाति इस कहानी को उस तरह नहीं पढ़ती, जैसा कि बंगाल का एक पुरोहित पढ़ता है. मुख्यमंत्री रहने के दौरान शिबू सोरेन ने रावण का पुतला नहीं जलाया.
पूरा दक्षिण विष्णु के अवतार वामन को दुष्ट और महाराज बली को महान मानता है और ओणम का त्योहार मनाता है. केरल का तो यह सबसे बड़ा पर्व है.
कबीर और रविदास से लेकर बाबा साहेब तक ने ब्राह्मणवादी विचारों की पोल खोली है और देखिए कि भारतीय संसद में सबसे शानदार मूर्तियां फुले और बाबा साहेब की हैं. सहमति और असहमति के बावजूद, देश इनके लोकतांत्रिक विचारों का सम्मान करता है. महात्मा फुले की संसद में भव्य मूर्ति तो अटल जी के शासन काल में लगी. उन्होंने खुद उद्घाटन किया.
मोदी जी को अटल जी से सीखना चाहिए.
चालाक ब्राह्मणवादी कभी नहीं चाहेगा कि इन धार्मिक पोल खोल पर चर्चा हो. वह विरोधी विचारों को अपनी चुप्पी से और अनदेखी करके मारता है.
भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार है जब धर्मग्रंथों के पुनर्पाठ पर संसद में बात हो रही है... यह मनुस्मृति ईरानी की महामूर्खता के कारण हो रहा है. आरएसएस को मालूम है कि यह कितना खतरनाक है.
मनुस्मृति ईरानी के बड़बोलेपन की तुलना संघ की शातिर चुप्पी से कीजिए.
Comments
Catchme If YouCan NO MORE
MANUWADI BJP-CONGRESS GOVERNMENT....See More
LikeReply136 mins
Bheemprakash Gaikwad जबरदस्त ! An eye opner !!
LikeReply135 mins
Om Singh एकदम सही पकड़े हैं।
LikeReply32 mins
Mohsin Akhtar Qureshi paramsatya....
LikeReply31 mins
Devendra Regar Singharia बहस करो न भाई।।।महिषासुर धार्मिक मुद्दा है और भारत धर्म निरपेक्ष देश है जहाँ किसी को भी पूजने की स्वतन्त्रता है।।।।इस हिसाब से तो कोई मुद्दा ही नही बनता
LikeReply229 mins
Vijendra Singh Acchi baat h.. Kabhi to debate Honi chahiye.. N sabhi to reality ka pata Chang chahiye.. Nahi to y sab books tak simit Ho kar rah jata h..
LikeReply28 mins
तजिंदर पाल सहमत भाई जी लेकिन ये कभी ना कभी तो होना है हम सबको अपने अपने पुरखो के अतीत के लिए माफ़ी भी मंगनी है पछताना भी है और आगे के लिए सुधार भी करना है समय आज हो या कल ये सामजिक समरसता के लिए बहुत जरुरी है की हम लोग भी साउथ अफ्रीका की तरह एक एक्सेप्ट एंड फोगिव्नेस समिति बने चीजे सुधारे ताकि किसी मनुष्य को भारत में दोयम दर्जे की स्तिथि महसूस ना हो
LikeReply128 mins
Mukul Nikalje लगता है मनुस्मृति ईरानी अबतक सिरियल और संसद का फर्क नही समझ पाई है इसलिए वह ऐसा ड्रामाटिकल बडबोलेपन संसद में दिखा रही है
LikeReply126 mins
सोनू सिंह पासी देखा जाए तो एकदम सटीक बात कही आपने एक ब्राह्मण भी वास्तविक रूप से आपकी इस बात से मन ही मन सहमत होगा।
LikeReply25 mins
Ranjit Rawat Kaha gya re chutiue yaad jar neri post pe. Comment kiya tha aur bhag gya tha
LikeReply21 mins
Palash Biswas
Write a reply...
Sakshi Dhammpriya झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मान्यवर #शिबु_सोरेन (Guruji) ने रावण को अपना पूर्वज बताते हुए उनके पुतले में आग लगाने से मना कर दिया था ।
LikeReply325 mins
Rakesh Verma शानदार -जबरदस्त -जिंदाबाद !!! An eye opener post
LikeReply121 mins
Ranjit Rawat Ambdekar k sir me bhi aise hi jute ki maala dale they hamare yaha ek baar
LikeReply220 mins
Devendra Vanik अब विवाद ने सही रास्ते पर जा रही है । कुछ तो दम है ईन बातो मे ।। कुछ तो बहार निकलेगा ।। बरसो से गुमराह युवाओ को कुछ नयी जानकारी मिलेगी ।।
LikeReply19 mins
Mahesh Rathi DILIP JI,MURKHATA KA SWAGAT KIYA JANA CHAIYE YA NAHI AGAR YE HAKIKAT KO SAMNE LATI HO? MURKHATA SE HI SAHI SANSAD ME CHARCHA TO HUI KI MAHISASHUR KAUN THA ? BHARAT KA YATHARTH VICHARO KI AAZADI SE JUDA HEY JISAME MURKHATA KA ADHEEKAR BHI LOGO KA HE...See More
LikeReply16 mins
Rahul Kumar मनुसमृति की जगा संविधान होना चाहिए था जब सही होता क्योकि मुर्ख बाबा साहब के कानून का ही विरोध करके फासी और देश विरोधी नारे लगा रहे है , जय मोदी
LikeReply116 mins
Dheeraj Mohan अभी तक केवल दो angry emotion दिखा रहा है fb का नया 'लाइक '
LikeReply15 mins
Sanjeevkumar Jirage चलो अच्छा है ब्राह्मणो ने शुरुवात कि, जैसे आंबेडकर वाद इन लोगो पार भारी पडणेवाला है वैसे ही ये भी उनपर भारी पडेगा. बहुजन समाज इसी बहाणे अपना इतिहास जानेगा. ब्र्हमान इतिहास कॉ जितना खोदेगा उतना उस में फसता जायेगा. और एक दिन यहा का मुलनिवाशी बहुजन अपने पुर्वोजो के अपमान का बदला लेग, विदेशी ब्रह्मणो कॉ देहस के बहार खादेडेगा.
LikeReply114 mins
Prahlad Kumar Regar i think...yahi sab hone se bahujano tak hamare mahapurusho ki bataai hui baate pahuchani chahiye....
LikeReply114 mins
Vinod Pathak मुझे तो लगता है दिलीप जी आप यूपी चुनाव में बसपा से टिकट चाह रहे हैं। वो भी बिना दाम खर्च किए, क्योंकि वैसे तो बहन जी फोकट में टिकट नहीं देती हैं।
LikeReply110 mins
राकेश कुमार मिश्रा और इन्हीं मिथकीय धार्मिक पुस्तकों से एकलव्य का प्रकरण उठा कर तुम घटिया राजनीति करते हो । दिमाग से तो बैकवर्ड मत बनो मण्डल ।
LikeReply10 mins
Mayur Kamble धर्म के ठेकेदारो .... हम तो लेके हि रहेंगे आझादी और वो भी डंके कि चोट पर। भागने के लिये भुमी कम पड जायेंगी जब इस देश के असली बाशिंदे तुम मनुवादी कुत्तो के खिलफ युध्द छेड देंगे। अभी तो सिर्फ युध्द का बिगुल बजा है।
LikeReply9 mins
Dilip C Mandal फुले, पेरियार, आंबेडकरवादी इतने साल में जिस बहस को संसद तक नहीं पहुंचा पाए, वह काम मनुस्मृति ईरानी के हाथों हो गया! smile emoticon
LikeReply46 mins
Arun Yadav Nice post
LikeReply4 mins
Radha Ranjan Mishra पहले जरा नाम सही ना जाना करो तो मत लिखा करो....महाराज बोली नहीं वरन् महाराज बलि थे।
LikeReply3 mins
नरेन्द्र तिवारी मंडल जी आप के होते दलितों को किसी और की क्या जरुरत पड़ी है बर्बाद करने की लिए ! जब देश मैं युवा आगे बढ़ने की सोच रहा है आप उन्हें अपने कमंडल मैं फसते रहो वमला को न्याय कैसे मिल सकता है जब आप जैसे लोग दूसरो को भी वमूला की तरह बनाना चाहते हो काश की वमला ने पात्र पूरा लिख दिया होता तो आप जैसे लोगो की कलई पूरी तरह से खुल जाती
LikeReply1 min

No comments:

Post a Comment